Wednesday, 5 October 2011

खुल गया अन्ना के का असली चेहरा

लालकृष्‍ण आडवाणी की रथयात्रा को समर्थन देने के सवाल पर टीम अन्‍ना में अलग-अलग राय होने की खबर आ रही है। इस बारे में अभी कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन निजी तौर पर किरण बेदी की राय है कि इस यात्रा को समर्थन दिया जाए। लेकिन अरविंद केजरीवाल की राय अलग है। वह चाहते हैं कि पहले भाजपा अपने शासन वाले राज्‍यों में लोकायुक्‍त की नियुक्ति करे। संतोष हेगड़े इन दोनों से अलग राय रखते हैं। उनका मानना है कि भ्रष्‍टाचार का विरोध और उसके खिलाफ लड़ाई तो ठीक है, लेकिन हमारी राह अलग है।
अरविंद केजरीवाल से जब यह पूछा गया कि कुछ राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के खिलाफ बने माहौल का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे लेकर भाजपा के नेता लालकृष्‍ण आडवाणी की रथयात्रा भी होनी है, तो केजरीवाल ने कहा कि जहां भी ऐसे नेता पहुंचें वहां लोगों को उनसे भ्रष्टाचार पर ठोस सवाल करने चाहिए। लेकिन इसी मुद्दे पर किरण बेदी ने कहा कि जो भी राजनीतिक पार्टी भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर साफ मन से सामने आती है हम उसके साथ हैं। हमारा उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार मिटाना है। इसमें जो भी चाहे हिस्‍सेदारी कर सकता है। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इस मुद्दे पर कहा कि कोई भी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के खिलाफ रथ यात्रा करे, उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। उनके मुताबिक कोई भी राजनीतिक पार्टी यात्रा करती है तो यह उसका अपना मामला है, उनका आंदोलन इससे अलग है।
82 वर्षीय लालकृष्ण आडवाणी पांचवीं बार रथ लेकर देश के दूर-दराज इलाकों की यात्रा पर निकलने का ऐलान किया है। आडवाणी के मुताबिक यह यात्रा भ्रष्‍टाचार के विरोध में होगी। हालांकि आडवाणी ने यह नहीं बताया कि यात्रा कब शुरू होगी, किन-किन इलाकों से गुजरेगी और इसे वे क्या नाम देना चाहते हैं। आडवाणी ने पहली रथयात्रा 1990 में की थी जब वे सोमनाथ से अयोध्या गए थे।

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