Monday, 2 July 2012

मुसलमानों के 50 से ज़्यादा घर जलाकर राख कर दिए गए


प्रतापगढ़ ज़िले के अस्थान गाँव में मुसलमानों के 46 से ज़्यादा घर जलाकर राख कर दिए गए हैं, साजिश और दुर्भावना को देखते हुए मुझे तो यकबारगी ऐसा ही लगा कि क्या यूपी में मोदी की सरकार है? मुस्लिम बहुल इलाके में घुस कर पुरे गाँव में हिन्दुओं ने उन्हें उनके घर जलाने के बाद खदेड़ कर गाँव के बाहर कर दिया और सभी लोगों लोगों को मजबूरन पास के बारे इलाके में स्थित एक मदरसे में पनाह लेनी पड़ी. जैसा कि आप तस्वीरों में देख रहे हैं कि किस तरह पीड़ित परिवारों की  महिलाओं और बच्चो सहित पूरा परिवार स्कूल में पनाह लिए हुए है. गुजरात में हुआ ठीक उसी तर्ज पर हिन्दुओं ने पुलिस की मौजूदगी में इस तरह का दुष्कृत्य किया जिससे मानवता शर्मशार तो हुई ही साथ ही साथ भारतीय लोकतंत्र को भी गहरा आघात पहुंचा था, ठीक वही पिछले शनिवार प्रतापगढ़ में हुआ. बड़े पैमाने पर जो आगज़नी जो क्रुद्ध भीड़ ने मुस्लिम घरो में की उससे देख कर यूपी में सपा सरकार को बहुमत से बनवाने में ठगा सा महसूस कर रहा है मुसलमान क्यूंकि अभी कोसी कलां में भी इसी तर्ज पर मुस्लिम घरो को 
 तबाह व बर्बाद किया गया. मुसलमानों के घर जलाने के पीछे जिस तरह से बल्वाईयों को सपोर्ट और तत्परता में ढीलाई शासन स्तर से की गयी वहशासन तंत्र में गुसपैठ कर चुकी संघी सोच को दर्शाता है.बहाना और आरोप था कि एक हिन्दू लड़की का बलात्कार किया गया और उसे मार डाला गया. जिस व्यक्ति पर आरोप था उसे जानबूझ कर पुलिस ने थाने पर ही रखा जबकि उस पर कारवाई करके जेल भेज देना चाहिए. इस बीच शरारती तत्वों को इस पूरे षड्यंत्र को करने के लिए भरपूर वक़्त मिला और उन्हें शासन द्वारा स्वतंत्रता भी दी गयी. एक दिन के बाद पोस्टमार्टम के बाद लड़की के शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा थानियोजित तरीके से सड़क पर रखा गया था और लगभग 10000 (दस हज़ार) क़ी हिन्दुओंभीड़ ने मुस्लिम बुनकर बहुल गाँव अस्थान में घुस कर हर घर में खूब तबाही मचाई. उन्होंने हर घर को तहस-नहस कर दिया और गैस के सिलेंडरों को घर को उड़ाने में इस्तेमाल किया और औरतों और बच्चों पर ज़ुल्म किया. हिन्दुओं (बल्कि आतंकवादिओं) का तांडव यही नहीं रुका उन्होंने मस्जिद में भी आग लगा दी और यह सब तांडव सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलता रहा और न तो थाने से न तो शासन स्तर पर कुछ भी कार्यवाही क़ी गयी जबकि थाने के कर्मचारी वहां मौजूद थे. शाम को सादे छ्ह् बजे के बाद पुलिस ने लोगों को बचाने का काम शुरू किया. अस्थान गाँव के लोगों का कहना है कि दंगाईयों में सपा के नेता भी थे. 

इस तरह से एक बार फिर मुसलमान बलि का बकरा बन गया. सबसे हैरानी क़ी बात यह है कि इसी प्रतापगढ़ से 2 कैबिनेट मंत्री राजा राम पाण्डेय  और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया हैं लेकिन उन दोनों में कोई भी बचाव के लिए नहीं आया. मैं बतात चलूँ कि निर्दलीय राजा भैया को जब सीएम् अखिलेश यादव ने मंत्री मंडल में शामिल किया था तो मीडिया समेत कई मुस्लिम लीडर और खासकर मुस्लिम तबक़ा नाराज़ भी था क्यूंकि सभी राजा भैया क़ी संघी सोच से वाकिफ़ हैं. वैसे अस्थान गाँव में कई बस्तियां है और पिछली बार यहाँ के इतिहास में पहली दफ़ा मुस्लिम प्रधान चुनी गयी जिसका नाम रेशमा पत्नी निजाम अंसारी है. इस बात को लेकर भी कुख्यात राजा भैया खासा नाराज़ थे.
दंगे के बाद जैसा कि होता आया है कि मुआवज़े क़ी घोषणा क़ी गयी लेकिन उन हज़ारों मुसलमानों का क्या होगा जिसका सब कुछ तहस नहस हो गया है. वे तो ज़िन्दगी क़ी उस दहलीज़ पर आ कर खड़े हो गए हैं जहाँ उनके पास कुछ भी नहीं. न घर, न सामान, न कपड़ा और न खाने को अनाज. उन मुस्लिम लोगों के दिलों में इस क़दर हिन्दू दंगाईयों क़ी दहशत तारी हो गयी कि वे एक सप्ताह बाद भी अपने घरो का रुख न कर सके और उसी बरई स्थित मदरसे में पनाह लिए रहे. 

हालाँकि दंगे के बाद मुस्लिम लीडर्स क़ी भूमिका को संतोषजनक कहा जा सकता है. इमाम बुखारी भी अखिलेश यादव से मिले और उचित मुआवज़े क़ी पुरज़ोर मांग क़ी. वहीँ जमीयतुल उलेमा, पसमांदा मुस्लिम समाज सहित के कई मुस्लिम समूहों ने दौरा किया. मुस्लिम समूहों की एकजुटता और 
इन यात्राओं का परिणाम था कि मुख्यमंत्रीअखिलेश यादव अपने तीन मंत्री पारसनाथ यादव,अवदेश प्रसाद, नरेन्द्र वर्मा और विधायक गायत्री प्रजापतिऔर महाराष्ट्र के विधायक अबू असीम आजमी के अलावारामलाल अकेला सहित 50 कारों के काफिले के साथ गांव मेंपहुंचे और अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात क़ी. आखिर में 3.5 लाख रूपये और शष्त्र लाईसेंस और गाँव में एक स्कूल के इतिजाम क़ी मांग क़ी जिसे अखिलेश यादव ने पूरा करने का वादा किया. सपा के फायर ब्रांड नेता आज़म खान ने भी इस मामले में हस्तेक्षेप करते हुए हर परिवार के लिए पका मकान बनवाने क़ी घोषणा क़ी.

लेकिन क्या महज़ मुआवज़े मात्र से यह समस्या ख़त्म हो जाती है. इस घटना और पूर्व क़ी कोसी कलां क़ी घटना को और पूर्व में गुजरात सहित अन्य घटनाओं का गहन अध्ययन करने से कई खतरनाक तथ्य सामने आते हैं जिसमें से प्रमुख रूप से तीन मैं आपको बताता हूँ:::
एक तो प्रशासन स्तर पर संघी सोच वालों क़ी पूर्वाग्रही सोच का विस्तार होना वहीँ दूसरी तरफ जैसा क़ी सुनियोजित तरीके से हर हिन्दू के मन में मुसलमानों के खिलाफ ज़हर बोने का काम बीजेपी और संघी सोच वाले कर रहे है. वस्तुतः दलित हिन्दू हो या सवर्ण सभी के मन में मुस्लिम के प्रति ज़हर भरा जा रहा है तीसरी चीज़ यह है कीदेश भर में बाज़ार, आस्था और देशभक्ति को सिर्फ और सिर्फ हिदुत्व के चश्में से देखने के लिए हर हिन्दू को सिखाया जा रहा है. हालाँकि शुक्र है भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और अभी भी यहाँ संघी सोच न रखने वालों क़ी संख्या ज़्यादा है और शुक्र है उत्तर प्रदेश में 'मोदी' मानसिकता क़ी सरकार नहीं है.
With thanks 




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