हमारे मुल्क की आज़ादी के लिए अंग्रेजो से जितना लोहा मुसलमानों ने लिया है किसी ने नहीं लिया है पहली जंग शुरू किया हमारे हैदर अली साहेब ने जिसको आगे बढ़ाया उनके साहेब जादे टीपू सुलतान ने मगर अज हमारा इतिहास कहता है रानी लक्ष्मी बाई जो सिर्फ अपनी अस्मत और अपने शौहर को बचाने के लिए लड़ी थी
टीपू सुलतान हिदुस्तान की आजादी के पहले जांबाज और पहले शहीद है, लेकिन एक घिनोनी राजनीति के तहत मुसलमानों को आजादी की लड़ाई से अलग दिखाने के लिए टीपू सुलतान जैसे मुस्लिम शेर और हिन्दुस्तान की आजादी की जंग के पहले शहीद, टीपू सुलतान को इन सनातन आर्यों ने अपनी घिनोनी राजनीति के चलते सिर्फ गुमनामी ही दी है,लेकिन अब क्या हमें इन षड्यंत्रों खात्मा नहीं करना चाहिये ?
अगर हां ,
तो आइये हम ठान ले की आज से ही टीपू सुलतान के नाम के साथ शहीद-ए-आजम जरूर लिखेगे
और सिर्फ टीपू सुलतान को ही शहीद-ए-आजम दर्जा देगे ,
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