गुजरात दंगों का जिन्न
2002 गुजरात दंगों का जिन्न मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का पीछा नहीं छोड़ रहा है। कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट मोदी पर भारी पड़ सकती है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में एसआईटी के उलट मोदी के खिलाफ मामला न बंद करने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट समेत सभी गवाहों से पूछताछ होनी चाहिए।
दरअसल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों सद्भावना मिशन के जरिए अपनी छवि सुधारने में लगे हैं। लेकिन हो सकता है कि उनकी इस कोशिश पर पानी फिर जाए। इसकी वजह बन सकती है सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट। एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट जल्द ही अदालत में पेश होने वाली है।
सूत्रों की मानें तो इस रिपोर्ट में मोदी और 2002 के गुजरात दंगों के बारे में काफी कुछ कहा गया है। इस रिपोर्ट में मोदी के खिलाफ मामला चलाने की पैरवी की गई है। आरोप लगाए गए हैं कि आईपीसी के सेक्शन 153 और 166 के तहत मोदी ने समुदायों के बीच शत्रुता फैलाई और जनसेवक के रूप में दायित्व नहीं निभाया। एमिकस क्यूरी का कहना है कि मोदी के खिलाफ केस को बंद नहीं किया जा सकता। केस चलाने के लिए काफी सबूत मौजूद हैं।
गौरतलब है कि 600 पन्नों की एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया था कि गुलबर्ग सोसाइटी में मुसलमानों पर हमलों में सरकार की प्रतिक्त्रिया वैसी नहीं थी, जैसी होनी चाहिए थी। इससे पहले एसआईटी ने विश्व हिंदू परिषद की विचारधारा वाले वकील को दंगों से जुड़े केसों के लिए सरकारी वकील नियुक्त करने पर मोदी सरकार की आलोचना की थी। हालांकि, एसआईएटी ने मोदी के खिलाफ सबूत न होने की बात कहते हुए केस को आगे न बढ़ाने की पैरवी भी की थी।
साफ है कि एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट मोदी के सद्भावना मिशन की मुहिम में ग्रहण लगा सकती है। अपनी छवि सुधारने में लगे मोदी इन दिनों हज पर जाने वाले मुस्लिम भाईयों को भी शुभकामनाएं देने में लगे हैं। पूरे गुजरात में मोदी के शुभकामना वाले होर्डिग्स लगाए गए हैं। लेकिन इस रिपोर्ट के खुलासे ने एक बार फिर मोदी की मुसीबतें बढ़ा दी हैं।
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