प्यारे दोस्तों मैंने कभी कही एक कहानी पढ़ी थी आज आपको सुनाता हु.एक सफ़ेद गुलाब था बगिया का सबसे सुन्दर गुलाब और सबसे नाज़ुक उसे अपनी सुन्दरता का बहुत घमंड था / एक भौरे का दिल उसपर आगया तो गुलाब ने उसका मजाक बनाते हुवे कहा की जब में लाल हो जाऊंगा तो तुमको चाहने लागुगा
इतना सुनना था के भौरा गुलाब के आसपास लगे हुवे काँटों पर लोटने लगा उसके शारीर से खून निकलने लगा और वो खून के वजह से गुलाब लाल हो गया तब गुलाब को उसपर दया आ गई उसने भौरे को गले लगाने के लिए उठाया तो देखा के भौरा मर चूका था /
आप सोच रहे होंगे की बाबा रामदेव को छोड़ कर शिक्षको को छोड़ कर आज ये बन्दा कहानिया सुना रहा है
दरअसल ये कहानी हमारे नेताओ ने देश में धर्म के नाम पर लडवा कर बात कुछ यो है की पिछले कुछ दिनों से में फसबूक पर inactive था में शांति से सिर्फ लोगो के विचार देख रहा था और शांत था किसी ने मुझे पत्र लिखा और मेरे अस्तित्व तक को कह डाला फिर भी मे चुपचाप देखता रहा लोगो को लडते देख रहा था लोग लड़ रहे थे जब देखा नहीं गया तो मैंने भी जवाब दिया किसी को कोई बात नहीं समझ आई और मुझे एक ग्रुप से निकाला फिर किसी सज्जन ने उत्तर प्रदेश के गोंडा से मेरे फसबूक की ID हैक करने का प्रयास किया.
ये सारा कुछ देखकर ऐसा लगरह था की हमारे देश का बटवारा १९४७ में हुवा था मगर यहाँ हो हर पल मुल्क ही नहीं सोच तक बट रही थी हर पल हर लम्हा .........,
मुझे लगा के यहाँ तथाकथित बुद्धिजीवियों का जमावड़ा काफी है मैंने तथाकथित बुद्धिजीवी एस लिए कहा के ये बुद्धिजीवियों से थोडा ऊपर होते है ये अपना विचार देने से पहले देखते है की कहने वाला किस धर्म का है किस जाती का है किस सम्प्रदाय का है फिर पढ़ा लेख का शीर्षक और दे डाला अपना विचार मई किसी का नाम नहीं लूँगा और आप खुद देख लीजिये
लेख यदि किसी मुस्लिम ने लिखा है और गलती से कहे वो बाबा रामदेव पर है तो पूछिये नहीं पूरा facebook सर पर उठा लिया और ज्ञान देना चालू प्रदर्शन करने वाले होते तो एक या दो लोग ही है मगर २-४ फेक id बनाकर प्रदर्शन को भिषद कर लिया लोग ये भूल जाते है की भाषा और मेनेजर IP से पता चल जाता है की एक ही इंसान है
लोग इतना अजब गज़ब का सोचते है की हंसी आती है खैर ये तो अलग सी बात है की लोग मुझे किसी धर्म विशेष का समझते है मगर सच एकदम अलग है मेरे मरहूम माँ ने मुझसे कहा था बचपन में आज तक याद है की बेटा मुस्लमान बनना तो बहुत बड़ी बात है पहले इंसान बन जाओ
मतलब हम ऐसे हो चुके है की कभी आइना देखते है तो उसको भी झूठा ठहरा देते है अपना बचपन याद है की हम कुछ नहीं थे न हिन्दू न मुस्लमान बस एक इंसान थे मगर आज ५ साल के बच्चे को भी पता है के वो क्या है हिन्दू या मुसलमान .............. यारो हम १९४७ में एक बार बटकर आज तक कोसते है और भ्रस्त नेताओ ने हमको हर पल बाटा है अज मंदिर मई एक मारा तो हिन्दू मारा मस्जिद में मुसलमान मारा गिरजा में इसाई और गुरुद्वारा में सिख मरता है कोई माँ का लाल ये नहीं कहता के ४ hindustani मरे
आखिर कहा ले आई है हमारे देश की गन्दी राजनीती हम लोगो को ज़मीनी बटवारे के बाद अब क्या इंसानियत को भी बाट रहे है हम
tariq bhai sirf our sirf aap jai musalmano ki ees desh ko jarurat hai agar sabhi log eesi taraha aapasi matbhed mitakar rahenge to fir ek bar hindusthan par tinga shan se laharayega jay hind vande mataram
ReplyDeleteजी राम प्रहार जी आपने सही कहा तारिक जैसे मुसलमानों की इस देश को ज़रूरत है लेकिन इस ज़रूरत को समझने के लिए भी इंसानियत चाहिए जो आजकल सिर्फ और सिर्फ धर्म के ठेकेदारों के हाथ में है |
ReplyDeleteतो आपसे विनती है आप ये भी पोस्ट कर दे की हम मुसलमानों को समझने के लिए इंसानियत की भी ज़रूरत है }
आपने तारिक जी का लेख पढने के बावजूद उन्हें मुसलमान ही कहा, इंसान नहीं ?????
और मुझे अपने लिए बोला हुआ एक वाक्य याद आ गया " मुस्लिम है लेकिन है अच्छी "......
sahee farmaya taranum ji aapney aj kal ke netao ne halaat hamarey liye aise kardiya hai ki hum sarhad par mulk ke liye martey hai toh dum todney ke pahaley humko watan parast honey ka saboot dena hota hai mai 3 dino pahaley train se Delhi se Lucknow araha tha mainey kutra aur jeans pahana huwa tha har nazar mujhey shak ki nazar se dekh rahee thi............. akhir me mainey bhi mazak banatey huwey train attendent ko bedding magtey huwey kaha saley dikhta nahee hai atankwadi hu
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