Wednesday, 14 December 2011

लखनऊ शहर में फिर मुसलमानों पर ज़ुल्म हुवा

लखनऊ की कल सुबह सुहानी थी ठण्ड ने अपनी दस्तक जोर से दी और सभी ठिठुर रहे थे की तभी दोपहर में सूरज ने अपनी झलक लखनऊ वालो की दिखाई थी अचानक कुछ गर्म माहोल समझ में आया पता करने पर पता चला की चारबाग में कुछ माहोल गरम है मै तुरंत वह पंहुचा हालात काफी तनाव वाले थे मुस्लमान सड़क पर मस्जिद के आगे भीड़ लगा कर खडे थे मैने वजह पता की जानकर ताज्जुब हुवा
चारबाग स्टेशन के ठीक सामने एक मस्जिद है जिसकी तामीर हो रही है वह उससे सटा हुवा एक होटल है किसी सरदार का उसने मस्जिद की पीछे वाली दिवार गिरा दी थी और पुलिस वालो के मौजूदगी में ......... मस्जिद में मीटिंग चल रही थी मैने वह जाकर शिरकत की SDM साहेब भी मौजूद थे उनका कहना यह था की उस होटल वाले ने गलत किया है काफी देर तक सिर्फ बात होती रही असर का वक्त हो गया नमाज़ हुई उसके बाद फिर बात का दौर चला मैने महोदय से पूछा की जनाब अगर ये होटल किसी मुस्लमान का होता और उसने मंदिर की दिवार तोड़ दी होती तो अब तक उसके खानदान की माँ बहन एक हो गयी होती और यहाँ ये हालात है की आप २ बजे से सिर्फ बाते कर रहे है बातो के अलावा कुछ नहीं कर रहे है यह सुनकर वो महोदय कुछ बोलते तभी अलिमो ने मेरी बात का समर्थन किया और कहा अब बात नहीं होगी एक्शन होगा अलीम मेरे साथ बहार निकले और नारा बुलंद करते हुवे सती हुवे चारबाग चौराहे पर अगये | पीछे पीछे हजारो की तादात में मुस्लमान चौराहे पर जाम कर दिया और शांति से नारा लगा रहे थे तभी पुलिस वालो की तरफ से हवाई फायरिंग चालू हो गयी लोगो को बचा कर और अलिमो को बचा कर किनारे किया फिर पुलिस का तांडव लाठी चार्ज और रास्ता बंदी मगर मुस्लमान पीछे नहीं हटे देर रात तक हालात काफी नाज़ुक थे कुछ पोलिस वालो का खाना पूर्ति के लिए ट्रान्सफर हुवा है
हालात अभी भी तनाव में है |

4 comments:

  1. AB KI BAAR MAYA KO HATANA HI HOGA ....

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  2. aur aazam ko lana hai insha allah

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  3. taique bhai ...hum aap ke sath hai.

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  4. वेदों में बैल को मारकर खाने का आदेश है?
    समाधान- यह भी एक भ्रांति है कि वेदों में बैल को खाने का आदेश है। वेदों में जैसे गौ के लिए अघन्या अर्थात न मारने योग्य शब्द का प्रयोग है उसी प्रकार से बैल के लिए अघ्न्य शब्द का प्रयोग है।

    यजुर्वेद 12/73 में अघन्या शब्द का प्रयोग बैल के लिए हुआ है। इसकी पुष्टि सायणाचार्य ने काण्वसंहिता में भी की है। इसी प्रकार से अथर्ववेद 9/4/17 में लिखा है कि बैल सींगों से अपनी रक्षा स्वयं करता है, परंतु मानव समाज को भी उसकी रक्षा में भाग लेना चाहिए।

    अथर्ववेद 9/4/19 मंत्र में बैल के लिए अघन्य और गौ के लिए अघन्या शब्दों का वर्णन मिलता है। यहां पर लिखा है कि ब्राह्मणों को ऋषभ (बैल) का दान करके यह दाता अपने को स्वार्थ त्याग द्वारा श्रेष्ठ बनाता है। वह अपनी गोशाला में बैलों और गौओं की पुष्टि देखता है।

    अथर्ववेद 9/4/20 मंत्र में जो सत्पात्र में वृषभ (बैल) का दान करता है उसकी गौएं संतान आदि उत्तम रहती हैं।

    इन उदाहरणों से यह सिद्ध होता है कि गौ के साथ-साथ बैल की रक्षा का वेद संदेश देते हैं।

    शंका 9. वेद में वशा/ वंध्या अर्थात वृद्ध गौ अथवा बैल (उक्षा) को मारने का विधान है?
    समाधान- शंका का कारण ऋग्वेद 8/43/11 मंत्र के अनुसार वन्ध्या गौओं की अग्नि में आहुति देने का विधान बताया गया है। यह सर्वथा अशुद्ध है।

    इस मंत्र का वास्तविक अर्थ निघण्टु 3/3 के अनुसार यह है कि जैसे महान सूर्य आदि भी जिसके प्रलयकाल में (वशा) अन्न व भोज्य के समान हो जाते हैं, इसका शतपथ 5/1/3 के अनुसार अर्थ है पृथ्वी भी जिसके (वशा) अन्न के समान भोज्य है ऐसे परमेश्वर की नमस्कारपूर्वक स्तुतियों से सेवा करते हैं।

    वेदों के विषय में इस भ्रांति के होने का मुख्य कारण वशा, उक्षा, ऋषभ आदि शब्दों के अर्थ न समझ पाना है। यज्ञ प्रकरण में उक्षा और वशा दोनों शब्दों के औषधिपरक अर्थ का ग्रहण करना चाहिए जिन्हें अग्नि में डाला जाता है। सायणाचार्य एवं मोनियर विलियम्स के अनुसार उक्षा शब्द के अर्थ सोम, सूर्य, ऋषभ नामक औषधि है।

    वशा शब्द के अन्य अर्थ अथर्ववेद 1/10/1 के अनुसार ईश्वरीय नियम वा नियामक शक्ति है। शतपथ 1/8/3/15 के अनुसार वशा का अर्थ पृथ्वी भी है। अथर्ववेद 20/103/15 के अनुसार वशा का अर्थ संतान को वश में रखने वाली उत्तम स्त्री भी है।

    इस सत्यार्थ को न समझकर वेद मंत्रों का अनर्थ करना निंदनीय है।

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