Friday 2 September 2011

'भारत माता' क्या बनेगी RSS की देवदासी ?????

'हिन्दू राष्ट्र' की कल्पना तो मुस्लिम लीग के 'मुस्लिम राष्ट्र' जैसी ही एक परिकल्पना है, पर हिन्दू राष्ट्र की कल्पना करने वाले  इतने बड़े कायर और नपुंसक थे , कि अपने उद्देश्य कि पूर्ति हेतु उन्होंने अंग्रेजों के तलवे चाटने के अलावा कुछ किया नहीं....विभाजन के बाद उन्होंने अपनी हताशा और अपराध भावना से मुक्ति पाने के लिए महात्मा गाँधी की हत्या कर दी....जैसे माता रेणुका देवी की हत्या के बाद भी परशुराम को अपने अपराध का अहसास नहीं हुआ था, ठीक उसी प्रकार परशुराम की इन कथित औलादों को राष्ट्रपिता की हत्या के उपरांत भी अपने अपराध का कोई अहसास नहीं हुआ और ये भारत माता के साथ और घृणित और कुत्सित अपराध करने की योजना बनाते रहे.....


१९९२ में 'अयोध्या में बाबरी विध्वंस  जैसे राष्ट्रदोह' और २००२ में 'RSS का गुजरात प्रयोग' जैसे यज्ञों का आयोजन किया, इन नरभक्षियों ने अपनी रक्त-पिपासा शांत करने हेतु....पर नरभक्षी  की रक्त पिपासा कभी  शांत नहीं होती , अपितु नरभक्षी को ही शांत कर दिया जाता है, दुर्भाग्यवश इतनी सी बात न तो भारतीय जनमानस समझ पा रहा है....और न यहाँ का मूढ़ मीडिया....न्याय-पालिका की हालत तो और भी बदतर है जब उसने न्याय के तमाम सिद्धांतों की धज्जियाँ उड़ाते हुए अडवाणी और जोशी जैसे अयोध्या कांड के अभियुक्तों पर षड़यंत्र सम्बन्धी आरोप ख़ारिज कर दिए, अपितु दीवानी मामले में इनके हास्यास्पद तर्कों को स्वीकार तक कर लिया.....

२००९ का चुनाव हरने के बाद तो हद हो गई जब RSS के पुरोहितों ने भारत की दूसरी सबसे पार्टी BJP को जबरदस्ती अपनी देवदासी बना लिया ( BJP = Babies & Jokers Party of Rss ) .....मैंने तब भी बहुत हाथ-पैर पटके थे...कि यह Rss के पापी पुरोहित एक दिन इसी प्रकार भारत माता को भी अपनी देवदासी बनाकर ही दम लेंगे...पर किसी ने ना सुनी....अब भारत में लोकतंत्र चंद दिन का ही मेहमान है....अन्ना Gang की blackmailing के कारण सरकार, RSS के 'लोक-पुरोहित' और 'सिविल सोसाइटी' जैसे अधिनायकवादी प्रस्ताव को स्वीकार कर ही चुकी है.....RSS के पुरोहित जिस प्रकार अपनी झूठी-मूठी सत्यनारायण कथा से 'सिविल सोसाइटी' और 'मीडिया' को बरगला लेते हैं, उससे ज्यादा कुछ तर्क-वर्क, भारत की न्यायपालिका को भी नहीं चाहिए..अपनी तटस्थता तोड़ कर RSS के भगवे तले खड़े हेतु.  बाबरी और अन्य अनेक मामलों न्यायपालिका के निर्णयों से यह स्वयंसिद्ध हो चूका है ......अब बचे  भारत के तिरंगे के मानिंद, भारत के गौरव का प्रतीक,  'तिरंगी सेनाओं'  के प्रमुख.....जिनको राजी करना यद्यपि आसन नहीं पर नामुमकिन भी नहीं.....क्यूंकि RSS के लोग सेना की निष्ठां कमज़ोर करने  के काम में तो आज़ादी के बाद से ही लगे हैं.....  न्यायपालिका और मीडिया तो आज ताकतवर हैं ....पहले कौन पूछता था इनको....

2G  स्पेक्ट्रम पर, CAG और Supreme कोर्ट के कुछ Judge के साथ घिनोना षड़यंत्र करके Rss के षड्यंत्रकारी पुरोहित आज ऐसी स्थिति में पहुँच गए हैं,  कि वे किसी भी क्षण इस देश के लोकतंत्र का गला घोंट सकते हैं.....और फिर एक STUPID NATION के हिस्से में aayega, सिर्फ  वन्दे  मातरम.............

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