Sunday, 8 April 2012

नीलम खान -- पूर्वांचल की IRON लेडी के साथ कांग्रेस का धोखा

नीलम खान का पहले मै आप सबको परिचय करवा देता हु ये है कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य बनारस की जन्मी नीलम खान की शादी कांग्रेस के एक जुझारू मुस्लिम नेता नुसरत खान के साथ हुई एक सीढ़ी सधी घरेलू महिला ने अपनी शादी के बाद गरेलू जीवन हसी ख़ुशी बिताना शुरू किया तीन छोटे छोटे बच्चे और पति ये थी उसकी पूरी दुनिया उसको क्या पता था की उसके पति की मुस्लिमो की हमदर्दी उसके लिए मुसीबते लेकर आरही है बात उन्दिनो की है जब मुसलमानों को 1997 में छात्रवृत्ति के नाम का ढकोसला शुरू हुवा था इसको ढकोसला कहना सही होगा क्योकि उस वक्त बनारस के मुस्लमान लडको से उनके कागज़ात जमा करवा लिया जाता था और पैसा उस वक्त के एक मंत्री के जेब में जाता था । नुसरत साहेब काफी जुझारू नेता थे फिर क्या उन्हों ने उठा लिया बीड़ा इन्साफ दिलवाने का और लग गए इन्साफ की लड़ाई में दिन था १३ जनवरी १९९९ की दोपहर १० बजे का समय था उस वक्त के शिक्षा मंत्री वीरेंदरसिंह अपने घर पर मौजूद थे बनारस में नुसरत साहेब ने उनके घर के आगे मंत्री जी से प्रोटेस्ट किया मंत्री जी के सामने आत्मदाह की कोशिश की और बेचारे अल्लाह को प्यारे हो गए उनकी फाइल मंत्री जी ने धुल खाने को भेज दी थाने में और उसपर आजतक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई । और यही से शुरू हुवा नीलम खान की मुफलिसी का दौर
तीन छोटे छोटे यतीम बच्चे और भूख ।
इत्तिफाक से मै भी उनके पड़ोस में रहता हु सारे मुहल्ले के बुजुर्गो ने मिलकर एक मीटिंग की और नीलम खान को सभासदी का चुनाव लड़वाने का फैसला किया गया वो घरेलु औरत चुनाव लड़ी और उसकी जीत हुई जीत भी ऐसी की सबकी ज़मानत ज़ब्त हो गयी यहाँ से उसका राजनीतिक सफ़र शुरू हुवा समाज सेवा का जज्बा दिल में रख कर समाज सेवा शुरू की और जल्दी ही शहर में उनकी पहचान बन गयी । सन २०१२ के विधान सभा चुनाव में अपनी उम्मेदवारी उन्होने पेश की जो सबसे बेहतर उम्मेदवार भी थी ये वह के पुरवा सांसद राजेश मिश्र को पसंद नहीं आया की वो इतना ऊपर कैसे बढ़ सकती है और उनको दर सताने लगा की अगर उसको टिकट मिला तो वो जीत जाइगी और कही ऐसा न हो की विधायक बनने के बाद अपने पति की फाइल को दुबारा खुलवा ले और उसमे उनके दोस्त वो पुरवा मंत्री फंस न जाये ।
यही सोच लेकर उन्होने टिकट दिया (या दिलवाया) दयालु मिश्र को (जिनके पैंट के नीचे भगवा चड्ढी है ) ये मिश्र जी RSS के पुराने कार्यकर्ता रहे है । उस विधान सभा में ६३% वोट मुसलमानों का होने के बाद भी एक ऐसे आदमी को टिकट दिया गया जो भगवा चड्ढी धरी था जिसपर नीलम ने प्रोटेस्ट किया जिसमे बडे नेताओ  ने कहा की आपको उतरी से टिकट देता हु जिसके लिए राजेश मिश्र ने हा भी किया मगर मिश्र जी दिल के कमज़ोर इंसान है वो अगये बसपा से की एक नेता क हुस्न के चक्कर में और उनको बसपा से बुलाकर कांग्रेस का टिकट दिया फिर क्या था दोनों सीटे जीती भाजपा ने क्योकि राजेश मिश्र जी उसको ही जिताना चाहते थे और  मुसलमानों को मुह की खानी पड़ी 
तो ये है कांग्रेस में मुसलमानों की औकात फिर भी ३८% रायबरेली में हमारी जम्हूरियत के बाद लोग राहुल गाँधी को जीतते है और राहुल बाबा मुह उठा कर कहते है की अगर कोई मिला इस काबिल तो मुस्लमान भी प्रधान मंत्री बनेगा मै कहना चाहता हु राहुल जी नज़र उठाओ एक नहीं एक हज़ार मिल जाएगी ।सबको छोडो ३ महिना और मै खुद देश से आतकवाद और गरीबी दूर कर दूंगा ।
मगर आपको कोई नहीं दिखेगा राहुल जी क्योकि आपकी आँखों पर भी धर्म का चश्मा चढ़ा है और आपकी पैंट के नीचे भी भगवा चड्ढी है । इस बार लोकसभा चुनाव में आपको कला झंडा दिखाने के साथ ही मै दावा करता हु की वहा क मुसलमानों को एक करूँगा की आप हार का मुह देख ले ।

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