Wednesday 20 July 2011

बदहाली पर आंसू बहता चीनी का रौज़ा जहा कुरान की बेहुरमती हो रही है

भाइयो आगरा शहर एक मशहूर शहर है किसी को बताने की ज़रूरत नहीं है की यहाँ शाहजहाँ की बनवाई दुनिया की अजूबो में एक ईमारत ताज महल है जिससे हमारी सरकार करोरो कमाती है वही है दूसरी तरफ शाहजहाँ के वजीर का रौज़ा जिसको चीनी का रौज़ा नाम से जाना जाता है क्यों की इसकी नक्काशी ईरानी सभ्यता के चीनी नक्कासी से हुई है इसका निर्माण शाहजहाँ क वजीर ने अपने भाई की कब्रगाह और अपनी कब्रगाह के लिए अपनी हयात में दस सालो की मुशक्कत के बाद करवाई थी अपने महल के ठेक सामने इसको १६२६-१६३९ के दरमियान बनवाया गया था इसकी खासियत यह है की इसमे एक चिराग जलाने से पूरा रौज़ा जगमगा उठता है हर तरफ नक्काशी से कुरआन शरीफ की यती लिखी हुई है जिसको थोडा सा आपलोग एस पिक्चर में भी झलक देख सकते है
वजीर का इन्तिकाल पकिस्तान के लाहोर में होगया था उनकी मय्यत को यहाँ दफनाया गया है
पुरातत्व sarvekshan के हवाले यह ईमारत अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है दीवारों से नक्काशिया टूट रही है जिससे कुरआन की नेहुर्मती हो रही है साथ ही इसकी पीछे की ज़मीन पर यादवो ने कब्ज़ा कर के अपनी भैस बांध रक्खी है एक मंदिर बनवा रक्खी है और कूदो का अम्बार है. बेचारे वजीर साहेब का महल तोह पूरा गर्त हो चूका है सिर्फ वह एक काला गुम्बद बचा है
सवाल यह है के मुल्क में हर मशहूर ईमारत हमारे पूर्वजो ने बनवाई जिससे ये अज तक कमाते है बनवाने की औकात इनके बाप दादो की हुई नहीं है कम से कम संभल तोह सकते है

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