Friday 20 May 2011

वादेय्मात्रम का सच ------जयचँद वंशज बकिम चंद चटर्जी

१८८२ में अंग्रेजो के नोकर बकिम चद चटर्जी ने एक किताब लिखी थी आनंद मट इस किताब में अंग्रेजो के इस नोकर ने मुस्लिम हुकूमत के अंग्रेजो से हारने और अंग्रेजो की जीत पर बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की हे ये अंग्रेजो का नोकर देश द्रोही हिन्दू को लिखता हे की ....
मुसलमान मलिचो के मुकाबले बिर्तानिया की हुकूमत को तस्लीम करले उनका फ़र्ज़ होना चाहिए की हिन्दुस्तान की पाक सर्ज़मीन को इन नापाक मलिचो (मुसलमानों) को से साफ़ करदें इनकी मस्जिदों को मिटा देना चाहिए और हर मुसलमान को ज़बरदस्ती हिन्दू बना लेना चाहिए ....
इसके अलावा इस अंग्रेजो के नोकर देशद्रोही जयचँद के वंशज बकिम चंद चटर्जी ने लिखा की मुस्लिम की मस्जिदों और ओलिया के मजारो को तोड़ो उस देशद्रोही ने मुस्लिमो को हिन्दू बनाने के लिए जो तरीके लिखे हे अगर में वो तरीके में लिखू तो शायद मेरा कलम फट जाये और उन तरीको का इस्तेमाल अब तक भागलपुर, मुरादाबाद, मेरठ, अलिघर, भोपाल, नासिक, सूरत, अहमदाबाद, बरोदा, डेल्ही और जाने कितनी जगह किया जा चूका हे और मुस्लिमो पर होने वाले ज़ुल्म को इनके एक वंशज ने किर्या की पिरती किर्या बता दिया था अदालते आज बी अंग्रेजो की तरह आँखे बंद करके दमन वाला फेसला करती हैं महान समाज सेवक डॉक्टर विनायक को उम्र कद की सजा इसका एक उदहारण हे और उस देशद्रोही बकिम्च्न्द चटर्जी ने "आनंद मठ’’ के पृष्ठ-७७ पर तीसरी और चोथी पंक्ति में लिखा हैः‘‘हम राज्य नहीं चाहते- हम केवल मुसलमानों को भगवान का विद्वेषी मानकर उनका वंश-सहित नाश करना चाहते...
क्या कोई ऐसा इंसान हे जो अंग्रेजो की तरफदारी और उनकी तारीफ करे और उसे हम लोग देशभक्त मानले अंग्रेजो के शाशन की स्थापना पर ख़ुशी मनाने वाले बकिम चंद जो अंग्रेजो का नोकर था की लिखी किताब आनंद मठ जो पूरी तरह मुसलमानों का विरोध करती और अंग्रेजो का गुणगान करती हे के अंत में लिखा बंदेमातरम गीत आप गाना पंसंद करेंगे उस देश द्रोही और भाड़े के अंग्रेजो के दलाल की लिखी अगर एक लाइन को भी कोई सही कहता हे तो मुझे लगता हे वो देश के उस बलि दनिया के मुह पर कालिख पोतने के सामान हे जिन्होंने स्वाधीनता के लिए अपनी जान कुर्बान की सारे क्रांतिकारियों और देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले १८५७ के सिपाहियों के बलिदान का अपमान हे किसी देशद्रोही और नफरत फेलाने वाले अंग्रेजो के टट्टू की लिखी बात में देश भक्ति को देखना और आज उन बलिदानियों की आत्मा को कितना दुःख होता होगा जिन्होंने धरती माँ की आजादी के लिए अपनी जान की आहुति देदी जब वो अंग्रेजो के दलाल बकिम्च्न्द की लिखी पंक्तियों को देश्भात्की कहता हुआ सुनते होंगे आप लोग एक बार आनंद मठ को पड़कर देखिये मुझे नही लगता कोई खुद तो देशभक्त कहने वाला हिन्दुस्तानी वंदेमातरम को देश्भात्की दिखाने का जरिया कहेगा और अगर कोई कहता हे तो या तो वो देशद्रोही हे या फिर मैं क्योकि मैं अंग्रेजी शाशन की तारीफ और चापलूसी करने वाले देशद्रोही का विरोध करता हु मेरे खून का एक एक कतरा मेरे हिन्दुस्तान के लिए हाज़िर हे और मैं जानता हु बकिम्च्न्द की नसले मेरा विरोध करेंगी क्योकि अंग्रेजो ने सिर्फ बकिम्च्न्द को ही नही उसके खून को भी खरीद लिया था जो आज भी उसकी नस्लों में लहू बनकर बहता हे आनंद मठ लिखने वाला मेरी धरती माँ को अपमानित करे और मैं चुप रहू ये हो ही नही सकता आजादी की लडाई में इकबाल ने हिन्दू मुस्लिमो को एक नारा दिया था जिस नारे के जोश में सभी हिन्दू और मुस्लिमो ने मिलकर अंग्रेजो को देश से निकाल फेका था आज आप लोगो के बिच में मैं फिर वही नारा लाया हु क्योकि आज भी देश को आजादी की ज़रूरत हे उन सियासी लोगो से जो सत्ता के लिए नफरत की दीवारे बनाते हे जो अपनी जैबे भरने के लिए हम हिन्दुस्तानियों के लहू को पानी समझते हे जो हमारे म्हणत के पैसो को अपने घर में भरते हैं और ये आवाज़ मेरी नही हर उस हिन्दुस्तानी की हे जो देश को अमन सुकून के साथ बुलंद मक़ाम पर देखना चाहते हैं ...इन्कलाब जिंदाबाद ..
फिर वही मैदाने कर्बला का मंज़र हे यारो
ज़ुल्म से लड़कर अपनी पुश्तो को बचाना हे

5 comments:

  1. मिया इतना जूठ क्यू नफरत फैला रहे हो देशभक्ति की आड़ मे ???
    और रही बात आनंद मठ की तो दोस्तो खुद ही पढ़ के यहा लिखे जूठ को पहचान लो पढ़ने के बाद आप भी यही कमेंट करेगे यहा और एक भी उदाहरण नहीं है मुसलमानो को हिन्दू बनाने का और ये जनाब कितने शहेरो की बात कर बेठे ???भाई कभी बाहर निकले हो घर से?? ... मेने आनंद मठ पढ़ी है ॥ इतनी नफरत !!!!?

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  2. इस नफरत का कारण वही पुराना है....... वन्दे मातरम नहीं गाना है क्यूंकी वन्दे मातरम गा दिया तो इनके खिलाफ फतवा जारी हो जाएगा। हद है मानसिक दिवलियेपन की।

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  3. ye sab bekar ki baate hai.asal cheez wahi hai...sirf hinduo ki khilafat karni hai ..sahi galat se koi fark nahi padta in jaise logo ko...

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  4. bhai aapke ye sab likhne se kuchh nahi hoga onli desh me jo sukoon or chain he us per bahut fark padega......... isliye jo history me bate he unko na uchhalo.... or jo aane wala kal he usko sawarne ki koshish karo...... samjhe...

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  5. aap koshish kyo nahee kartey hai musalmano ko samajhney ki

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