Tuesday, 18 October 2011

हनुमान------------------इसको बरा-इ-करम औरते न पढे

कल रात को लगभग ११ बजा था एक चाय की दूकान पर मै चाय पीने के लिए गया था एक RSS के देशभक्त ने मुझे निशाना बना कर एक बड़ा  विचित्र सा सवाल किया मैने उनको उसी भाषा में जवाब दिया | आप देखे मैने क्या जवाब दिया अगर आपको मेरा जवाब पसंद आया हो तो बताये |
उन्होने मुझसे पूछा भाई साहेब मैने सुना है आपलोगों के मुहम्मद साहेब के घर पर रोज़ सुबह सूरज और रात को चाँद आकार सलाम करते थे
मैने कहा हा
उन्होने कहा तो फिर उनका घर का दरवाज़ा कितना बड़ा था
मैने कहा भाई अगर आप समझदार होते तो मै आपको इसका सीधा सा सही जवाब देता आप जिस मानसिकता से पूछ रहे है तो उसका जवाब सुनिए
मै इंच तक बताऊंगा मगर मेरे को भी एक नाप चाहिए
बोले पूछिये
मैने कहा मैने भी पढ़ा है आपके हनुमान जी उडते हुवे जा रहे थे उनकी माँ ने कहा था बेटा केवल लाल चीज़ ही खाना उनको सुबह सुबह सूरज लाल दिखाई दिया उन्होने उसको खा लिया जब देवताओ ने उनके हाथ पैर जोड़े तो उन्होंने पोट्टी के रास्ते निकाल दिया
अब जाओ हनुमान जी के मुह और पिछड़ी की नाप लेकर आओ मै तुमको दरवाजे की नाप बता दूंगा
ये सुनकर उनका चेहरा लाल होगया मगर कुछ कर नहीं सकते थे इसलिए खामोश होकर वापस चलेगी
क्या मैने सही जवाब दिया

3 comments:

  1. bilkul sahi jawab diya apne tariq bhai

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  2. बिलकुल दुरुस्त जवाब दिया तारिक भाई,,,, नामुराद संघी हमेशा ऐसे ही उल जलूल सवाल करते हैं, बिना सर पैर के,, उन्हें सीधा जवाब भी समझ नहीं आता है....
    नारे लगाये बजरंगी,,,
    जब गां......ड मारे भंगी......
    हहहहहा

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  3. Abe suar teri okaat nahi hai itni badi baat kehne ki,bhagwan ka naam tere jaise shaitan k muh se acha ni lagta

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