-वेदों
में कैसी-कैसी अश्लील बातें भरी पड़ी है,इसके कुछ नमूने आगे प्रस्तुत किये
जाते हैं (१) यां त्वा .........शेपहर्श्नीम || (अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ :
हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित
करो जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था.
(२) अद्द्यागने............................पसा:||
(अथर्व वेद ४-४-६) अर्थ: हे अग्नि देव, हे सविता, हे सरस्वती देवी, तुम इस
आदमी के लिंग को इस तरह तान दो जैसे धनुष की डोरी तनी रहती है
(३) अश्वस्या............................तनुवशिन
|| (अथर्व वेद ४-४-८) अर्थ : हे देवताओं, इस आदमी के लिंग में घोड़े,
घोड़े के युवा बच्चे, बकरे, बैल और मेढ़े के लिंग के सामान शक्ति दो
(४) आहं तनोमि ते पासो अधि ज्यामिव धनवानी, क्रमस्वर्श इव रोहितमावग्लायता (अथर्व वेद ६-१०१-३) मैं तुम्हारे लिंग को धनुष की डोरी के समान तानता हूँ ताकि तुम स्त्रियों में प्रचंड विहार कर सको.
(५) तां पूष...........................शेष:||
(अथर्व वेद १४-२-३८) अर्थ : हे पूषा, इस कल्याणी औरत को प्रेरित करो ताकि
वह अपनी जंघाओं को फैलाए और हम उनमें लिंग से प्रहार करें.
(६) एयमगन....................सहागमम
|| (अथर्व वेद २-३०-५) अर्थ : इस औरत को पति की लालसा है और मुझे पत्नी की
लालसा है. मैं इसके साथ कामुक घोड़े की तरह मैथुन करने के लिए यहाँ आया
हूँ.
(७) वित्तौ.............................गूहसि
(अथर्व वेद २०/१३३) अर्थात : हे लड़की, तुम्हारे स्तन विकसित हो गए है. अब
तुम छोटी नहीं हो, जैसे कि तुम अपने आप को समझती हो। इन स्तनों को पुरुष
मसलते हैं। तुम्हारी माँ ने अपने स्तन पुरुषों से नहीं मसलवाये थे, अत: वे
ढीले पड़ गए है। क्या तू ऐसे बाज नहीं आएगी? तुम चाहो तो बैठ सकती हो, चाहो
तो लेट सकती हो.
रामायण तो मैंने पड़ी है ओउर हमारे पुरखों ने
लिखी भी है रामायण में शुरू से आखरी तक सेक्स ही सेक्स भरा है उदहारण के
लिए दशरथ के ४ रानियाँ थी जिनके साथ वो सेक्स करता था लक्ष्मण को सेक्स की
भूक नहीं थी इस लिए वो उर्मिला को जंगल में नहीं ले गया रावन को सेक्स की
भूक थी इसलिए वो सीता को पकड़ ले गया ओउर २ साल तक अपनी सेक्स की आग भुजता
रहा नरम को सेक्स की भूक बिउल्कुल भी नहीं थी तभी उन्होंने सीता को फिर
जंगल में भेज दिया लव कुश सेक्स के द्वारा ही पैदा हुए बहुत कुछ है रामायण
में सेक्स के बारे में
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ReplyDeleteTere jaise Gaddar hi hai jo kisi ke Dharam ko bina baat koste hai.
DeleteTum jaise log Desh ke barey me kuch nahi soch sakte.Bus kise ke dharam ko badnaam kar sakte ho.
Isse achhaa hota tum apne dimaag ki bimaari door kar lete to ye desh tarrakki kar jata.
U are just a negative person.
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ReplyDeleteशाले बेतुक का भाषा रुपान्तरण करता है ? तुने बेद मे जो कुछ भी लिखा है वैसा कुछ भी नही है | रामायण कि बात तो १००% गलत है | तुम्हारा मुहमद जो था न वोह एक नम्बर का चोदु, हरामखोर, कमिना जरुर था | उसने अपनी चाची के लाश को कफन से निकाल कर चोदा | अपनी हि ८ साल कि बेटी को जबर्जस्ती कि, अपनी बीबिया होते हुए भी वोह उनलोगो के सामने हि दुसरी औरत से सम्बन्ध रखता था और बोलाता था कि एह तो अल्लाह का हुकम है | "ईस्लाम किताब ६० हदिस ३११" बुखारी जिल्लाद-6 मे देख्लो कमिनो |||
ReplyDeletekoran to asli allah ki book hai jismain maa , behan aur chachi mausi sabko sex ki choot di hai ye book randi baazi key liye hai. Aameen
ReplyDeleteजिन लोगों को इंसानियत और मानव
ReplyDeleteधर्म तक की समझ नहीं है उन्हें वेदों और
धर्म के बारे में बड़ी बड़ी बाते लिखते देख
आज मुझे एक किस्सा याद आ गया -
एक में चार अंधे रहते थे , एक दिन उस गांव
में एक हाथी आ गया , हाथी आया ,
हाथी आया की आवाजें सुनकर अंधे
भी वहां आ गए कि क्यों न हाथी देख
लिया जाये पर बिना आँखे देखे कैसे ?
सो एक बुजुर्ग ग्रामवासी के कहने पर महावत
ने उन अंधों को हाथी को छूने
दिया ताकि अंधे छू कर काठी को महसूस करने
लगे | और अंधों ने हाथी को छू लिया , एक
अंधे के हाथ में हाथी सूंड आई , दुसरे अंधे
के हाथ पूंछ आई तो तीसरे अंधे के हाथ
हाथी के पैर लगे | और चौथे के हाथी के दांत
| इस तरह अंधों ने हाथी को छू कर महसूस कर
देख लिया | दुसरे दिन चारो अंधे एक जगह
इक्कठे होकर हाथी देखने छूने के अपने अपने
अनुभव के आधार पर
हाथी की आकृति का अनुमान लगा रहे थे |
पहला कह रहा था - हाथी एक
चिकनी सी रस्सी के सामान होता है ,
दूसरा कहने लगा - तुम्हे पूरी तरह मालूम
नहीं रस्सी पर बाल भी थे अत:
हाथी बालों वाली रस्सी के समान था ,
तीसरा कहने लगा - नहीं ! तुम दोनों बेवकूफ
हो | अरे ! हाथी तो खम्बे के समान था |
इतनी देर में चौथा बोल पड़ा - नहीं तुम
तीनो बेवकूफ हो | अरे !
हाथी तो किसी हड्डी के समान था और बात
यहाँ तक पहुँच गयी कि अपनी अपनी बात सच
साबित करने के चक्कर में चारो आपस में
लड़ने लगे |
चारों अन्धो में जूतम-पैजार होते देख पास
ही गुजरते गांव के एक ताऊ ने आकर पहले
तो उन्हें लड़ते झगड़ते छुड्वाया फिर
किसी डाक्टर के पास ले जाकर
उनकी आँखों का ओपरेशन करवाया | जब
चारो अंधों को आँखों की रोशनी मिल गई तब
ताऊ उनको एक हाथी के सामने ले गया और
बोला - बावलीबुचौ ! ये
देखो हाथी ऐसा होता है | तब
अंधों को पता चला कि उनके हाथ में
तो हाथी का अलग- अलग एक एक अंग हाथ
आया था और वो उसे ही पूरा हाथी समझ रहे
थे |
THAT'S A NICE STORY.but it don't mean that VEDO m is tarah ki koi baat kahin h.VEDO m to is nature m kaise rehna h,kya karna h, kaise karna h etc and itni science h jo discoveries aaj ho rahi h aur future m hongi ye sabhi hamare RAM, KRISHNA jaise poorvajo ke time m hamare RISHIES discover kar chuke h bas ab problem h to sirf un GRANTHO ko translate karnek ki.in short VEDO m h-
Delete1-RIGVEDA -ye karmkand h.
2-YAJURVEDA-mantro m science.
3-SAAMVEDA-isme sandhya-havan etc k mantra h
4-ATHARVVEDA-isme vyapaar, saasan sachalan etc ka vivran h.
Are to usne sath me pruf bhi to diya Jake dekho , agar na ho to galat kahena na
DeleteINKI POL-
ReplyDelete1-inke mohammad sahab ne to 15-20 marriage ki thi. ginme sabse little uski potti (granddaughter) ki age ki (AISHA)and sabse big uski dadi ki umar ki thi.
2-ye kamine GOD ko 7th aasman par maante h.in jaanvaro se pucho sky m inke baap ne god ke liye bister laga rakha h.
3-ye kehete h ki KURAN aasman se utar kar i thi .kya kitaab koi airplane h jo aasman se utar kar aayegi?
4-ye murkh, baccho ko khud paida karte h aur unko allah ki den mante h. kya allah khud inke baccho ko paida kar raha h.
AUR rahi baaat VEDO and RAMAYAN ki kya is kamine ne itni sanskrit padhi jo VEDO ko translate kar sake.VEDO ko padhne k liye aaj k hisaab se 20-30 years lagenge,jike syllabus m -basic sanskrit ,upaang- sangopaang,vedaang etc ki study karni padti h.
ABE MULLE PAHELE 1YEAR URDU PADHKE KURAN PADH ,VEDO KO PADHNE K LIYE TO TUGHE AGLA JANAM LENA PADEGA.
Usne har chiz ka pruf diya , ke konsi chiz kaha likhi . Lakin tum gobar bhakat ho tum sirf log ke dharam ko galiya date ho
DeleteChtiya h sala , abe lodu koi b dharm utha k dekh le sab apne aap me mukammal h or upar wala na to hindu h or na musalman ya koi or harmkhor sabse bada dharm insaniat (manavta ) ka h is liye agr koi bhi dharmik book pado to us se gyan lo chahe wo Geeta ,Ved, ya Kuran ho , 0r gandu ab agar to kishi bhi dharm (mazhab) k bare m galat salat likhega to tu sabse pahle apne dharm ko gali de raha h suar sambhal ja waqt h warna qyamt k din teri gand pite gi , Hindu, muslim,shikh, isai, aps me sab bhai bhai to ab bht lad liye ab ek hone ka time aa gaya h........
ReplyDeletethis is the real meaning of लिंग
ReplyDeleteलिंग का अर्थ होता है प्रमाण. वेदों और वेदान्त में लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए आया है. सूक्ष्म शरीर 17 तत्त्वों से बना है. शतपथ ब्राह्मण-5-2-2-3 में इन्हें सप्तदशः प्रजापतिः कहा है. मन बुद्धि पांच ज्ञानेन्द्रियाँ पांच कर्मेन्द्रियाँ पांच वायु. इस लिंग शरीर से आत्मा की सत्ता का प्रमाण मिलता है. वह भासित होती है. आकाश वायु अग्नि जल और पृथ्वी के सात्विक अर्थात ज्ञानमय अंशों से पांच ज्ञानेन्द्रियाँ और मन बुद्धि की रचना होती है. आकाश सात्विक अर्थात ज्ञानमय अंश से श्रवण ज्ञान, वायु से स्पर्श ज्ञान, अग्नि से दृष्टि ज्ञान जल से रस ज्ञान और पृथ्वी से गंध ज्ञान उत्पन्न होता है. पांच कर्मेन्द्रियाँ हाथ, पांव, बोलना. गुदा और मूत्रेन्द्रिय के कार्य सञ्चालन करने वाला ज्ञान. प्राण अपान,व्यान,उदान,सामान पांच वायु हैं. यह आकाश वायु, अग्नि, जल. और पृथ्वी के रज अंश से उत्पन्न होते हैं. प्राण वायु नाक के अगले भाग में रहता है सामने से आता जाता है. अपान गुदा आदि स्थानों में रहता है. यह नीचे की ओर जाता है. व्यान सम्पूर्ण शरीर में रहता है. सब ओर यह जाता है. उदान वायु गले में रहता है. यह उपर की ओर जाता है और उपर से निकलता है. समान वायु भोजन को पचाता है. हिन्दुओं का लिंग पूजन परमात्मा के प्रमाण स्वरूप सूक्ष्म शरीर का पूजन है ( प्रो बसन्त प्रभात जोशी के लेख से. सन्दर्भ सरल वेदान्त )
सज्जनो हिंदी साहित्य और संस्कृत साहित्य अलंकारों, छंदों और प्रयायवाची शब्दों में होता है जिसमे एक ही शब्द के अनेक अर्थ और अनेक भाव होता है सिर्फ हिंदी साहित्य एक ऐसा साहित्य होता है जिसके अर्थो और भावो को एक अच्छा जानकर साहित्यकार ही समाज सकता है. हिन्दू धर्म में जितने भी वेद लिखे गए है वो संस्कृत साहित्य में लिखे गए है जिसमे श्लोक संस्कृत में लिखे गए है जिनके अर्थो और भावो को समझाना बहुत ही कठिन है. ओच्छी मानसिकता वाले लोग साहित्य के जानकर होकर भी उस साहित्य के अर्थ और भावो का अलग ही अर्थ लगाएंगे उसमे अश्लीलता ही खोजेंगे क्योकि व्यक्ति में जितनी बुद्धि होती है वह उतना ही सोच सकता है उससे ज्यादा नहीं
ReplyDeleteप्रजापति का अपनी दुहिता (बेटियो) से सम्बन्ध.
ऋग्वेद १/१६४/३३ और ऋग्वेद ३/३१/१ में प्रजापति का अपनी दुहिता (पुत्री) उषा और प्रकाश से सम्भोग की इच्छा करना बताया गया हैं जिसे रूद्र ने विफल कर दिया जिससे की प्रजापति का वीर्य धरती पर गिर कर नाश हो गया.
इन मंत्रो के अश्लील अर्थो को दिखाकर विधर्मी लोग वेदों में पिता-पुत्री के अनैतिक संबंधो पर व्यर्थ आक्षेप करते हैं.
अर्थ - प्रजापति कहते हैं सूर्य को और उसकी दो पुत्री उषा (प्रात काल में दिखने वाली लालिमा) और प्रकाश हैं. सभी लोकों को सुख देने के कारण सूर्य पिता के सामान हैं और मान्य का हेतु होने से पृथ्वी माता के सामान हैं. जिस प्रकार दो सेना आमने सामने होती हैं उसी प्रकार सूर्य और पृथ्वी आमने सामने हैं और प्रजापति पिता सूर्य मेघ रूपी वीर्य से पृथ्वी माता पर गर्भ स्थापना करता हैं जिससे अनेक औषिधिया आदि उत्पन्न होते हैं जिससे जगत का पालन होता हैं. यहाँ रूपक अलंकार हैं जिसके वास्तविक अर्थ को न समझ कर प्रजापति की अपनी पुत्रियो से अनैतिक सम्बन्ध की कहानी गढ़ की गयी.
रूपक अलंकार का सही प्रयोग इन्द्र अहिल्या की कथा में भी नहीं हुआ हैं.
इन्द्र अहिल्या की कथा का उल्लेख ब्राह्मण ,रामायण, महाभारत, पूरण आदि ग्रंथो में मिलता हैं जिसमें कहा गया हैं की स्वर्ग का राजा इन्द्र गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या पर आसक्त होकर उससे सम्बोघ कर बैठता हैं. उन दोनों को एकांत में गौतम ऋषि देख लेते हैं और शाप देकर इन्द्र को हज़ार नेत्रों वाला और अहिल्या को पत्थर में बदल देते हैं. अपनी गलती मानकर अहिल्या गौतम ऋषि से शाप की निवृति के लिया प्रार्थना करती हैं तो वे कहते हैं की जब श्री राम अपने पाव तुमसे लगायेगे तब तुम शाप से मुक्त हो जायोगी.
यहाँ इन्द्र सूर्य हैं, अहिल्या रात्रि हैं और गौतम चंद्रमा हैं. चंद्रमा रूपी गौतम रात्रि अहिल्या के साथ मिलकर प्राणियो को सुख पहुचातें हैं. इन्द्र यानि सूर्य के प्रकाश से रात्रि निवृत हो जाती हैं अर्थात गौतम और अहिल्या का सम्बन्ध समाप्त हो जाता हैं.
सही अर्थ को न जानने से हिन्दू धर्म ग्रंथो की निंदा करने से विधर्मी कभी पीछे नहीं हटे इसलिए सही अर्थ का महत्व आप जान ही गए होंगे.
इन्द्र वृत्रासुर की कथा
ऋग्वेद के १/३२/१ से १/३२/७ तक के मंत्रो में इन्द्र और वृत्रासुर की कथा का उल्लेख हैं जिसमें कहा गया हैं की त्वस्ता का पुत्र वृत्रासुर ने देवों के राजा इन्द्र को युद्ध में निगल लिया. तब सब देवता भय से विष्णु के पास गए और विष्णु ने उसे मरने का उपाय बताया की में समुद्र के फेन में प्रविष्ट हो जाऊंगा. तुम लोग उस फेन को उठा कर वृत्रासुर को मरना , वह मर जायेगा.
सही अर्थ - इन्द्र सूर्य का नाम हैं और वृत्रासुर मेघ को कहते हैं. आकाश में मेघ कभी सूर्य को निगल लेते हैं कभी सूर्य अपनी किरणों से मेघों को हटा देता हैं. यह संग्राम तब तक चलता हैं जब तक मेघ वर्षा बनकर पृथ्वी पर महीन बरस जाते हैं और फिर उस जल की नदियाँ बनकर सागर में जाकर मिल जाती हैं.
मित्र-वरुण और उर्वशी से वसिष्ठ की उत्पत्ति
ऋग्वेद ७.३३.११ के आधार पर एक कथा प्रचलित कर दी गयी की मित्र-वरुण का उर्वशी अप्सरा को देख कर वीर्य सखलित हो गया , वह घरे में जा गिरा जिससे वसिष्ठ ऋषि पैदा हुए.
ऐसी अश्लील कथा से पढने वाले की बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती हैं.
इस मंत्र का उचित अर्थ इस प्रकार हैं .अथर्व वेद ५/१८/१५ के आधार पर मित्र और वरुण वर्षा के अधिपति यानि वायु माने गए हैं , ऋग्वेद ५/४१/१८ के अनुसार उर्वशी बिजली हैं और वसिष्ठ वर्षा का जल हैं. यानि जब आकाश में ठंडी- गर्म हवाओं (मित्र-वरुण) का मेल होता हैं तो आकाश में बिजली (उर्वशी) चमकती हैं और वर्षा (वसिष्ठ) की उत्पत्ति होती हैं.
वेदों के अश्लील अर्थ कर वेदों में सामान्य जन की आस्था को किस प्रकार कुछ मूर्खो ने नुकसान पहुचाया हैं इसका यह साक्षात् प्रमाण हैं.
Prahlad ji NICE
ReplyDeleteमुहम्मद की मौत नाबालिग आयशा के साथ अयाशी करते समय हुई थी
ReplyDeleteमरते समय उसने कलमा नहीं पढ़ा था इस बात के प्रमाण हैं की मुहम्मद की मौत सेक्स की अधिकता से हुई थी हदीस-इब्ने हाशाम -पेज ६८२
इन से रवायत है की “मैंने आयशा से सुना की जिस दिन नबी की मौत हुई थी, उस दिन उनके सस्थ सोने की मेरी बारी थी.
अयाशी करने के बाद उनकी मौत मेर घर में हुई थी .मरते वक्त उनका सर मेरे सीने पर था.
मैं उनकी मौत के लिए खुद को दोषी मानती हूँ.’
आयशा ने कहा की जिस समय अल्लाह ने रसूल को उठाया था,उनका सर मेरी गर्दन के पास था,और वह मुझे चूम रहे थे,उनका थूक मेर थूक से मिल रहा था. उनकी मौत के लिए मैं खुद को जिम्मेदार मानती हूँ,उस समय मेरी किशोरावस्था थी.मैं नादाँ थी अनुभव हीनता के कारण मुझे पता नहीं था कि जब कोई बूढा और बीमार व्यक्ती किसी एक नाबालिग के साथ संसर्ग करता है, तो क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं .वरना मैं उनको रोक लेती.
आयशा ने कह कि ,मरते समय नबी ने कलमा नही पढाथा क्योंकि उस समय उनकी जीभ मेरे मुंह के अन्दर थी. सही बुखारी -खंड ७/किताब६२/हदीस१४४
जब नबी मरे तो उनका शरीर अकड़ गया था,और फूल गया था.मुझे समाज में नहीं आ रहा था कि इस दशा में क्या करना चाहए था. दाउद-किताब२० नंबर ३१४७
अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास कहते हैं कि नबी कि लाश को तीन कपड़ों में लपेटा गया था जो नाजरान के बने थे.इन्हीं कपड़ों में उन्हें दफनाया गया था.
यह लेख आयेशा अहमद के अंगरेजी लेख पर आधारित है
जैसा लिखा है वैसा ही लिखो अपनी मर्ज़ी से बड़ा चढ़ा कर मत लिखो और जो लिखा है उसका सही मतलब अपनी अधुरी अक्कल से मत समझो उसको समझाने के लिए हमारे आलीम बैठे है
Deletehttps://ia800906.us.archive.org/31/items/HindiRangeelaRasool/Hindi%20-%20Rangeela%20Rasool.pdf
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ReplyDeleteTumhaare Huzoor Sahab ka Kaccha Chittha
ReplyDeleteFake भाई जब तुझे संस्कृत words का translation नही आता तो ज्यादा दिमाग मत लगा । पहले ये जान ले की संस्कृत में एक ही word के 10-15 तक अलग अलग अर्थ होते हैं ।
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