भारत में मुस्लिम हुक्मरानों की छवि को जितना बिगाड़ा गया है उतना शायद अंग्रेजों को भी नही.. अक्सर कहा जाता है की मुस्लिम शासकों ने भारतीय जनता पर ज़ुल्म के पहाड़ तोड़े ..हिन्दू अतिवादी संगठन तो बा काएदा एक चलाकर तस्वीर छापकर मीडिया का सहारा लेकर तमाम मुस्लिम शासकों को महा ज़ालिम खूंख्वार साबित करने की कोशिश करते हैं..ओरन्ग्ज़ेब जेसे नेक शासक को इसका सबसे ज्यादा शिकार बनाया गया..ये आज तक मेरी समझ में नही आया की जो इन्सान राजकोष से एक पैसा भी अपने खर्च के लिए नही लेता टोपी सीकर और कुरान लिख कर अपना और अपनी पत्नी का रिजक हासिल करता हो, तक्वा और अल्लाह का डर उसके दिल में..इतना था की वो मैदाने जंग में भी नमाज़ नही छोड़ता था..ऐसा हाकिम केसे छोटे बच्चों को दिवार में चिनवा सकता है. और तो और जलते तेल में डालना और न जाने क्या क्या .. अगर आज हिंदुस्तान को ओरंगजेब जेसा शासक मिल जाए ..तो किया आज के चोर नेता उससे नज़र मिला सकते हैं..
दूसरी बात ये के अगर मुस्लिम शासकों ने तलवार के जोर पर धर्म परिवर्तन कराया तो ..ये राजपूत जो अपने धर्म ,देश पर मर मिटने के लिए जाने जाते हैं. बहादुर होते थे और हैं भी..ये केसे तलवार के बल पर मुस्लमान हो गए ..आज मुसलमनो में बहुत से राजपूत मोजूद हैं..तलवार के बल पर तो लड़ने मरने मे कमज़ोर मानी जाने वाली जातियां जेसे पंडित और बनिया सबसे पहले मुस्लमान होनी चाहिए थीं ..मगर ऐसा नही है..एक और बात सती, नगा साधुओं का नंगा नाच ये सब इस्लाम में बहुत बुरा माना जाता है इन सबको मुस्लिम शासकों की तलवार क्यों ख़त्म नही केर सकी..क्योंकि मुस्लिम शासकों ने कभी हिन्दू धर्म से कोई छेड़छाड़ नही की..झूट के पुलिंदे तो बहुत सरे बंधे जा सकते हैं पर जब भी निष्पक्ष होकर सोचने बैठोगे तो सच कुछ और ही सामने आता है.. आप सोमनाथ मंदिर का इतिहास उठाकर देख लीजिये वहां होन वाले अत्याचार को खत्म करने के मुस्लिम शासको के प्रशंसनीय प्रयास को देख लीजिये .................
दूसरी बात ये के अगर मुस्लिम शासकों ने तलवार के जोर पर धर्म परिवर्तन कराया तो ..ये राजपूत जो अपने धर्म ,देश पर मर मिटने के लिए जाने जाते हैं. बहादुर होते थे और हैं भी..ये केसे तलवार के बल पर मुस्लमान हो गए ..आज मुसलमनो में बहुत से राजपूत मोजूद हैं..तलवार के बल पर तो लड़ने मरने मे कमज़ोर मानी जाने वाली जातियां जेसे पंडित और बनिया सबसे पहले मुस्लमान होनी चाहिए थीं ..मगर ऐसा नही है..एक और बात सती, नगा साधुओं का नंगा नाच ये सब इस्लाम में बहुत बुरा माना जाता है इन सबको मुस्लिम शासकों की तलवार क्यों ख़त्म नही केर सकी..क्योंकि मुस्लिम शासकों ने कभी हिन्दू धर्म से कोई छेड़छाड़ नही की..झूट के पुलिंदे तो बहुत सरे बंधे जा सकते हैं पर जब भी निष्पक्ष होकर सोचने बैठोगे तो सच कुछ और ही सामने आता है.. आप सोमनाथ मंदिर का इतिहास उठाकर देख लीजिये वहां होन वाले अत्याचार को खत्म करने के मुस्लिम शासको के प्रशंसनीय प्रयास को देख लीजिये .................
मगर स्थिति यह है की तुगलक जो अपने समय से 100 साल आगे की सोचता था को एक तानाशाह और सनकी बादशाह करार दिया गया और वही ठंडे दिमाग से उसके चलायेगाये नियमो को देखे तो यह अपने यूग की सोच रखने वाला शासक कहलायेगा ।
bilkul sahi baat hai tarique bhai, agar aisa hota to hindustan mein ek bhi hindu na hota sab musalman ho gaye hote ya marr gaye hote
ReplyDeleteरामधारी सिंह दिनकर (प्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार)
ReplyDeleteजब इस्लाम आया, उसे देश में फैलने से देर नहीं लगी। तलवार के भय अथवा पद के लोभ से तो बहुत थोड़े ही लोग मुसलमान हुए, ज़्यादा तो ऐसे ही थे जिन्होंने इस्लाम का वरण स्वेच्छा से किया। बंगाल, कश्मीर और पंजाब में गाँव-के-गाँव एक साथ मुसलमान बनाने के लिए किसी ख़ास आयोजन की आवश्यकता नहीं हुई। ...मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) साहब ने जिस धर्म का उपदेश दिया वह अत्यंत सरल और सबके लिए सुलभ धर्म था। अतएव जनता उसकी ओर उत्साह से बढ़ी। ख़ास करके, आरंभ से ही उन्होंने इस बात पर काफ़ी ज़ोर दिया कि इस्लाम में दीक्षित हो जाने के बाद, आदमी आदमी के बीच कोई भेद नहीं रह जाता है। इस बराबरी वाले सिद्धांत के कारण इस्लाम की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई और जिस समाज में निम्न स्तर के लोग उच्च स्तर वालों के धार्मिक या सामाजिक अत्याचार से पीड़ित थे उस समाज के निम्न स्तर के लोगों के बीच यह धर्म आसानी से फैल गया...।
‘‘...सबसे पहले इस्लाम का प्रचार नगरों में आरंभ हुआ क्योंकि विजेयता, मुख्यतः नगरों में ही रहते थे...अन्त्यज और निचली जाति के लोगों पर नगरों में सबसे अधिक अत्याचार था। ये लोग प्रायः नगर के भीतर बसने नहीं दिए जाते थे...इस्लाम ने जब उदार आलिंगन के लिए अपनी बाँहें इन अन्त्यजों और ब्राह्मण-पीड़ित जातियों की ओर पढ़ाईं, ये जातियाँ प्रसन्नता से मुसलमान हो गईं।
कश्मीर और बंगाल में तो लोग झुंड-के-झुंड मुसलमान हुए। इन्हें किसी ने लाठी से हाँक कर इस्लाम के घेरे में नहीं पहुँचाया, प्रत्युत, ये पहले से ही ब्राह्मण धर्म से चिढ़े हुए थे...जब इस्लाम आया...इन्हें लगा जैसे यह इस्लाम ही उनका अपना धर्म हो। अरब और ईरान के मुसलमान तो यहाँ बहुत कम आए थे। सैकड़े-पच्चानवे तो वे ही लोग हैं जिनके बाप-दादा हिन्दू थे...।
‘‘जिस इस्लाम का प्रवर्त्तन हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो ताअला अलैहि व आलिही वसल्लम) साहब ने किया था...वह धर्म, सचमुच, स्वच्छ धर्म था और उसके अनुयायी सच्चरित्र, दयालु, उदार, ईमानदार थे। उन्होंने मानवता को एक नया संदेश दिया, गिरते हुए लोगों को ऊँचा उठाया और पहले-पहल दुनिया में यह दृष्टांत उपस्थित किया कि धर्म के अन्दर रहने वाले सभी आपस में समान हैं। उन दिनों इस्लाम ने जो लड़ाइयाँ लड़ीं उनकी विवरण भी मनुष्य के चरित्रा को ऊँचा उठाने वाला है।’’
—‘संस्कृति के चार अध्याय’
लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 1994
पृष्ठ-262, 278, 284, 326, 317
Chtiya h sala , abe lodu koi b dharm utha k dekh le sab apne aap me mukammal h or upar wala na to hindu h or na musalman ya koi or harmkhor sabse bada dharm insaniat (manavta ) ka h is liye agr koi bhi dharmik book pado to us se gyan lo chahe wo Geeta ,Ved, ya Kuran ho , 0r gandu ab agar to kishi bhi dharm (mazhab) k bare m galat salat likhega to tu sabse pahle apne dharm ko gali de raha h suar sambhal ja waqt h warna qyamt k din teri gand pite gi , Hindu, muslim,shikh, isai, aps me sab bhai bhai to ab bht lad liye ab ek hone ka time aa gaya h........
ReplyDeleteसलाम
ReplyDeleteओरंगजेब ओरंग माने तख्त जेब माने शान अर्थात तख्त की शान क्या वो वाक्य में था हिस्ट्री आप मुझ से बेहतर जानते हैं
दिल्ली में नग्न घुमने वाले दरवेश का कत्ल उसने किया क्यों घूमता था वो नंगा ओरंगजेब का गुनाह उसने अपने तन के कपड़ों से डक रखा था जिन 3 भाईयो को मारकर राजा बना था दरवेश ने उनके सरो को अपने कपड़ों से डक रखा था
ख्वाजा साहब से सलाम का जवाब मिलने पर उसे अक्कल आई। ओर उसने मजारों को तोड़ ना बंद किया