Wednesday, 18 May 2011

वाह रे रहनुमा

आज लखनौ में एक संगोष्ठी थी अल्पसंख्यक शिक्षक संघ की जिसमे मुख्या अथिति श्री दिग्विजय सिंह जी को बनाया गया था मुसलमानों की काफी तायदाद में बुलाया गया था इस को करवाने के लिए डाक्टर खुर्शीद जहाँ और उनके शौहर जनाब अतिकुर्रह्मन साहब ने काफी मशक्कत किया था हमको भी बुलवाया गया था और हमारे लोगो की सोच थी की दिग्गी बाबु को कला गुलाब देने की और मांग करने की कि मुसलमानों को सत्ता में हिस्सेदरी दो मगर इसका अंदाज़ा शायद पहले भाप कर दिग्गी बाबु का आगमन ही नहीं हुवा और उनकी जगह बने करता धर्ता जनाब लियाकत अली एक नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है फिर शुरू हुवा वह सियासी खेल और सबसे पहले डाक्टर खुर्शीद जहाँ और उनके शौहर को ही पुरे प्रोग्राम में किनारे कर दिया गया उनकी एक न चलने दी गई और चली तो सिर्फ लियाकत और उनके गुंडों कि....
लियाकत साहब कि तक़रीर शुरू और तक़रीर में बिना नाम लिए कांग्रेस कि बड़ाई और उसके साथ जुडने के पूरी तरह से अपील बार बार कहना कि मै गरीब हु उनका शब्द और लिबास अलग अलग होते थे दस हज़ार कि शेरवानी पहने इंसान गरीब नहीं होता है ये सबको दिख रहा था
खैर उनकी कई बातो में सिर्फ कांग्रेस कि तारीफ थी और ममता कि तारीफ जब उन्होंने कहा कि कांग्रेस सत्ता में अति है तो मै वडा करता हु कि आरक्षण मुसलमानों को भी मिलेगा मेरे तन बदन में आग लगा गया और मैंने खडे होकर कहा कि आप कांग्रेस कि जितनी तारीफ कर रहे है उस हिसाब से आप समाजसेवक नहीं बल्कि कांग्रेस सेवक ज़यादा लग रहे हो.हमारे लोगो ने उनके भाषण कि वेदिओ तैयार कि थी और मैंने तुरन जेब में रक्खा काला रुमाल निकाला और लहराया तभी उनके गुंडों और तथा कथित पत्रकारों ने हमारे लोगो क हाथ कि तख्ती छीन ली हमारे कैमरे कि मेमोरी कार्ड निकाल लिया और उसको तोड़ दिया बवाल बढ़ता देख मैंने बीच बचाओ किया और अपने लोगो को लेकर बहार अगया मेरे साथी चाहते थे कि पुलिसे में रिपोर्ट किया जय मगर मैने समझा दिया कि बदनामी अपने लोगो कि है.
खैर बड़ी मुश्किल के बाद लोग समझे मैडम शाइस्ता भी थोडा नाराज़ दिखी थी साथ जस्टिस साहब भी मगर सवाल ये उठता है कि ऐसे लोग आज कौम कि रहनुमाई का दावा कर रहे है जिनका अपना खुद का किरदार नहीं है जो बिकाऊ है पार्टियों के हाथो में
वह रे रहनुमा

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