Tuesday, 25 October 2011

काबा में शंकर ................?

                            
शुरू अल्लाह के नाम से, जो निहायत ही रहीम व करीम है.
मुझसे अक्सर कई मेरे हिन्दू दोस्त पूछा करते है और कहते है कि तुम्हें पता है, काबा भी हमारा ही है! वह हमारे शंकर जी को कैद करके तुमलोगों ने रक्खा है उसमें एक पत्थर लगा है और वह पत्थर ही भगवान शिव हैं और वह वहां विराजमान हैं! इसलिए तुम सब भी उन्ही की पूजा करते हो. यह पत्थर केवल मात्र पत्थर ही नहीं बल्कि भाग्वान शिव का साक्षात रूप है और तुम लोग भी इसे पूजते हो ! मुझे हंसी आजाती थी कल भी एक साहेब ने ऐसे ही कहा मैने उनको उनके अंदाज़ में जवाब दिया मैने कहा, "अगर यही बात है तो तुम मुसलमान क्यूँ नहीं बन जाते और तुम भी जाओ उस पत्थर को चूमने" और दूसरी बात तब तो मेरा धर्म सबसे बलशाली धरम है जिसने तुम्हारे भगवान् तक को कैद करके रख लिया है
मै यह सवाल अपने बचपन से सुनता आ रहा हूँ जिसको देखो अपने भगवान् की महीमा गाता है और फिर कहता है की हमने उनको कैद करके रख लिया है उन्हों ने कहा की उनके ऊपर गंगा जल डालने से वो प्रकट हो जायेगे मैने कहा भाई तो एक काम करो तुम मुस्लमान बन जाओ और गंगा जल लेकर जाओ वह और उनको प्रकट करवाओ मगर अगर प्रकट नहीं हुवे तो आप अपनी पूरी कौम को मुस्लमान कर देना और अगर प्रकट हो गए जो संभव नहीं है तो वो खुद तुम्हारे कहानी के हिसाब से सबको हिन्दू बना देंगे ............ यह कह कर मै जोर से हसने लगा उनकी जल भुन कर खाक हो गए
उन्हों ने कहा की आप मूर्ति पूजा का विरोध करते हो तो फिर काबा की तरफ़ मुहं करके नमाज़ क्यूँ पढ़ते हैं?
मैने कहा की इसमे तुम्हारी गलती नहीं है कभी अपने धर्म को पढ़ा हो तब पता चले की क्यों ............... यार सारे वेड उठालो गीता उठालो,पुराण उठा लो,रामायण उठालो,रामचरितमानस उठालो,कादम्बनी उठालो और साथ में पराशर उठा लो कही दिखाओ की मूर्ति पूजा है खाई बहस का सिलसिला ख़तम हो गया मगर मैने ऐसे लोगो को आइना दिखाने क लिए सोचा की ये पूरा लिख ही डालू
मैं हिन्दू भाईयों में अज्ञानतावश, या जानबूझकर कुतर्क के ज़रिये हमेशा से पूछे गए इस सवाल का जवाब देता हूँ कि काबा में भगवान शिव हैं, या मुस्लिम काबा के पत्थर अथवा काबा की पूजा करते हैं.

सबसे पहला जवाब है:

जब आप मानते हो कि वहां (मक्का के काबा में, मुसलमानों के इबादतगाह में) शिव हैं तो आप मुसलमान क्यूँ नहीं हो जाते? (The stone you are seeing in the Kaa'ba is called Hajr-e-Aswad)

दूसरा जवाब:

काबा मतलब किबला होता है जिसका मतलब है- वह दिशा जिधर मुखातिब होकर मुसलमान नमाज़ पढने के लिए खडे होते है, वह काबा की पूजा नही करते.


मुसलमान किसी के आगे नही झुकते, न ही पूजा करते हैं सिवाय अल्लाह के.

सुरह बकरा में अल्लाह सुबहान व तआला फरमाते हैं -
"ऐ रसूल, किबला बदलने के वास्ते बेशक तुम्हारा बार बार आसमान की तरफ़ मुहं करना हम देख रहे हैं तो हम ज़रूर तुमको ऐसे किबले की तरफ़ फेर देंगे कि तुम निहाल हो जाओ अच्छा तो नमाज़ ही में तुम मस्जिदे मोहतरम काबे की तरफ़ मुहं कर लो और ऐ मुसलमानों तुम जहाँ कहीं भी हो उसी की तरफ़ अपना मुहं कर लिया करो और जिन लोगों को किताब तौरेत वगैरह दी गई है वह बखूबी जानते है कि ये तब्दील किबले बहुत बजा व दुरुस्त हैं और उसके परवरदिगार की तरफ़ से है और जो कुछ वो लोग करते हैं उससे खुदा बेखबर नहीं." (अल-कुरान 2: 144)

इस्लाम एकता के साथ रहने का निर्देश देता है:

चुकि इस्लाम एक सच्चे ईश्वर यानि अल्लाह को मानता है और मुस्लमान जो कि एक ईश्वर यानि अल्लाह को मानते है इसलिए उनकी इबादत में भी एकता होना चाहिए और अगर ऐसा निर्देश कुरान में नही आता तो सम्भव था वो ऐसा नही करते और अगर किसी को नमाज़ पढने के लिए कहा जाता तो कोई उत्तर की तरफ़, कोई दक्षिण की तरफ़ अपना चेहरा करके नमाज़ अदा करना चाहता इसलिए उन्हें एक ही दिशा यानि काबा कि दिशा की तरफ़ मुहं करके नमाज़ अदा करने का हुक्म कुरान में आया. तो इस तरह से मुसलमान कही भी रहे काबे की तरफ रुख करके नमाज़ अदा करता है और वो रुख पश्चिम पड़ता है क्यों की काबा दुनिया के नक्शे में बिल्कुल बीचो-बीच (मध्य- Center) स्थित है:

आखिर ये लोग क्यों भूल जाते है की दुनिया में मुसलमान ही प्रथम है जिन्होंने विश्व का नक्शा बनाया. उन्होंने दक्षिण (south facing) को upwards और उत्तर (north facing) को downwards करके नक्शा बनाया तो देखा कि काबा center में था. बाद में पश्चिमी भूगोलविद्दों ने दुनिया का नक्शा उत्तर (north facing) को upwards और दक्षिण (south facing) को downwards करके नक्शा बनाया. फ़िर भी अल्हम्दुलिल्लाह नए नक्शे में काबा दुनिया के center में है.

काबा का तवाफ़ (चक्कर लगाना) करना इस बात का सूचक है कि ईश्वर (अल्लाह) एक है:
जब मुसलमान मक्का में जाते है तो वो काबा (दुनिया के मध्य) के चारो और चक्कर लगते हैं (तवाफ़ करते हैं) यही क्रिया इस बात की सूचक है कि ईश्वर (अल्लाह) एक है.

काबा पर खड़े हो कर अजान दी जाती थी:

हज़रत मुहम्मद सल्ल.ने काबे पर खडे होकर अज़ान deney का hukm huzrat belal को दिया और hazrat belal ने काबे के ऊपर खडे होकर अज़ान दी और उसके बाद भी लोग काबे पर खड़े हो कर लोगों को नमाज़ के लिए बुलाने वास्ते अजान देते थे. उनसे जो ये इल्जाम लगाते हैं कि मुस्लिम काबा कि पूजा करते है, से एक सवाल है कि कौन मूर्तिपूजक होगा जो अपनी आराध्य मूर्ति के ऊपर खडे हो उसकी पूजा करेगा. जवाब दीजिये?

वैसे इसका तीसरा और सबसे बेहतर जवाब है मेरे पास की :  
हदीस में एक जगह लिखा है कि "हज़रत उमर (र.अ.) यह फ़रमाते हैं कि मैं इसे चूमता हूँ, क्यूंकि इसे हमारे प्यारे नबी (स.अ.व.) ने चूमा था, वरना यह सिर्फ एक पत्थर ही है इसके सिवा कुछ नहीं, यह मेरा ना लाभ कर सकता है, ना ही नुकसान."

7 comments:

  1. bhai ek shahanshah aurangzeb ne aapney baap ko kaid kiya toh insaaf ke liye aap toh aisey hai ki apney baap ko maar kar satta patey chaley aye hai lakho udaharan hai
    aur raja chhodo bhai aap toh swami hokar bhi apney guru ki hatya kartey ho.......
    aur rahee baat paisey ki toh bhai aap bhi kamao aur bhejo kisney roka hai magar aako bhekh manganey se fursat kaha hai

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  2. masha allah aapne achcha marg darshan kiya , me aapka abhaar pirkat karta hun ..... jazakallah ...

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  3. Mahan Hinduo ne 10 dishaayein (direction) aap ke alla ke janam se pehle hi bana di thi...Rahi baat us Kaaba ke patthar ke jise tum " shaitaan kehte ho wo kaid nahi balki tumhaara banaya hua hai.. khundak mein hi us pe tum saare patthar barsaate rehte ho.. Mahaadev Shiv ko tum kya kaid karoge ???

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  4. baho khoob tarique bhai...........

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  5. Ye mahadeo hai kon chirkut ?????????

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