Wednesday, 23 March 2011

शिक्षा मंत्री जी छात्र हित है या किसी का और हित

साभार दैनिक जागरण दिनांक २३.०३.२०११
देश का सबसे बड़ा शिक्षा बोर्ड उत्तर प्रदेश यानि up बोर्ड की 
परीक्षा १७-०३-२०११ से शुरू हो गई है परीक्षा के ठीक २ दिनों पहले यानी १५ मार्च को शिक्षा मंत्री जी के विशेष कृपा से २३ विधायालायो को और परीक्षा केन्द्रों की अनुमति दे गई है
अचरज हुवा न जान कर दरअसल किस्सा यह है की १५ मार्च को शासनदेश समष्ट जिलो को मिला जो दिनांक ११ मार्च का पारित था की "माध्यमिक शिक्षा अधिनियम की धरा ९(४) का प्रयोग होते हुवे २३ और विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है अब ये ९(४) अधिनियम क्या है ये बताता चालू आपको ये वह अधिनियम है जो सरकार को विधमान सारे नियमो को शिथिल करते हुवे सरकार को किसी निर्णय का अधिकार देता है.अब प्रश्न उठता है की इस धरा का उपयोग करने की सरकार को आखिर आवश्यकता क्या पड़ गई आखिर उन विद्यालयों में ऐसा क्या है जो छात्र हित में आवश्यक था और अगर ऐसा कुछ है तो निर्धारित प्रक्रिया में शिथिलता क्यों थी उनको पहले ही क्यों नहीं केंद्र बनाया गया और उन परीक्षा केन्द्रों में जिनको बदल कर ये परीक्षा केंद्र बने है उनमे जब खराबी थी तो बोर्ड को पहले क्यों नहीं दिखाई दी और यदि ऐसा है तो उनको परीक्षा केंद्र गलत बनाने का दाइत्वा का निर्धारण क्यों नहीं हुवा ?
और सबसे हैरानी की बात यह है की २३ नई केन्द्रों में सबसे जादा आजमगढ़ के है फिर बाकी मिर्ज़ापुर,हाथरस,अम्बेडकरनगर की विद्यालय है अगर पूर्व शिक्षा मंत्री की डाक्टर मसूद अहमद की बात करे तो उनके कथन है की ये निर्धारण करोडो का खेल होता है अब प्रश्न यह आता है की उनके शासनकाल में भी ऐसा ही खेल होता होगा 
अब ये क्यों हुवा इसका सही जवाब तो वर्तमान शिक्षा मंत्री जी ही दे सकते है की ये छात्र हित है या किसी का और हित है  

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