हम लोगो यानि मैने आफताब फाजिल सोहराब अली नसीम निगार हिंद रफीक देलही रफीक चुरिमियां जाबिर भाई वगैरह ने काफी मेहनत की किसी ने २ तो किसी ने ३-४ साल लगातार मेहनत की कि मुसलमानों को उनका हक़ मिले हमे सियासत के गलियारे में दाखिला मिले इन नामो में अगर मैने अगर अनवर चौहान का नाम न लिया तो थोडा बैमानी होगी भले ही मेरी उनसे वसूलो के बातो पर पटरी न खपाई मगर मेहनत उन्होने भी कि कि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को उनका हक़ dilwatey है नतीजा क्या आया देखते है
बहुजन समाज पार्टी के पैसो से कड़ी पार्टी पीस पार्टी ने कुछ सीते निकली और थोडा हनक दिखाने कि अभी कोशिश कि थी कि धोती के अन्दर भगवा चड्ढी पहने मुलायम नाम के मक्कार को पूरा बहुमत हम मुसलमान थाली में सजा कर दे चुके थे वरना जितना डाक्टर अय्यूब को मई जनता हु वो इंसान ज़रूर सौदा करता और कोई हनक वाला ओहदा पता मगर हम मुस्लमान................. सिर्फ मुह्ज़ोरिया करते है
थोड़ी कामयाबी सिर्फ एक साल से बनी पार्टी कौमी एकता दल के मुख़्तार अंसारी के खाते में आई जिन्हों ने २ सीट जीती और ३ सीटो पर बढ़िया टक्कर दी अगर मुस्लमान साथ देता तो ये ५ हो जाती अब देखते है बाकि कि पार्टियों का रंग जो मुसलमानों के नाम पर लड़ी
ओलिमा कौंसिल मौलाना आमिर रशदी उम्दा इंसान है बस थोडा जज्बाती है और अकाल जब बात रही थी तो सबसे आगे खडे थे इस लिए फरिश्तो ने चुटकी से अकाल दी जिसमे इनकी कोई गलती नहीं है बेचारे के पास जो है भी वो hamesha गलत जगह इस्तिमाल हो जाती है चाहे वो रशीद के कतला में इनकी गवाही हो या फिर एक करोड़ कि माला पहनने कि बात या फिर स्वामी को गले लगाने कि बात वरना ये लगभग ५-८ सीट ज़रूर जीतते मगर जितना चाहेंगे तब न ये तो सिर्फ चुनाव को लड़ना चाहे थे लड़ गई अपने घर तक में हार बैठे
आंबेडकर समाज पार्टी :- भाई तेज सिंह को हो सकता है मेरी बात बुरी लगे मगर भाई सच यही है कि हमारी कौम ने साथ दिया या नहीं दिया आपका मगर आपके अपने लोगो ने आपका साथ नहीं दिया है charkhari में आपका चुनाव लडने का फैसला वाकई काबिल-इ-तारीफ कदम था मगर लड़ाई कि तरह लड़ाई आप नहीं लड़ सके वरना आपके karyakarta हम लोगो से sampark करते और जब मैने आपके २ लोगो को मुख़्तार भाई से मिलवाया था तो फिर वो गटबंधन आज आपकी पार्टी में २ सीटो को दे गया होता भाई ओने मन शो नहीं चलता है कामो को बाताना पड़ता है खाई मगर वोते % बढ़िया रहा है आपका इंशा अल्लाह हम दोनों अगर मेरा हौसला (जो अब टूटा हुवा लग रहा है) कायम रहा तो साथ काम कर सकते है
सोसिअल देमोकरेतिक पार्टी ऑफ़ इंडिया : इस पार्टी ने दस सीटो पर इलेक्शन लडवाया मगर मुगालते में बैठे inkey सूबे के सदर साहेब ने माशा अल्लाह इतना वोट पाया कि मशीने ख़राब हो गई गिन नहीं पा रही थी log गिनती bhool gaye और वो वोट था २७६ जिसमे से लगभग मेरे खाते का १००-१५० था जो मैने उनसे बिना मिले अपने जानने वालो को कहकर दिलवाया था पुरी इलेक्शन में लगा ही नहीं कि ये साहेब खुद भी चुनाव लड़ रहे है बस ऐसा लगा कि भाई साहेब कांग्रेस के डमी candidate है मेरी रफीक भाई से बात हुई थी उनके वालिद मोहतरम से भी मेरी गुफ्तगू हुई थी मैने उनके मुहब्बत कि वजह से इनसे फ़ोन पर बात कि भाई साहेब ने सलाम दुवा के बाद मुझसे कहा कि आप कहा है मैने बताया कि मै अभी कानपुर में हु साहेब इन्हों ने इरशाद फ़रमाया कि आप मेरे घर पर आइये बैठ कर बाते होती है भाई मेरी अना mujhey जाने से रोक लुया और मै गया जी नहीं वैसे ये भाई साहब इतना ज़रूर जानते है कि अगर हम दोनों साथ में chaltey तो ये वोट shayad हज़ार में होता ............
IUML :- मुस्लिम लीग नाम से मशहूर ये पार्टी कि कमान थी जनाब अनवर चौहान साहेब के हाथो में उनसे मेरे अपने सिर्फ कुछ वसूलो का टकराव था वो भी उनके कुछ लडके टाइप के कार्यकर्ताओ कि वजह से वरना अनवर चौहान साहेब ने मेहनत काफी कि थे मगर चुनाव के पहले ही भाई साहेब को हटा कर उनके एक दरबारी को बागडोर दे दी गई नतीजा क्या हुवा पार्टी कही से चुनाव ही नहीं लड़ पी जबकि हकीकत ये भी है कि मैने अपने candidates नहीं लाद्वाई थे कि अनवर साहेब को मै समर्थन देकर एक को निकलवा दूंगा हुवा उल्टा न मै लड़ सका न वो लड़ सके खैर हम दोनों ही काफिले कि गुबार देखते रहे
अब बाते मुसलमानों कि हम लोगो कि itani मेहनत थी कि सिर्फ आप अपने पार्टी को वोट दे मगर ८० सीटो पर लादे कौमी एकता दल के गटबंधन को सिर्फ २ सीटे मिल पाई बाकि जगह में से ३ छोड़ कर कही भी ५००० पार नहीं कर पाई ओलिमा काउन्सिल के आमिर रशदी साहेब जैसे भी हो लगभग ३५ सीट लडे एक दो को छोड़ कर कही वो हज़ार का अकड़ा भी पार नहीं कर पाये क्या यही थी हम लोगो कि मेहनत जो हम लोगो ने सालो से कि
अब फैसला आप करो कि हौसला हमारा टूटना चाहिए या नहीं
agar musalman ek hota to saare muslim vote congress ko hi jaate sahi kaha ki muslim hi ke nahi ho paya
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