Wednesday, 9 March 2011

रामदेव के खिलाफ संत समाज मुखर


संत समाज के प्रमुख एवं राजग सरकार में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने बाबा रामदेव को ग़रीब विरोधी बताकर उनकी परेशानी बढ़ा दी है. चिन्मयानंद कहते हैं कि रामदेव ने बीते आठ वर्षों में ग़रीबों के कल्याण के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठा किए, लेकिन ग़रीबों का कोई कल्याण नहीं किया. वह अपने सभी उत्पादों पर करोड़ों रुपये की कर चोरी करते हैं. अगर रामदेव जन कल्याण के नाम पर लाभ रहित उत्पाद बनाते हैं तो उनके उत्पाद इतने महंगे क्यों हैं? इतने कम समय में उन्होंने हरिद्वार से स्काटलैंड तक साम्राज्य कैसे खड़ा किया, इसकी सीबीआई द्वारा जांच की जानी चाहिए.

ॠषिकेश से टिहरी तक बाबा को मुखर विरोध झेलना पड़ रहा है. टिहरी के सांसद विजय बहुगुणा ने बाबा की संपत्ति की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. लोगों ने योग गुरु का पुतला फूंककर भी अपनी भड़ास निकाली. जवाब में ॠषिकेश के दून चौराहे पर हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का पुतला फूंका. ॠषिकेश के वेदास्थानम्‌ के महंत विनय सारस्वत ने सुझाव दिया है कि रामदेव को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लेनी चाहिए, उनका छद्म रूप जनता को बरगलाने में सफल नहीं होगा, उनके आचरण से भगवा वेश कलंकित हो रहा है.

चिन्मयानंद ने कहा कि रामदेव योग को बेचते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि अगर शो करने पर देश के सिने कलाकारों को करोड़ों रुपये टैक्स देना पड़ता है तो बाबा के योग शो को सरकार ने इस दायरे से बाहर कैसे रखा है? उन्हें भी टैक्स के दायरे में लाया जाना चाहिए. बाबा ने जन कल्याण के नाम पर जनता से छल करके करोड़ों रुपये की काली कमाई की है. आयुर्वेदिक दवाएं तो डाबर एवं झंडू फार्मा सहित अनेक कंपनियां बनाती हैं, जो सभी तरह के टैक्स अदा करती हैं. इसके बावजूद उनके उत्पाद दिव्य योग पीठ फार्मेसी की दवाओं से कम दामों पर बिकतें हैं. चिन्मयानंद ने कहा कि अगर रामदेव सच्चे राष्ट्रभक्त हैं तो उन्हें वे सभी टैक्स ईमानदारी से जमा कर देने चाहिए, जिनकी उन्होंने अब तक चोरी की है. उन्होंने रामदेव से सवाल किया कि वह स्पष्ट करें कि दवाओं एवं योग की आमदनी का कितना प्रतिशत धन ग़रीबों के कल्याण पर अब तक ख़र्च किया गया. बाबा पचास करोड़ रुपये की मोटी रकम ग़रीबों के कल्याण के लिए अनुदान के रूप में भारत सरकार से स्वीकृत करा चुके हैं, जिसमें से वह तीस करोड़ रुपये का आहरण कर चुके हैं, बीस करोड़ रुपये निकालने की फिराक में है, जिसे सरकार को जारी करने से रोक देना चाहिए. स्वामी चिन्मयानंद ने बाबा का कच्चा चिट्ठा खेालते हुए कहा कि उनका काला धन उनकी बुद्धि को भ्रष्ट कर रहा है, जिसके चलते वह बहकी-बहकी बातें करने लगे हैं. एकाध बुद्धि शुद्धी यज्ञ बाबा को अपने लिए भी करा लेना चाहिए.
योग गुरु रामदेव के ख़िला़फ एक दर्जन से अधिक संत-महात्मा धर्म नगरी हरिद्वार में मुखर हैं और उन्हें अधर्मी एवं वेश विरोधी बताते हुए आईना दिखाने का काम कर रहे हैं. प्रख्यात संत हठयोगी जी ने कहा कि रामदेव ने संत वेश का फायदा लेकर, बाबाओं से झूठ बोलकर भगवा वेश को कलंकित किया है. वह साधु नहीं, व्यापारी हैं. साधु तो वे हैं, जो त्यागपूर्ण जीवन जी कर धर्म का प्रचार कर रहे हैं. हठयोगी जी कहते हैं कि अगर रामदेव में सच्चाई है तो वह अपने गुरु को क्यों नहीं खोजकर समाज के सामने प्रस्तुत करते. अपने गुरु को ठिकाने लगाने में उन्हीं की भूमिका रही है, पूरा समाज इस सच को जान चुका है कि जो अपने गुरु का नहीं हुआ, वह देश-समाज का क्या होगा? झूठ और काले धन पर निर्मित रामदेव का साम्राज्य बालू की भीत की तरह है, जो उनके बड़बोलेपन के चलते ध्वस्त हो जाएगा. राजीव दीक्षित की मौत को संदेह के घेरे में खड़ा करते हुए हठयोगी जी ने कहा कि रामदेव तो योग से ब्लॉकेज हटाने का लंबा-चौड़ा व्याख्यान करते हैं तो दीक्षित की मौत हार्ट अटैक से कैसे हुई?
हरिद्वार के प्रख्यात संत ॠषिश्वरानंद जी को रामदेव द्वारा काले धन पर निशाना साधने को लेकर दाल में कुछ काला नज़र आ रहा है. उनका मानना है कि रामदेव एक राजनीतिक दल के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं, इसीलिए राजीव एवं इंदिरा गांधी की शहादत को भुलाकर वह उन पर कीचड़ उछाल रहे हैं. विहिप के लोगों ने राम मंदिर के नाम पर जनता से अरबों रुपये की उगाही की, लेकिन रामदेव को राम के नाम पर धोखा देने वाले लोग इसलिए नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि वे उन्हीं की जमात के हैं. रामदेव का आचरण किसी भी तरह से संत का आचरण नहीं दिखता. इसलिए उन्हें अपने नाम के पहले बाबा शब्द को हटा देना चाहिए. उन्होंने काले धन की बात करके जनता को भ्रमित करने का ठेका ले रखा है. जिस तरह रावण ने माता सीता का हरण करने के लिए भगवा वेश धारण किया था, उसी तरह रामदेव रावण के आचरण को अपनाते हुए जनता रूपी सीता का हरण करने के लिए भगवा वेश का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिसे देश की जनता ही बेनकाब करेगी.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का रामदेव के पाले में खुल कर खड़ा होना, हरिद्वार के संतों का मुखर विरोध इस बात को दर्शाता है कि राजनीति में कूदने को आतुर बाबा का बड़बोलापन उनके ही गले की हड्डी बनता जा रहा है. बाबा अपने समर्थकों से चाहे जितनी भी अपनी पीठ थपथपा लें, हरिद्वार का संत समाज मुखर विरोध के साथ उनसे किनारा कर रहा है. इंदिरा-नेहरू परिवार पर हाथ डालने वाले बाबा को जिस तरह फज़ीहत झेलनी पड़ रही है, उससे एक ही बात स्पष्ट हो रही है कि उनके बलिदान के आगे बाबा की बाबागिरी टिकने वाली नहीं है. कनखल के दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट से शुरू हुए रामदेव का साम्राज्य आज स्काटलैंड तक फैला हुआ है. वर्ष 2003 में रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण इसी ट्रस्ट के तीन कमरों में मरीजों का उपचार किया करते थे. महज़ आठ साल में विदेशों तक साम्राज्य खड़ा करना देवभूमि के लोगों को खलने लगा है.
हाल में नितिन गडकरी के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी बाबा की सराहना करके अपनी रीति-नीति स्पष्ट कर दी है. ॠषिकेश से टिहरी तक बाबा को मुखर विरोध झेलना पड़ रहा है. टिहरी के सांसद विजय बहुगुणा ने बाबा की संपत्ति की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. लोगों ने योग गुरु का पुतला फूंककर भी अपनी भड़ास निकाली. जवाब में ॠषिकेश के दून चौराहे पर हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का पुतला फूंका. ॠषिकेश के वेदास्थानम्‌ के महंत विनय सारस्वत ने सुझाव दिया है कि रामदेव को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लेनी चाहिए, उनका छद्म रूप जनता को बरगलाने में सफल नहीं होगा, उनके आचरण से भगवा वेश कलंकित हो रहा है.

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