सिन्धु नदी हमेशा से सिन्धु नदी कही जाती है , सभ्यताओ के समस्त परिवर्तन और भाषाओं के तमाम उलटफेर के बावजूद सिन्धु नदी का नाम आज भी सिन्धु नदी ही है , सिन्धु नदी को हिन्दू नदी नहीं कहा जाता , तो सनातन -आर्यों को हिन्दू और सनातन -आर्य सभ्यता को हिन्दू सभ्यता कैसे कहा जाने लगा
याद रखो इस वतन का न...ाम हिदुस्तान मुसलमानों दुवारा रखा गया तो हिन्दू सनातन -आर्य कैसे कहला सकते है ??????????????
याद करो मुगलों के वे अल्फाज़ जब वे अपने भाइयो को खबर देने को कहते तो बोलते """"बिरादर -ऐ-हिंद को खबर दो """" तब वे "बिरादर -ऐ -हिंद " या हिन्दू किसी सनातन -आर्य को नहीं बल्कि खुदको कहते थे ,,,,,,,,,
ये बात हकीकत है की स्वार्थी भगवा राजनितिज्ञो दुवारा मुग़ल काल या उसके बाद सनातन -आर्य धर्मियों को हिन्दू की संज्ञा दी जाने लगी , और फिर सब नासमझ लोग सनातन -अ/र्यो को हिन्दू कहने लगे ... इस चाल में इन लोगो का बहुत बड़ा स्वार्थ छुपा था और इस स्वार्थ को कुछ इस तरह समझा जा सकता है ....
ये चाल इन्होने इसलिए चली.....
जिससे ये लोग खुलकर इस वतन पर अपना और सिर्फ अपना हक जाता सके ,
जिससे ये लोग इस वतन को अपनी और सिर्फ अपनी जागीर बता सके ,
जिससे ये इस वतन को अपना और सिर्फ अपना कह सके ,
जिससे ये मुसलमानों और बाकी जातियों का हक चीन सके ........
और इस वतन को अपनी विदेशी सभ्यता और संस्कृति में ढाल सके और ये सब इस नाम परिवर्तन किये बिना मुमकिन नहीं था ,,,,,
मै अपनी इस बात को एक ताज़ा मिसाल से साबित भी कर सकता हु , सभी जानते है की इंदिरा गाँधी की शादी एक मुसलमान से हुई जिसका नाम था फ़िरोज़ खान लेकिन ठीक उसी निति के तहत फिरोज खान का नाम बदल कर फिरोज गाँधी कर दिया गया , ये नाम परिवर्तन भी इसी लिए किया गया जिससे ये फिरोज खान को अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति और अपनी विचार -धरा का बना सके या दिखा सके , ये फिरोज खान को अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति और अपनी विचार -धारा का बना तो नहीं सके लेकिन दिखाने में कामयाब हो गये , हलाकि फिरोज खान मरते दम तक मुसलमान रहे लेकिन इनका मकसद सिर्फ सच्चाई को छुपाये रखना है , लेकिन कबतक छुपायेगे रात चाहे कितनी भी लम्बी हो हर रात की सुबह मुक़र्रर है.........
बस इतनी सी दास्ताँ है इनकी
ये हिन्दू नाम का छाता जो हम मुसलमानों की तामीर है , इससे ये लोग कब तक अपने आप को छुपायेगे , एक न एक दिन ये छाता सर से उतरेगा फिर देखना हकीकत का सूरज सरपर होगा और ये लोग उस वक़्त पसीना -पसीना होगे........
साभार नसीम निगार हिंद
याद रखो इस वतन का न...ाम हिदुस्तान मुसलमानों दुवारा रखा गया तो हिन्दू सनातन -आर्य कैसे कहला सकते है ??????????????
याद करो मुगलों के वे अल्फाज़ जब वे अपने भाइयो को खबर देने को कहते तो बोलते """"बिरादर -ऐ-हिंद को खबर दो """" तब वे "बिरादर -ऐ -हिंद " या हिन्दू किसी सनातन -आर्य को नहीं बल्कि खुदको कहते थे ,,,,,,,,,
ये बात हकीकत है की स्वार्थी भगवा राजनितिज्ञो दुवारा मुग़ल काल या उसके बाद सनातन -आर्य धर्मियों को हिन्दू की संज्ञा दी जाने लगी , और फिर सब नासमझ लोग सनातन -अ/र्यो को हिन्दू कहने लगे ... इस चाल में इन लोगो का बहुत बड़ा स्वार्थ छुपा था और इस स्वार्थ को कुछ इस तरह समझा जा सकता है ....
ये चाल इन्होने इसलिए चली.....
जिससे ये लोग खुलकर इस वतन पर अपना और सिर्फ अपना हक जाता सके ,
जिससे ये लोग इस वतन को अपनी और सिर्फ अपनी जागीर बता सके ,
जिससे ये इस वतन को अपना और सिर्फ अपना कह सके ,
जिससे ये मुसलमानों और बाकी जातियों का हक चीन सके ........
और इस वतन को अपनी विदेशी सभ्यता और संस्कृति में ढाल सके और ये सब इस नाम परिवर्तन किये बिना मुमकिन नहीं था ,,,,,
मै अपनी इस बात को एक ताज़ा मिसाल से साबित भी कर सकता हु , सभी जानते है की इंदिरा गाँधी की शादी एक मुसलमान से हुई जिसका नाम था फ़िरोज़ खान लेकिन ठीक उसी निति के तहत फिरोज खान का नाम बदल कर फिरोज गाँधी कर दिया गया , ये नाम परिवर्तन भी इसी लिए किया गया जिससे ये फिरोज खान को अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति और अपनी विचार -धरा का बना सके या दिखा सके , ये फिरोज खान को अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति और अपनी विचार -धारा का बना तो नहीं सके लेकिन दिखाने में कामयाब हो गये , हलाकि फिरोज खान मरते दम तक मुसलमान रहे लेकिन इनका मकसद सिर्फ सच्चाई को छुपाये रखना है , लेकिन कबतक छुपायेगे रात चाहे कितनी भी लम्बी हो हर रात की सुबह मुक़र्रर है.........
बस इतनी सी दास्ताँ है इनकी
ये हिन्दू नाम का छाता जो हम मुसलमानों की तामीर है , इससे ये लोग कब तक अपने आप को छुपायेगे , एक न एक दिन ये छाता सर से उतरेगा फिर देखना हकीकत का सूरज सरपर होगा और ये लोग उस वक़्त पसीना -पसीना होगे........
साभार नसीम निगार हिंद
No comments:
Post a Comment