परन्तु प्रश्न यह है की असल में धोबी कौन है सच देखा जय तोह लोकपाल की खाल में RSS अपना उल्लू सीधा करना चाहती है और अन्ना को सामने लाकर एक समीकरण बनाना चाहती है कही ऐसा भी न करे की अन्ना को भावी राष्ट्रपति बना कर पेश करदे और सत्ता तक का रास्ता खुद निकाल ले
एक तथ्य बताता हु
अन्ना एक सजैयाफ्ता मुजरिम है सन १९७२ की जंग का भगोड़ा सिपाही है जिसने ट्रक से खुद कूद गया और इसके २७ साथी बेचारे फस्गाई और शहीद हो गए इसपर २७ क्रेमिनल केसेस है महाराष्ट्र में फिर ये सत्याग्रह वगैरह....सब नाटक है दोस्तों
आप बताओ की अगर प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जज भी लोकपाल के दायरे में आयेंगे और लोकपाल पर नियंत्रण राष्ट्रपति का होगा तो ये प्रजातंत्र कैसे बचेगा कैसे लोकतंत्र होगा फिर अन्ना क्या इस का वडा दे सकते है की हर राष्ट्रपति कभी भी तानाशाह नहीं होगा
उदहारण के लिए प्रतिभा पाटिल जी राष्ट्रपति है और कांग्रेस की है कल सरकार गिरती है मानते है समाजवादी सर्कार बनती है तो कौन गारंटी ले सकता है की राष्ट्रपति उस सरकार को सही से काम करने देंगे................?
भाइयो अन्ना को राष्ट्रपति पद के साथ हजारे घाट चाहिए दिल्ली में और केजरीवाल को राज्यसभा की सीट चाहिए बस और क्या है इतना नाटक काफी है
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