हिन्दू अरबी का शब्द है । हिन्दू शब्द न तो वेद में है न पुराण में नउपनिषद में न आरण्यक में न रामायण
में न ही महाभारत में । स्वयं दयानन्द सरस्वती कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है ।
1875 में ब्राह्मण दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की हिन्दू समाज की नहीं । अनपढ़ ब्राह्मण
भी यह बात जानता है । ब्राह्मणो ने स्वयं को हिन्दूकभी नहीं कहा । आज भी वे स्वयं को ब्राह्मण कहते हैं
लेकिन सभी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं । जब शिवाजी हिन्दू थे और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे तथा
तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे तब भी पूना के ब्राह्मणो ने उन्हें शूद्र कह राजतिलक से इंकार कर दिया।
घूस का लालच देकर ब्राह्मण गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया ।गगाभट्ट ने"गागाभट्टी" लिखा उसमें
उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन राजतिलक के दौरान मंत्र "पुराणों" के ही पढे गए
वेदों के नहीं ।तो शिवाजी को हिन्दू तब नहीं माना । ब्राह्मणो ने मुगलों से कहा हम हिन्दू नहीं हैं बल्कि
तुम्हारी तरह ही विदे
सिन्धु से हिन्दू बना है, बहुत से लोग "स" को "ह" और "य" जो "ज" बोलते हैं. सिन्धु नदी के दक्षिण और
हिमालय के दक्षिण मे रहने वालों को "सिंधू / हिन्दू" कहा गया. इस क्षेत्र के रहने वाले सभी लोग "सिंधू /
हिन्दू" हैं. हम भी उन्हीं में से हैं, राष्ट्री यता हमारी, भारतीय है, धर्म हमारा इस्लाम है. स्वामी विवेकानन्द,
जो स्वयं आर्य समाजी थे, ने कहा कि हिन्दू शब्द एक " मीसनॉमा " (गलत दिया हुआ नाम) है, सही मायनों
में में "वेदान्ती" होना चाहिये. इस्लाम केवल मुसलमानों के लिये नहीं, सारी क़ायनात के लिये है, दुनियाँ के
हर व्यक्ति के लिये है. इस्लाम का अर्थ है, "अपनी ईक्षाओं को अल्लाह / ईश्वर की ईक्षा को समर्पित कर देना
अर्थात्, ईश्वर के बताये हुए क़ानून के हिसाब से चलना. जो इसको अपना लेता है, उसको मुसलमान कहते
हैं. इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो गैर मुस्लिमों को न सिर्फ जीने का अधिकार देता है बल्कि उनकी आर्थिक,
शारीरिक, पारिवारिक और सामाजिक सुरक्षा का भी प्रबंध करता है. एक मुसलमान यदि खाना खा कर सो
जाता है और उसका पड़ोसी (चाहे किसी भी धर्म का हो) भूखा सो गया तो मुसलमान का खाना हराम हो
जाता है, (आस-पास के 40 घर पड़ोसी होते हैं). ज़कात, जज़ियाह, फ़ितरा, सदक़ा और दान यह सब इसी
लिये हैं. आज़ादी के बाद "हिन्दू पॅनल कोड नहीं" "इंडियन / भारतीय पॅनल कोड" बना. उसमें अलग-अलग
मज़हब के लिये अलग-अलग प्रावधान किये गये. मुस्लिम के पास अपनी एक बेहतरीन क़ानून व्यवस्था थी
इस लिये उसको मुस्लिम पर्सानला ला की तरह ले लिया, क्यूंकि हिन्दू व्यवस्था में कोई ऐसा क़ानून नहीं
था, तो उस के लिये एक क़ानून बनाना पड़ा. "हिन्दू मेरिज एक्ट" और टॅक्स के लिये "हिन्दू अविभाजित
परिवार" की व्यवस्था इस का उदाहरण हैं. हम मुसलमान समान सिविल कोड के लिये तैय्यार हैं, लेकिन
उस के लिये पहले विद्वानों को बैठा कर संवाद होना चाहिये और सबसे अच्छी व्यवस्था ले ली जाये. अगर
यह साबित हो गया कि फेरों की जगा "निकाह" और शव को जलाने की जगह दफनाना सही है तो, सब को
मानना पड़ेगा. बात धर्म शास्त्रों के आधार पर होगी न कि अपनी-अपनी आस्था और कहते हैं सुनते हैं और
मान्यता है के आधार पर. -- अंत में आप को खुली चुनौती है कि क़ुरान से एक भी बात, रेफरेन्स और संदर्भ
के साथ, मानवता के विरुद्ध बता दें
सिन्धु से हिन्दू बना है, बहुत से लोग "स" को "ह" और "य" जो "ज" बोलते हैं. सिन्धु नदी के दक्षिण और
हिमालय के दक्षिण मे रहने वालों को "सिंधू / हिन्दू" कहा गया. इस क्षेत्र के रहने वाले सभी लोग "सिंधू /
हिन्दू" हैं. हम भी उन्हीं में से हैं, राष्ट्री यता हमारी, भारतीय है, धर्म हमारा इस्लाम है. स्वामी विवेकानन्द,
जो स्वयं आर्य समाजी थे, ने कहा कि हिन्दू शब्द एक " मीसनॉमा " (गलत दिया हुआ नाम) है, सही मायनों
में में "वेदान्ती" होना चाहिये. इस्लाम केवल मुसलमानों के लिये नहीं, सारी क़ायनात के लिये है, दुनियाँ के
हर व्यक्ति के लिये है. इस्लाम का अर्थ है, "अपनी ईक्षाओं को अल्लाह / ईश्वर की ईक्षा को समर्पित कर देना
अर्थात्, ईश्वर के बताये हुए क़ानून के हिसाब से चलना. जो इसको अपना लेता है, उसको मुसलमान कहते
हैं. इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो गैर मुस्लिमों को न सिर्फ जीने का अधिकार देता है बल्कि उनकी आर्थिक,
शारीरिक, पारिवारिक और सामाजिक सुरक्षा का भी प्रबंध करता है. एक मुसलमान यदि खाना खा कर सो
जाता है और उसका पड़ोसी (चाहे किसी भी धर्म का हो) भूखा सो गया तो मुसलमान का खाना हराम हो
जाता है, (आस-पास के 40 घर पड़ोसी होते हैं). ज़कात, जज़ियाह, फ़ितरा, सदक़ा और दान यह सब इसी
लिये हैं. आज़ादी के बाद "हिन्दू पॅनल कोड नहीं" "इंडियन / भारतीय पॅनल कोड" बना. उसमें अलग-अलग
मज़हब के लिये अलग-अलग प्रावधान किये गये. मुस्लिम के पास अपनी एक बेहतरीन क़ानून व्यवस्था थी
इस लिये उसको मुस्लिम पर्सानला ला की तरह ले लिया, क्यूंकि हिन्दू व्यवस्था में कोई ऐसा क़ानून नहीं
था, तो उस के लिये एक क़ानून बनाना पड़ा. "हिन्दू मेरिज एक्ट" और टॅक्स के लिये "हिन्दू अविभाजित
परिवार" की व्यवस्था इस का उदाहरण हैं. हम मुसलमान समान सिविल कोड के लिये तैय्यार हैं, लेकिन
उस के लिये पहले विद्वानों को बैठा कर संवाद होना चाहिये और सबसे अच्छी व्यवस्था ले ली जाये. अगर
यह साबित हो गया कि फेरों की जगा "निकाह" और शव को जलाने की जगह दफनाना सही है तो, सब को
मानना पड़ेगा. बात धर्म शास्त्रों के आधार पर होगी न कि अपनी-अपनी आस्था और कहते हैं सुनते हैं और
मान्यता है के आधार पर. -- अंत में आप को खुली चुनौती है कि क़ुरान से एक भी बात, रेफरेन्स और संदर्भ
के साथ, मानवता के विरुद्ध बता दें
सिन्धु से हिन्दू बना है, बहुत से लोग "स" को "ह" और "य" जो "ज" बोलते हैं. सिन्धु नदी के दक्षिण और
हिमालय के दक्षिण मे रहने वालों को "सिंधू / हिन्दू" कहा गया. इस क्षेत्र के रहने वाले सभी लोग "सिंधू /
हिन्दू" हैं. हम भी उन्हीं में से हैं, राष्ट्री यता हमारी, भारतीय है, धर्म हमारा इस्लाम है. स्वामी विवेकानन्द,
जो स्वयं आर्य समाजी थे, ने कहा कि हिन्दू शब्द एक " मीसनॉमा " (गलत दिया हुआ नाम) है, सही मायनों
में में "वेदान्ती" होना चाहिये. इस्लाम केवल मुसलमानों के लिये नहीं, सारी क़ायनात के लिये है, दुनियाँ के
हर व्यक्ति के लिये है. इस्लाम का अर्थ है, "अपनी ईक्षाओं को अल्लाह / ईश्वर की ईक्षा को समर्पित कर देना
अर्थात्, ईश्वर के बताये हुए क़ानून के हिसाब से चलना. जो इसको अपना लेता है, उसको मुसलमान कहते
हैं. इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो गैर मुस्लिमों को न सिर्फ जीने का अधिकार देता है बल्कि उनकी आर्थिक,
शारीरिक, पारिवारिक और सामाजिक सुरक्षा का भी प्रबंध करता है. एक मुसलमान यदि खाना खा कर सो
जाता है और उसका पड़ोसी (चाहे किसी भी धर्म का हो) भूखा सो गया तो मुसलमान का खाना हराम हो
जाता है, (आस-पास के 40 घर पड़ोसी होते हैं). ज़कात, जज़ियाह, फ़ितरा, सदक़ा और दान यह सब इसी
लिये हैं. आज़ादी के बाद "हिन्दू पॅनल कोड नहीं" "इंडियन / भारतीय पॅनल कोड" बना. उसमें अलग-अलग
मज़हब के लिये अलग-अलग प्रावधान किये गये. मुस्लिम के पास अपनी एक बेहतरीन क़ानून व्यवस्था थी
इस लिये उसको मुस्लिम पर्सानला ला की तरह ले लिया, क्यूंकि हिन्दू व्यवस्था में कोई ऐसा क़ानून नहीं
था, तो उस के लिये एक क़ानून बनाना पड़ा. "हिन्दू मेरिज एक्ट" और टॅक्स के लिये "हिन्दू अविभाजित
परिवार" की व्यवस्था इस का उदाहरण हैं. हम मुसलमान समान सिविल कोड के लिये तैय्यार हैं, लेकिन
उस के लिये पहले विद्वानों को बैठा कर संवाद होना चाहिये और सबसे अच्छी व्यवस्था ले ली जाये. अगर
यह साबित हो गया कि फेरों की जगा "निकाह" और शव को जलाने की जगह दफनाना सही है तो, सब को
मानना पड़ेगा. बात धर्म शास्त्रों के आधार पर होगी न कि अपनी-अपनी आस्था और कहते हैं सुनते हैं और
मान्यता है के आधार पर. -- अंत में आप को खुली चुनौती है कि क़ुरान से एक भी बात, रेफरेन्स और संदर्भ
के साथ, मानवता के विरुद्ध बता दें
पहला सवाल :- मिस्टर तारिक आज़मी क्या आप बता सकते हैं कि जब आप लोगों की बेगम मरने के बाद जब जन्नत में जाती हैं तो वहां उनके साथ क्या होता है? इस्लाम कहता है कि इन्सान मरने के बाद जन्नत में जाता है तो वहां ७२ हूरें उसकी हर तरह की सेवा करती हैं
ReplyDeleteye bat to apke granth bhi khte h ki admi marne ke bad jannat (swarg ) me jata agar nhi to ap marne ke bad apne purvajon k nam k age swargi kun lgate ho
DeleteWo bhe apne husband k sath jannat m rahenge.
Deleteदूसरा सवाल :- मिस्टर तारिक आजमी क्या आप मानते हैं कि भगवान या गॉड हैं | वैसे तो हम वास्तव में सनातनी हैं पर दुनिया के बाकि हिस्सों के निवासी हमें हिन्दू कहते हैं व आप कोई भी महासागर बताओ जिसका नाम इसाई या इस्लाम के नाम पर है ?
ReplyDeleteArab sagar
Deleteअरे भाई साहब वह एक नदी है वह इंसान तो है नहीं की उसका नाम इस्लाम से ताल्लुक ही हो समझे
Deletehttp://sanatandharma11.wordpress.com/2014/07/14/sanatan-dharma-2/
ReplyDeleteMr. Tarique,
ReplyDeleteSome of your people say,Muhammad was the Incarnation of Vishnu(Kalki), it is totally a fake, But it shows that you all are very impressed with Sanatan Religeon.Zakaria Naik also takes all his examples from the Vedas.Your Islam is just a very very tiny part of Sanatan Religeon.It is just new.And not only you muslims, but also Christians relate themselves with Sanatan Religeon as they wrote a fake Ved named "Yajorvedam".What all this means?It means a great impact of Sanatan Religeon and Indian(Aryawartian) Culture.
Vedas are the world's old most scriptures, Sanatan Religeon is the world's most Honourable and old Religeon.Your arabian(Islamic) culture can't beat the Indian Culture.
Radhe Radhe!
mr.tariq, you know what is halala?......... It is very shamefool for all muslim sisters............ what aboutthat?.......... This is against humanity........
ReplyDeleteDo u neyog it's even more shameful
Deleteअरब देश मे शव जलाने के लिये लकड़ी अौर पेड़ पौधे नहीं पाये जाते इसलिये शवों को दफ़नाया जाता है। समझे तारिक मियाँ!!!!!!
ReplyDeleteHum yaha rehte hai kitni lakdi chaiyea tumhe bolo
DeleteTo fir aap saap k dase hue ko pani m q bahate ho jalate q nai.
Deleteसब बात छोड़ो भारती की बात करो आज के 10 साल 20 साल पहले क्या होता था
Deleteहिंदू धर्म में
(कुछ तथ्य परक बातें)
ReplyDeleteआपने राक्षसों यानि शैतान के बारे में सुना है ! शैतान की सारी निशानियाँ याद कीजिये और फिर 'इस्लाम' के बारे में सोचिये । सारी बाते सारी निशानियाँ एक हैं। शैतान की कुछ निशानियाँ ! !!
(1 ) शैतान को कोई रंग नहीं सिर्फ काला रंग पसंद है । फिल्म या किसी कहानी में शैतान सिर्फ काले कपड़ों में होता है और इस्लाम में भी काला ही पसंद है ।
(2 ) शैतान का उसूल ही खून खराबा है । मारना काटना। जो इनके स्वाभाव में है। ये कभी भी बस मार काट की ही बात करते है और उसी से खुश होते हैं । इनका हर त्यौहार भी खून बहाकर ही मनता है ।
(3 ) शैतान कभी उजाले की और सूर्य की पूजा नही करता । इसी लिए ये सूर्य को नहीं सिर्फ चाँद को मानते हैं । ये सूर्य कीआराधना कर ही नहीं सकते जो अँधेरे को मिटाता है । और शैतान की ताकत अँधेरे में बढती है
(4 ) हिन्दू धर्म में शुक्रचार्य को राक्षसों यानि शैतानों का गुरु माना गया है । शुक्रवार के दिन को ईसाई बेहद अशुभ मानतें है क्योकि इस दिन शैतान की ताकत बढ़ जाती है । उसी दिन को ये मुस्लमान जुम्मे का दिन कहकर खास नमाज़ पढतें है । यानि शैतानी ताकत को सलाम करते हैं।
(5 ) हिन्दू धर्म में सिर्फ महादेव ही ऐसे देव है जो शैतानों ( राक्षसों ) को भी वरदान देते रहें हैं इसीलिए मक्का मदीना में छुपा कर और ढक कर रखे शिव लिंग की ही आराधना करते हैं ।
(6 ) इस्लाम में मूर्ति पूजा को गलत बताया गया है । हिन्दू सिक्ख ईसाई सबने अपने आराध्य की मूर्ति बना रखी है । ये अगर मूर्ति बनाते तो कैसी बनाते ? शैतान की मूर्ति देखकर तो कोई भी समझ जाता कि ये शैतान के पुजारी है। इसीलिए इनमे मूर्ति पूजा नहीं होती।
(7) ये मकसद तो सिर्फ शैतान का हो सकता है कि धरती पर कोई और धर्म ना हो । जो आज इस्लाम का मकसद है। कुरान में लिखा है कि जो अल्लाह को ना माने वो काफ़िर है और उसे काट डालो । सवाब मिलेगा ।यह किसी शैतान की सिख हो सकती हैकिसी भी धर्म के किसी देवता की यह सिख नहीं हो सकती ! ! !
(8 ) क्याइन सारे आतंकवादी गुटों को isis को अलकायदा या तालिबान वालों कोकोई इन्सान कह सकता है। जिस तरह ये मासूमो को काटते मारते हैं। ये शैतान ही हो सकते हैं ।
(9 ) हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है की कलयुग के अंत में आसुरी (शैतानी) शक्तियां बहुत बढ़ जाएगी जो मानवता के लिए खतरा होंगी। नास्त्रेदमस ने भी इन शैतानी ताकतों के बारे में लिखा है। ये वही शैतान है । जो शैतान जिंदाबाद नहीं बोलते बल्कि अल्लाह का नाम ठीक उसी अंदाज में लेते हैं और लोगों को काटते हैं ।
(10 ) ये शैतान हैं । शैतान के वंशज या शैतान के पुजारी हैं इस बात का सबसे बड़ा सबूत ये है कि ये लोगो को मार कर काट कर ही खुश होते हैं। पूरा विश्व इस बात को मानने लगा है किये ही शैतान है जिनसे पुरे विश्व और पूरी मानवता को खतरा है।
(11) अब अगर कोई मुसलमान ये दावा करता है कि उसके अन्दर दया है,रहम है, उसे किसी को मरते देख कर दुःख होता है और वह भी इंसानीजज्बे को महसूस करता है तो उसके बारे में पक्के तौर पर यह दावा किया जा सकता है कि उसके जिस्म में दौड़ने वाला खून किसी शैतानका नहीं बल्कि किसी इन्सान का है और उसके पूर्वजों को धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बनाया गया है और वो शैतान का वंशज नहींहै ।।।
(12 ) भारत के ज्यादातर मुस्लिम धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बने हैं यह बात उस DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चुकी है जिसमे कहा गया था कि हिन्दुस्तान के ज्यादातर मुस्लिमों का DNA हिन्दुओं से मिलता है । अब सारे धर्म वालों को इस्लाम की हकीकत समझनी चाहिएऔर हिंदुस्तान के मुस्लिमों को अपनी हकीकत समझनी चाहिए और हिंदू बनकर सनातन धर्म स्वीकार करके घर वापसी में योगदान देना चाहिए
This comment has been removed by the author.
DeleteFilm bohat dekhega ho lagta hai
DeleteJb tum log apne peda krne wale baap k alawa kise or ko baap nai bol sakte to wo uper wala jisne sare duniya ko peda kiya usko bolte ho 36 karod h.
DeleteSharm aani chaheye.
पहली बात तो हिंदू कोई धर्म ही नहीं और तुमसे पूछना चाहता हूं कि हिंदू शब्द सबसे पहले कहां से आया
DeleteBeta tbhi to logo kaw attraction Islam ki taraf badhta ja rha kyuki waha stri ko izzat, Garib ko roti aur yatim yaani anatho ka acha khayal rakha jata hai.
DeleteTumhare har isme dikhava aur nanga pan hai.
Apne andar zaank ke tum kis andhakar ki khayi me padte ja rhe ho.
Isme parlok ki koi bhi safalta haasil nhi.
(कुछ तथ्य परक बातें)
ReplyDeleteआपने राक्षसों यानि शैतान के बारे में सुना है ! शैतान की सारी निशानियाँ याद कीजिये और फिर 'इस्लाम' के बारे में सोचिये । सारी बाते सारी निशानियाँ एक हैं। शैतान की कुछ निशानियाँ ! !!
(1 ) शैतान को कोई रंग नहीं सिर्फ काला रंग पसंद है । फिल्म या किसी कहानी में शैतान सिर्फ काले कपड़ों में होता है और इस्लाम में भी काला ही पसंद है ।
(2 ) शैतान का उसूल ही खून खराबा है । मारना काटना। जो इनके स्वाभाव में है। ये कभी भी बस मार काट की ही बात करते है और उसी से खुश होते हैं । इनका हर त्यौहार भी खून बहाकर ही मनता है ।
(3 ) शैतान कभी उजाले की और सूर्य की पूजा नही करता । इसी लिए ये सूर्य को नहीं सिर्फ चाँद को मानते हैं । ये सूर्य कीआराधना कर ही नहीं सकते जो अँधेरे को मिटाता है । और शैतान की ताकत अँधेरे में बढती है
(4 ) हिन्दू धर्म में शुक्रचार्य को राक्षसों यानि शैतानों का गुरु माना गया है । शुक्रवार के दिन को ईसाई बेहद अशुभ मानतें है क्योकि इस दिन शैतान की ताकत बढ़ जाती है । उसी दिन को ये मुस्लमान जुम्मे का दिन कहकर खास नमाज़ पढतें है । यानि शैतानी ताकत को सलाम करते हैं।
(5 ) हिन्दू धर्म में सिर्फ महादेव ही ऐसे देव है जो शैतानों ( राक्षसों ) को भी वरदान देते रहें हैं इसीलिए मक्का मदीना में छुपा कर और ढक कर रखे शिव लिंग की ही आराधना करते हैं ।
(6 ) इस्लाम में मूर्ति पूजा को गलत बताया गया है । हिन्दू सिक्ख ईसाई सबने अपने आराध्य की मूर्ति बना रखी है । ये अगर मूर्ति बनाते तो कैसी बनाते ? शैतान की मूर्ति देखकर तो कोई भी समझ जाता कि ये शैतान के पुजारी है। इसीलिए इनमे मूर्ति पूजा नहीं होती।
(7) ये मकसद तो सिर्फ शैतान का हो सकता है कि धरती पर कोई और धर्म ना हो । जो आज इस्लाम का मकसद है। कुरान में लिखा है कि जो अल्लाह को ना माने वो काफ़िर है और उसे काट डालो । सवाब मिलेगा ।यह किसी शैतान की सिख हो सकती हैकिसी भी धर्म के किसी देवता की यह सिख नहीं हो सकती ! ! !
(8 ) क्याइन सारे आतंकवादी गुटों को isis को अलकायदा या तालिबान वालों कोकोई इन्सान कह सकता है। जिस तरह ये मासूमो को काटते मारते हैं। ये शैतान ही हो सकते हैं ।
(9 ) हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहा गया है की कलयुग के अंत में आसुरी (शैतानी) शक्तियां बहुत बढ़ जाएगी जो मानवता के लिए खतरा होंगी। नास्त्रेदमस ने भी इन शैतानी ताकतों के बारे में लिखा है। ये वही शैतान है । जो शैतान जिंदाबाद नहीं बोलते बल्कि अल्लाह का नाम ठीक उसी अंदाज में लेते हैं और लोगों को काटते हैं ।
(10 ) ये शैतान हैं । शैतान के वंशज या शैतान के पुजारी हैं इस बात का सबसे बड़ा सबूत ये है कि ये लोगो को मार कर काट कर ही खुश होते हैं। पूरा विश्व इस बात को मानने लगा है किये ही शैतान है जिनसे पुरे विश्व और पूरी मानवता को खतरा है।
(11) अब अगर कोई मुसलमान ये दावा करता है कि उसके अन्दर दया है,रहम है, उसे किसी को मरते देख कर दुःख होता है और वह भी इंसानीजज्बे को महसूस करता है तो उसके बारे में पक्के तौर पर यह दावा किया जा सकता है कि उसके जिस्म में दौड़ने वाला खून किसी शैतानका नहीं बल्कि किसी इन्सान का है और उसके पूर्वजों को धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बनाया गया है और वो शैतान का वंशज नहींहै ।।।
(12 ) भारत के ज्यादातर मुस्लिम धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बने हैं यह बात उस DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चुकी है जिसमे कहा गया था कि हिन्दुस्तान के ज्यादातर मुस्लिमों का DNA हिन्दुओं से मिलता है । अब सारे धर्म वालों को इस्लाम की हकीकत समझनी चाहिएऔर हिंदुस्तान के मुस्लिमों को अपनी हकीकत समझनी चाहिए और हिंदू बनकर सनातन धर्म स्वीकार करके घर वापसी में योगदान देना चाहिए
Absolutely right
DeleteAbsolutely right
Deleteयह लोग और ईनका धर्म हि आतंकवाद का मूल है । ईन्हे भूतल से नष्ट करना होगा
ReplyDeletesab se accha islam dharm hai
ReplyDeleteYe azmi tariq koi mental hi lagta hai
ReplyDeleteरावण ब्राह्मण था तो शूर्पणखा राक्षस कैसे हो गई।
ReplyDeleteसारे के सारे देवता राजपूत वंश या राजा के बेटे ही क्यो है।
सारी देवियो के हाथ मे हथियार क्यो है।क्या हथियार वाले शांति के पुजारी है।
Mr. Manzoor Suernakha Uski Muh Boli Bhan Thi
ReplyDeleteसबसे बडा सवाल यह है कि सरस्वती को प्रेग्नेंट किसने किया?
ReplyDeleteजो कोई बताएगा उसे इनाम दिया जाएगा 😂😂😂
यहां धर्म की बाते हो रही कृपा करें अश्लीलता न फैलाएं
DeleteTeri amma ko tere baap ne pregnant nahi kiya ye baat pakki hai
DeleteWo brahma ki beti the or brahma c he pragenant hue
Deleteआपके हजरत ने तो अपनी बेटी से ही विवाह कर लिया,
ReplyDeleteआप ये बताएं आप रमज़ान क्यूं मनाते हैं
गुड
ReplyDeleteनमो बुध्दाय
ReplyDeleteTu log khud saitan ho..tum khud ek gali ho..pap ho dharti pe...tum log mar kyu jate.....jai sanatan
ReplyDeleteइस्लाम,ईसाई धर्मवालों तुम्हारे कुरान,बाइबल की जाहिलियत व अवैज्ञानिकता धरती चपटी लिखे होने से ही साफ हो जाती है।
ReplyDeleteजन्नत का ख्वाब दिखाने,दूसरे धर्म से नफरत सिखाने वाले खोखले,वाहियात धर्म छोड़ो,अपने व दुसरो के जीवन को जहुन्नम मत बनाओ।
अपने पुरखो के ईश्वरीय सनातनी धर्म में वापस आओ।
Beta tarique kabhi mil to islam ki oukad batate h hm tumhe beta samjha hm tere bap hi honge history me
ReplyDeleteAlso Read आजकल हिन्दू भावनाओं को आहत करने का चलन क्यों बन रहा है? here https://hi.letsdiskuss.com/why-is-the-practice-of-hurting-hindu-sentiments-nowadays
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