Wednesday, 28 September 2011

हिन्दू धरम ऐसा करम

दिल्‍ली में एक ऐसा घिनौनी मामला सामने आया है जिसे सुनने के बाद हैवानियत भी कांप जाए। दिल्ली के प्रसिद्ध बालाजी मंदिर के पुजारी पर डीयू की एक छात्रा के साथ मंदिर परिसर में बने कमरे में तीन महीने तक रेप किया। इस दौरान पुजारी ने छात्रा की ब्लू फिल्म भी तैयार की। छात्रा का आरोप है कि पुजारी उसे नशीला प्रसाद देने के बाद इस हैवानियत को ...अंजाम देता था।

छात्रा के आरोप लगाने के बाद पुलिस ने जब मंदिर पर छापा मारा तो उसको एक सीडी मिली, जिसमें पुजारी छात्रा के साथ अश्लील हरकतें करता दिखाई दे रहा था। इसके बाद, पुलिस ने पुजारी को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक तिमारपुर में रहने वाली एक छात्रा ने परिजनों के साथ थाने आकर शिकायत की थी कि पिछले तीन महीने से त्रिवेणी बालाजी मंदिर का पुजारी उसके साथ दुष्कर्म कर रहा है। इसके अलावा, वो उसकी ब्लू फिल्म भी बनाता था।

छात्रा ने आरोप लगाया कि पुजारी तीन माह तक उसके साथ दुष्कर्म करता रहा और अपनी इन हरकतों को कमरे में लगे कैमरों में कैद करता रहा। एक हफ्ते पहले जब छात्रा को कैमरे लगे होने का पता लगा तो उसने और विरोध जताया। इसके साथ ही उसने मामले की शिकायत करने की बात कही तो पुजारी ने उसे वो सीडी दिखाई और धमकी दी कि अगर वो पुलिस के पास गई तो वो सीडी सार्वजनिक कर देगा और उसे जान से मार डालेगा।

Sunday, 25 September 2011

टीपू सुलतान शहीद-ए-आजम


हमारे मुल्क की आज़ादी के लिए अंग्रेजो से जितना लोहा मुसलमानों ने लिया है किसी ने नहीं लिया है पहली जंग शुरू किया हमारे हैदर अली साहेब ने जिसको आगे बढ़ाया उनके साहेब जादे टीपू सुलतान ने मगर अज हमारा इतिहास कहता है रानी लक्ष्मी बाई जो सिर्फ अपनी अस्मत और अपने शौहर को बचाने के लिए लड़ी थी 
टीपू सुलतान हिदुस्तान की आजादी के पहले जांबाज और पहले शहीद है, लेकिन एक घिनोनी राजनीति के तहत मुसलमानों को आजादी की लड़ाई से अलग दिखाने के लिए टीपू सुलतान जैसे मुस्लिम शेर और हिन्दुस्तान की आजादी की जंग के पहले शहीद, टीपू सुलतान को इन सनातन आर्यों ने अपनी घिनोनी राजनीति के चलते सिर्फ गुमनामी ही दी है,
लेकिन अब क्या हमें इन षड्यंत्रों खात्मा नहीं करना चाहिये ?
अगर हां ,
तो आइये हम ठान ले की आज से ही टीपू सुलतान के नाम के साथ शहीद-ए-आजम जरूर लिखेगे
और सिर्फ टीपू सुलतान को ही शहीद-ए-आजम दर्जा देगे ,

आई बी के अधिकारी आर एस एस के वफादार


आई बी पर व्यावहारिक रूप से आर एस एस के पूर्ण नियंत्रण के बाद उसने आर एस एस के एजेंडे 

को बड़ी तत्परता के साथ इस तरह कार्यान्वित करना शुरू किया जैसे वह कोई सरकारी संगठन न 


हो बल्कि आर एस एस का ही कोई अंग हो। आर एस एस को एक राष्ट्र हितैषी संगठन के रूप में 



सामने लाने और वामपंथियों को देशद्रोही व मुसलमानों को रुढ़िवादी, आतंकवादी और देश-विरोधी 


संप्रदाय ठहराने के अपने उद्देश्य में वह पूरी तरह सफल हो चुकी है।


उसने इसके लिये निम्न तरीके अपनाकर 'सच्चाई को दबाव, झूठ को सच बना कर प्रस्तुत करो' की 


नीति पर काम किया :


१. आई बी ने सरकार को आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनो की सांप्रदायिक गतिविधियों, 

विदेशों से भारी मात्रा में धन की प्राप्ति, सामाजिक, शैक्षिणिक और संस्कृतिक संस्थाओ और 

मीडिया में उनकी घुसपैठ से और उस सांप्रदायिक जहर से जो पूरे देश में वे अपनी हजारों शाखाओं 

के माध्यम से दिन-रात फैलाते रहे हैं, अँधेरे में रखा और इसके बजाय आर एस एस को एक 'राष्ट्र 

प्रेमी संगठन' के रूप में प्रस्तुत किया। यह बात उन रिपोर्टों के अध्ययन और विश्लेषण से जाहिर हो 

जाती है जो आई बी ने पिछले कुछ सालों में सरकार को दी है।


२. आई बी ने वामपंथी दलों और मुस्लिम संस्थाओं व सेकुलर संगठनो के बारे में एक बिल्कुल ही 

उलटी नीति अपनाई। उसने उनकी गतिविधियों के बारे में बहुत बढ़ा चढ़ा कर और कभी झूठी 

सूचनाएं सरकार को दी, हालाँकि उनकी गतिविधियाँ आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनो की 

सरगरमियों के मुकाबले में राष्ट्र के लिये कुछ भी हानिकारक नहीं रही। केंद्र में सत्ता में आने वाली 

हर सरकार ने, जो कि सूचनाओं के लिये पूरी तरह आई बी पर निर्भर है, उन रिपोर्टों पर भरोसा 

किया और वामपंथियों व धर्मनिरपेक्ष संगठनो को 'चरमपंथी' या आतंकवादी ठहरा कर उनकी 

कानूनी गतिविधियों तक में रुकावटें कड़ी की और इस तरह उन्हें किनारे लगाया।



आई बी भारत सरकार की गुप्त सूचनाएं प्राप्त करने की प्रमुख संस्था है। इतना ही नहीं यह हुकूमत 

की आँख और कान है, अत: बिलकुल शुरू से ही हिन्दुत्ववादियों ने इसमें घुसपैठ शुरू कर दी और 

आजादी के बाद के दस साल में इसपर पूरा कंट्रोल हासिल कर लिया। किसी सांप्रदायिक संगठन के 

किसी सरकारी संसथान पर योजनाबद्ध तरीके से नियंत्रण प्राप्त कर लेने का यह आदर्श उदहारण है। 

उन्होंने ये सब कुछ किस तरह किया, यह भी अध्ययन के लिये एक दिलचस्प विषय है।

आई बी के अधिकारी और कर्मचारी दो तरह के होते हैं। कुछ तो स्थायी रूप से नियुक्त होते हैं और 

कुछ ख़ास कर माध्यम व ऊँचे पदों पर, राज्यों से डेपुटेशन पर नियुक्त किया जाता है। प्रारंभ में 

हिन्दुत्ववादियों ने आई बी में प्रवेश किया और सबसे महत्वपूर्ण स्थाई पदों पर जम गए। उसी के 

साथ आर एस एस जैसे हिन्दुत्ववादी संगठनो ने विभिन्न राज्यों से तेज तर्रार नवयुवक ब्राहमण 

आई पी एस अधिकारीयों को डेपुटेशन पर आई बी में जाने के लिये प्रोत्साहित करना शुरू किया।

मराठी पाक्षिक पत्रिका 'बहुजन संघर्ष' ( 30 अप्रैल 2007) में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है 

कि :

"इस प्रकार आई बी के प्रमुख पदों पर आर एस एस के वफादारों के आसीन हो जाने के बाद उन्होंने 

यह नीति अपनाई कि खुद ही राज्यों के ऐसे अधिकारीयों को चिन्हित करते जो उनकी नजर में 

आई बी के लिये उचित होते और उनको जी आई बी में लिया जाने लगा। इसका नतीजा यह हुआ 

कि आर एस एस की विचारधारा से सहमत युवा आई पी एस अधिकारी अपने सेवा काल के आरम्भ 

में ही आई बी में शामिल होने लगे और फिर 15, 20 साल तक आई बी में ही रहे। कुछ ने तो अपना 

पूरा करियर ही आई बी में गुजरा। उदहारण के लिये महाराष्ट्र कैडर के अफसर वी जी वैध 

सेवानिवृति तक आई बी में ही रहे और डाईरेक्टर के उच्चतम पद तक पहुंचे। दिलचस्प बात यह है 

कि जब आई बी के डाईरेक्टर थे, उनके भाई एम जी वैध महाराष्ट्र आर एस एस के प्रमुख थे। अगर 

आई बी के ऐसे अधिकारीयों की सूची पर, जो विभिन्न राज्यों से डेपुटेशन पर आई बी में लिये गए, 

गहराई से नजर डाली जाए तो यह नजर आएगा कि उनमें से अधिकतर या तो आर एस एस के 

वफादार रहे हैं या उनका आर एस एस से निकट सम्बन्ध रहा है और वे या तो आर एस एस के 

इशारे पर आई बी या रा में गए हैं या फिर उनको इन संगठनो में मौजूद आर एस एस का एजेंडा पूरा 

करने वाले अधिकारीयों ने लिया है। रिकॉर्ड में दिखाने के लिये कुछ ऐसे अफसर भी आई बी में लिये 

जाते रहे जिनका संबंध आर एस एस से नहीं रहा लेकिन उनको कई काम सौंपे गए।"

Thursday, 22 September 2011

इंशा अल्लाह मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का मुस्लमान ही होगा.........अब सभाल जाओ चाटुकारों

इधर कई दिनों से मै फसेबुक पर नहीं था वजह थी की मै उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के तरफ दौरे पर था जिसके तहत मै गाजीपुर बनारस इलाहबाद अज़म्गर जौनपुर का दौरा किया कई सभाओ को जाकर अपने छोटे से विचार रखा देख कर आश्चर्य हुवा की मुसलमानों को नोचने वाली २९ पार्टियों में से किसी पर भी यहाँ की जनता विश्वास नहीं कर रही है मेरी उपलब्धि रही की इन तमाम जगहों पर मुझे भरपूर समर्थन मिला 
हौसला बढ़ाने वाली बात ये है की इन तमाम जगहों को मिला कर मुझे १६ ऐसे प्रत्याशी भी मिले जो अपनी सोच वाले है और उन्होने अपना काम ऐसा किया है की वो अपने खर्चे तक लगा कर चुनाव लडते है तो उनमे से अधिकतर अच्छा मुकाबला कर सकते है और वो सब मेरे साथ खडे है एक सभा का फोटो भी है यहाँ 
अब वक्त है की मै ललकार कर उन चाटुकारों से कह दू की औ उत्तर प्रदेश में मै दिखाऊंगा तुमको की चाटुकारी नहीं काम चलता है यहाँ कई पार्टियों का अपना बुलावा भी है अब छानना है किस पार्टी को पकडू मेरे अपने समझ से ऐसी पार्टी होनी चाहिए की जहा चाटुकारी न चलती हो और उत्तर प्रदेश का नेतृत्वा उत्तर प्रदेश का ही करे कोई अलग राज्य का ना हो 
खैर इंशा अल्लाह अगला मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का मुस्लमान ही होगा किसी चाटुकार की ज़रूरत नहीं है मुझे वैसे भी ये फसेबुक के सुरमा सिर्फ फसे बुक तक रहते है असल में ये लोग जाकर चाटुकारी करते है और सच की आवाज़ को दबाते है किसी ऐसे रांगेय भेदिये का साथ देते है अपने असली हमदर्द को छोड़कर जो ओलामाओ को गलिय देता है और सभा में उनकी तारीफ करता है हनी को सबूत के तौर पर मेरे पास तो वो आवाज़ भी है रिकार्ड जिसमे किसी ऐसे ही भेड़िया ने आला हज़रात को गाली दी है और वो वीडियो है जिसमे एक फसेबुक के सुरमा भी बैठकर उसकी हा में हा मिला रहे है मैने वादा किया है जनता से मुसलमानों से उस वीडियो को उनको चुनाव के पहले जब उस भेडिये की सभा होगी दिखाने का इंशा अल्लाह 

ATANKWADI KAUN..................?

LTTE tamil tiger sabse pehle sucide bombing ki eijad kari inhone rajive gandhi ko mara,,,inhone 200 se upar attack kare thy

BHINDARANWALE GROUP sikh atankwadi inhone golden temple me 100 logoN ka qatal kara

ULFA asam ka atankwadi group 2006 tak 749 terrorist attack kare

MIZOS Isayi group
NAGAS Isayi group jinhone 1984 me 44 hindus ka qatal kara tha

MAOISTS sabse khatarnak group hai agar koi inke khilaf koi gauN bolta hai to us gaoN ko he taba kar dete haiN 150 ziloN me inka hold hai

times of india me SWAMINATH AIYYAR july 2006 me kehte haiN k desh me sab se zyada khatra maoists se hai na ki musalman se
aur 2006 me 875 rockist police ne pakde thy inke

HITLER jisne 60 lakh yahudiyoN ko mara

JOSEPH STALIN jisne 2 crore logoN ko mara

MAO TSETSUNG 1 crore 40 lakh ka qatal

BENITO MUSSOLINI 4 lakh ka qatal
MAXIMILINE 40000 Ka qatal kara aur 2 lakh se zyada ko bhook se mara

Thursday, 8 September 2011

मुस्लमान फिरे मारा मारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा






ग़रीब मुसलमानों के बारे में जो सच्चाई है, वह कलेजा दहला देने वाली है. ग्रामीण इलाक़ों में ग़रीबी रेखा के


 नीचे वाले 94.9 फीसदी मुसलमानों को मुफ्त अनाज नहीं मिल रहा है. सिर्फ 3.2 फीसदी मुसलमानों को 


सब्सिडाइज्ड लोन का लाभ मिल रहा है. स़िर्फ 2.1 फीसदी ग्रामीण मुसलमानों के पास ट्रैक्टर हैं और स़िर्फ 1 


फीसदी के पास हैंडपंप की सुविधा है. शिक्षा की स्थिति और भी खराब है. गांवों में 54.6 फीसदी और शहरों में 


60 फीसदी मुसलमान कभी किसी स्कूल में नहीं गए. पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की संख्या 25 फीसदी से 


ज़्यादा है, लेकिन सरकारी नौकरी में वे स़िर्फ 4.2 फीसदी हैं. जबकि यहां वामपंथियों की सरकार है, फिर भी 


राज्य की सरकारी कंपनियों में काम करने वाले मुसलमानों की संख्या शून्य है. सेना, पुलिस और 


अर्धसैनिक बलों में मुसलमानों की संख्या बहुत ही कम है. मुसलमानों की बेबसी का आंकड़ा जेलों से मिलता 


है. हैरानी की बात यह है कि मुसलमानों की संख्या जेल में ज़्यादा है. महाराष्ट्र में 10.6 फीसदी मुसलमान हैं, 


लेकिन यहां की जेलों में मुसलमानों की संख्या 32.4 फीसदी है. दिल्ली में 11.7 फीसदी मुसलमान हैं, 


लेकिन जेल में बंद 27.9 फीसदी क़ैदी मुसलमान हैं.



मुसलमानों पर हुए सारे रिसर्च का नतीजा एक ही है. इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सरकार के किसी भी विभाग 


में मुसलमानों की हिस्सेदारी जनसंख्या के अनुपात में नहीं है. प्रशासनिक सेवाओं में मुसलमानों की संख्या 


दयनीय है. देश में स़िर्फ 3.22 फीसदी आईएएस, 2.64 फीसदी आईपीएस और 3.14 फीसदी आईएफएस 


मुसलमान हैं. इससे भी ज़्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि सिखों और ईसाइयों की आबादी मुसलमानों 


से कम है, लेकिन इन सेवाओं में दोनों की संख्या मुसलमानों से ज़्यादा है. देश के सरकारी विभागों की हालत 


भी ऐसी ही है. ज्यूडिसियरी में मुसलमानों की हिस्सेदारी स़िर्फ 6 फीसदी है. जहां तक बात राजनीति में 


हिस्सेदारी की है तो यहां भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. आज़ादी के साठ साल के बाद भी अब तक 


स़िर्फ सात राज्यों में मुस्लिम मुख्यमंत्री बन पाए हैं. हैरानी की बात यह यह है कि जम्मू-कश्मीर के फारुख़ 


अब्दुल्ला के अलावा देश में एक भी ऐसा मुस्लिम मुख्यमंत्री नहीं बन पाया, जो पांच साल तक शासन कर 


सका हो. राजनीति में मुसलमान हाशिए पर हैं, इस बात की गवाह लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की मौजूदा 


संख्या है. फिलहाल लोकसभा में 543 सीटों में स़िर्फ 29 सांसद मुसलमान हैं. सामाजिक पिछड़ेपन के साथ-


साथ प्रजातंत्र के विभिन्न स्तंभों में भी मुसलमान हाशिए पर हैं.

Friday, 2 September 2011

'भारत माता' क्या बनेगी RSS की देवदासी ?????

'हिन्दू राष्ट्र' की कल्पना तो मुस्लिम लीग के 'मुस्लिम राष्ट्र' जैसी ही एक परिकल्पना है, पर हिन्दू राष्ट्र की कल्पना करने वाले  इतने बड़े कायर और नपुंसक थे , कि अपने उद्देश्य कि पूर्ति हेतु उन्होंने अंग्रेजों के तलवे चाटने के अलावा कुछ किया नहीं....विभाजन के बाद उन्होंने अपनी हताशा और अपराध भावना से मुक्ति पाने के लिए महात्मा गाँधी की हत्या कर दी....जैसे माता रेणुका देवी की हत्या के बाद भी परशुराम को अपने अपराध का अहसास नहीं हुआ था, ठीक उसी प्रकार परशुराम की इन कथित औलादों को राष्ट्रपिता की हत्या के उपरांत भी अपने अपराध का कोई अहसास नहीं हुआ और ये भारत माता के साथ और घृणित और कुत्सित अपराध करने की योजना बनाते रहे.....


१९९२ में 'अयोध्या में बाबरी विध्वंस  जैसे राष्ट्रदोह' और २००२ में 'RSS का गुजरात प्रयोग' जैसे यज्ञों का आयोजन किया, इन नरभक्षियों ने अपनी रक्त-पिपासा शांत करने हेतु....पर नरभक्षी  की रक्त पिपासा कभी  शांत नहीं होती , अपितु नरभक्षी को ही शांत कर दिया जाता है, दुर्भाग्यवश इतनी सी बात न तो भारतीय जनमानस समझ पा रहा है....और न यहाँ का मूढ़ मीडिया....न्याय-पालिका की हालत तो और भी बदतर है जब उसने न्याय के तमाम सिद्धांतों की धज्जियाँ उड़ाते हुए अडवाणी और जोशी जैसे अयोध्या कांड के अभियुक्तों पर षड़यंत्र सम्बन्धी आरोप ख़ारिज कर दिए, अपितु दीवानी मामले में इनके हास्यास्पद तर्कों को स्वीकार तक कर लिया.....

२००९ का चुनाव हरने के बाद तो हद हो गई जब RSS के पुरोहितों ने भारत की दूसरी सबसे पार्टी BJP को जबरदस्ती अपनी देवदासी बना लिया ( BJP = Babies & Jokers Party of Rss ) .....मैंने तब भी बहुत हाथ-पैर पटके थे...कि यह Rss के पापी पुरोहित एक दिन इसी प्रकार भारत माता को भी अपनी देवदासी बनाकर ही दम लेंगे...पर किसी ने ना सुनी....अब भारत में लोकतंत्र चंद दिन का ही मेहमान है....अन्ना Gang की blackmailing के कारण सरकार, RSS के 'लोक-पुरोहित' और 'सिविल सोसाइटी' जैसे अधिनायकवादी प्रस्ताव को स्वीकार कर ही चुकी है.....RSS के पुरोहित जिस प्रकार अपनी झूठी-मूठी सत्यनारायण कथा से 'सिविल सोसाइटी' और 'मीडिया' को बरगला लेते हैं, उससे ज्यादा कुछ तर्क-वर्क, भारत की न्यायपालिका को भी नहीं चाहिए..अपनी तटस्थता तोड़ कर RSS के भगवे तले खड़े हेतु.  बाबरी और अन्य अनेक मामलों न्यायपालिका के निर्णयों से यह स्वयंसिद्ध हो चूका है ......अब बचे  भारत के तिरंगे के मानिंद, भारत के गौरव का प्रतीक,  'तिरंगी सेनाओं'  के प्रमुख.....जिनको राजी करना यद्यपि आसन नहीं पर नामुमकिन भी नहीं.....क्यूंकि RSS के लोग सेना की निष्ठां कमज़ोर करने  के काम में तो आज़ादी के बाद से ही लगे हैं.....  न्यायपालिका और मीडिया तो आज ताकतवर हैं ....पहले कौन पूछता था इनको....

2G  स्पेक्ट्रम पर, CAG और Supreme कोर्ट के कुछ Judge के साथ घिनोना षड़यंत्र करके Rss के षड्यंत्रकारी पुरोहित आज ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं,  कि वे किसी भी क्षण इस देश के लोकतंत्र का गला घोंट सकते हैं.....और फिर एक STUPID NATION के हिस्से में aayega, सिर्फ  वन्दे  मातरम.............