साभार अली सोहराब के ब्लॉग से :-
वाल्मीकि और तुलसी की रामकथा को लेकर प्रतिरोध की एक लाइन हमेशा से रही है, लेकिन कभी ज्यादा मुखर नहीं रही। इस कथा को लेकर जनविश्वास ज्यादा सघन रहा है, है। अब जेएनयू का छात्र संगठन एआईबीएसएफ ने फेसबुक पर इस कथा के विरोध में एक टिप्पणी जारी की है। हम उस टिप्पणी को इधर से उधर कर रहे हैं : मॉडरेटर(mohallalive.com)
संविधान के अनुच्छेद 45 में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं की शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त करने की बात लिखी गयी है लेकिन तुलसी की रामायण, इसका विरोध करने की वकालत करती है।
1) अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए।
अर्थात जिस प्रकार से सांप को दूध पिलाने से वह और विषैला (जहरीला) हो जाता है, वैसे ही शूद्रों (नीच जाति वालों) को शिक्षा देने से वे और खतरनाक हो जाते हैं। संविधान जाति और लिंग के आधार पर भेद करने की मनाही करता है तथा दंड का प्रावधान देता है, लेकिन तुलसी की रामायण (रामचरितमानस) जाति के आधार पर ऊंच नीच मानने की वकालत करती है। देखें : पेज 986, दोहा 99 (3), उ. का.
2) जे वर्णाधम तेली कुम्हारा, स्वपच किरात कौल कलवारा।
अर्थात तेली, कुम्हार, सफाई कर्मचारी, आदिवासी, कौल, कलवार आदि अत्यंत नीच वर्ण के लोग हैं। यह संविधान की धारा 14, 15 का उल्लंघन है। संविधान सबकी बराबरी की बात करता है तथा तुलसी की रामायण जाति के आधार पर ऊंच-नीच की बात करती है, जो संविधान का खुला उल्लंघन है। देखें : पेज 1029, दोहा 129 छंद (1), उत्तर कांड
3) अभीर (अहीर) यवन किरात खल स्वपचादि अति अधरूप जे।
अर्थात अहीर (यादव), यवन (बाहर से आये हुए लोग जैसे इसाई और मुसलमान आदि) आदिवासी, दुष्ट, सफाई कर्मचारी आदि अत्यंत पापी हैं, नीच हैं। तुलसीदास कृत रामायण (रामचरितमानस) में तुलसी ने छुआछूत की वकालत की है, जबकि यह कानूनन अपराध है। देखें: पेज 338, दोहा 12(2) अयोध्या कांड।
4) कपटी कायर कुमति कुजाती, लोक, वेद बाहर सब भांति।
तुलसी ने रामायण में मंथरा नामक दासी (आया) को नीच जाति वाली कहकर अपमानित किया जो संविधान का खुला उल्लंघन है।देखें : पेज 338, दोहा 12(2) अ. का.
5) लोक वेद सबही विधि नीचा, जासु छांट छुई लेईह सींचा।
केवट (निषाद, मल्लाह) समाज और वेदशास्त्र दोनों से नीच है, अगर उसकी छाया भी छू जाए तो नहाना चाहिए। तुलसी ने केवट को कुजात कहा है, जो संविधान का खुला उल्लंघन है। देखें : पेज 498 दोहा 195 (1), अ. का.
6) करई विचार कुबुद्धि कुजाती, होहि अकाज कवन विधि राती।
अर्थात वह दुर्बुद्धि नीच जाति वाली विचार करने लगी है कि किस प्रकार रात ही रात में यह काम बिगड़ जाए।
7) काने, खोरे, कुबड़ें, कुटिल, कूचाली, कुमति जान
तिय विशेष पुनि चेरी कहि, भरतु मातु मुस्कान।
भरत की माता कैकई से तुलसी ने physically और mentally challenged लोगों के साथ-साथ स्त्री और खासकर नौकरानी को नीच और धोखेबाज कहलवाया है,
‘कानों, लंगड़ों, और कुबड़ों को नीच और धोखेबाज जानना चाहिए, उनमें स्त्री और खासकर नौकरानी को… इतना कहकर भरत की माता मुस्कराने लगी।
ये संविधान का उल्लंघन है। देखें : पेज 339, दोहा 14, अ. का.
8.) तुलसी ने निषाद के मुंह से उसकी जाति को चोर, पापी, नीच कहलवाया है।
हम जड़ जीव, जीवधन खाती, कुटिल कुचली कुमति कुजाती
यह हमार अति बाद सेवकाई, लेही न बासन, बासन चोराई।
अर्थात हमारी तो यही बड़ी सेवा है कि हम आपके कपड़े और बर्तन नहीं चुरा लेते (यानि हम तथा हमारी पूरी जाति चोर है, हम लोग जड़ जीव हैं, जीवों की हिंसा करने वाले हैं)।
जब संविधान सबको बराबर का हक दे चुका है, तो रामायण को गैरबराबरी एवं जाति के आधार पर ऊंच-नीच फैलाने वाली व्यवस्था के कारण उसे तुरंत जब्त कर लेना चाहिए, नहीं तो इतने सालों से जो रामायण समाज को भ्रष्ट करती चली आ रही है इसकी पराकाष्ठा अत्यंत भयानक हो सकती है। यह व्यवस्था समाज में विकृत मानसिकता के लोग उत्पन्न कर रही है तथा देश को अराजकता की तरफ ले जा रही है।
देश के कर्णधार, सामाजिक चिंतकों, विशेषकर युवा वर्ग को तुरंत इसका संज्ञान लेकर न्यायोचित कदम उठाना चाहिए, नहीं तो मनुवादी संविधान को न मानकर अराजकता की स्थिति पैदा कर सकते हैं। जैसा कि बाबरी मस्जिद गिराकर, सिख नरसंहार करवाकर, ईसाइयों और मुसलमान का कत्लेआम (ग्राहम स्टेंस की हत्या तथा गुजरात दंगा) कर मानवता को तार-तार पहले ही कर चुके हैं। साथ ही सत्ता का दुरुपयोग कर ये दुबारा देश को गुलामी में डाल सकते हैं, और गृह युद्ध छेड़कर देश को खंड खंड करवा सकते हैं।
hindu dhrm isi gnd ki seekh deta hai jiska hum pooran viodh karty hai... sabhi ambedkarwadi or buddhist or jo log kisi dhrm ko nahi manty vo hindu dhrm ki sacchai ko janty hai, ye aryo ki chaly hai jinhony sabhi moolnivasio ko or bharat ki minorities jo asl mai moolnivasi hai unhe dabany k liye ye sary khel rachy thy..
ReplyDeleteभाई महात्मा बुद्ध को तो आप मानते ही होंगे।आपके कॉमेंट के हिसाब से लग रहा है।तो बौद्ध भिछुक विराथू जी के बारे में भी जानकारी कर लो और इस पर कमेंट करने से अच्छा है रामचरितमानस अनुवाद हिन्दी सहित ले आओ और पढ़ लो प्ता चल जाएगा कि इसमें एक भी चौपाई का अर्थ सही है भी या नहीं की मनगढ़ंत लिख दी गई है।और हा म्यामार के बौद्ध भिछुक विराथू जी के बारे में जरूर पढ़ना।
Deleteone number 100%
Deletebramhan videshi hai
BHARAT MEIN SAMVIDHAN 1951 MEIN LAAGU HUA HAI ISLIYE YE NIYAM PAURAANIK BAATON PER LAAGU NAHIN HOTA AUR JO BAATEIN DHARM KA HISSA HOTI HAIN UNPER BHI SAMVIDHAN LAAGU NAHIN HOTA, JAISE EK PATNI KE ALAWA DOOSRI SHADI HAMARE SAMVIDHAN / LAWS MEIN ILLEGAL HAIN MAGAR ISLAM KE DHARM KA HISSA HONE KE KAARAN ISE JUSTIFIED KAR DIYA GAYA HAI, KRIPAN LEKAR AAP HAWAAI JAAHAJ MEIN NAHIN CHADH SAKTE MAGAR SARDAAARON KE DAHRM KA HISSA HONE KE KAARAN ISKO ACCEPT KIYA JAATA HAI,
ReplyDeletein bhadwo ko samajhao ki dharmik grantho par tippani karana chor de nahi to bahut bura hoga sale yaha par bhonkane aa jate hai amerika me kuran jalai gai thi tab kaha the tum log or ye mat bhulana usaka virodh hinduo ne bhi kiya tha salo sampradayikata se pet nahi bhara hai kya gujrat dango ka itihass dohrana chahate ho kya
ReplyDeleteMudgal ji aur Gajendra Bohra ji
ReplyDeleteAap par kuchh prashana uthai toh aap itna tilmila uthey jab ki mainey sach likha hai aap log us par kyo nahee boltey hai jismey Hindu Mahasabha ke naam par humarey dharm par galat kichad uchhala jata hai
kaisee aapki dharmnirpekshata hai
कॉमेंट में नीचे जाओ और आसमानी किताब के बारे में जो लिखा है उस पर भी थोड़ा ज्ञान दे दो बाकी इसमें तो तुमने एक भी चौपाई की व्याख्या सही नहीं की है।जिन चौपाइयों के बारे में लिख रहे हो उनकी व्याख्या हिंदी में रामचरित मानस में ही है।तुम लोगो आसमानी किताब वालो को समझ में नहीं आएगी।
Deletemai teli...hu aur farzi majhabi jiska pahla masjid makka ka...wo bhi kabja kia hua hai kuraisho ke temple ka...jo lines likha hai uska byakhya to sahi kr leta....hukaa se badl bnane ki vidhi bta rha hai
Deleteएक बार संविधान पढिये तब कुछ बोलिए.. मानता हूँ की आप के पास जायदा जानकारी होगी.. पर यह बात तर्कहीन है
ReplyDeleteसंविधान में साफ़ शब्दों में लिखा है की यह १० वर्ष क लिए है..
ReplyDeleteसत्य वचन
Deleteसत्य वचन
Delete10 year ke liye only reservation ko rakha gaya tha..... Politics ke karan aj tak bana hua h
Delete1 -गैर मुसलमानों पर रौब डालो ,और उनके सर काट डालो .
ReplyDeleteकाफिरों पर हमेशा रौब डालते रहो .और मौक़ा मिलकर सर काट दो .सूरा अनफाल -8 :112
2 -काफिरों को फिरौती लेकर छोड़ दो या क़त्ल कर दो .
"अगर काफिरों से मुकाबला हो ,तो उनकी गर्दनें काट देना ,उन्हें बुरी तरह कुचल देना .फिर उनको बंधन में जकड लेना .यदि वह फिरौती दे दें तो उनपर अहसान दिखाना,ताकि वह फिर हथियार न उठा सकें .सूरा मुहम्मद -47 :14
3 -गैर मुसलमानों को घात लगा कर धोखे से मार डालना .
'मुशरिक जहां भी मिलें ,उनको क़त्ल कर देना ,उनकी घात में चुप कर बैठे रहना .जब तक वह मुसलमान नहीं होते सूरा तौबा -9 :5
जब्त करवा कर देख तो सही !!
ReplyDeleteमुझे बहुत शर्म आ रही है इस प्रकार की चौपाइयो की व्याख्या पर यह सारी व्याख्याये मैक्समुलर की देन है| और यह जिसने भी इसको प्रकाशित करने का कार्य किया है वो अत्यंत निंदनीय है |और इतनी छुवाछुत और नारी पर इतना विलाप है तो पहले अपने इस्लाम में बुर्का खत्म करो ! जहाँ औरत भेड़-बकरी की तरह बुर्के में कैद राखी जाती है |सिया-सुन्नी-कादियान और कई जाती प्रथा तो खत्म करो लखनउ के सिया-सुन्नी के विवाद तो खत्म करो ! यदि तुम्हारे बीच के जाती वैमनस्य की परते खोली तो खुद कब्र खोद सो जाओगे खबिजो की ओलादो.....
ReplyDeleteye log harami hai....
Deletegalat vykhya kie hai...
dhol gawar wali line samudra aur shri ram bhgwan ke bich ka vartalap hai...jisme samudra ne apne apko tuccha btane ke lie example dia hai...ab koi apne apko gyani ke smne anpadh pagal bole iska mtlb wo hai ni....
baki ki line kalyug ki bhavishyavani h...jab tk pura chapter ni pdhenge clear ni hoga...aisa sabko pracharit kare hindutva ko majbut kre
bhai itna uchhal kahey rahey ho aapne jinkey likhey shabdo ka ullekh kiya hai unka prayashchit bhi hai mere yaha aap padhey
ReplyDeleteजिस तरह आप इस खबरनामे से नफरत फैला रहे है, उस से आप अपने माशरे का तो क्या, आप अपना खुद का भी कोई भला नहीं कर रहे ! अल्लाह ने आप को इंसान बना कर भेजा है खुदा के वास्ते एक अच्छा इंसान बनो, खुद को खुदा बनाने की कोशिश मत करो ,जिस ने भी ये कोशिश की वो खुद फनाह हो गया !
ReplyDeleteकुरान इंसानियत विरोधी है इसको पूरी दुनिया मैं जला देना चाहिए और बिलकुल बंद कर देना चाहिए
ReplyDelete1. फिर, जब हराम के महीने बीत जाऐं, तो मुश्रिको को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें नमाज कायम करें और, जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है। (सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८)
2. हे ईमान लाने वालो! मुश्रिक(मूर्तिपूजक) नापाक हैं।(१०.९.२८ पृ. ३७१)
3. निःसंदेह काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं। (५.४.१०१. पृ. २३९)
4. हे ईमान लाने वालों! (मुसलमानों) उन काफिरों से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें। (११.९.१२३ पृ. ३९१)
5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं'' (५.४.५६ पृ. २३१)
6- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा 'कुफ्र' को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे'' (१०.९.२३ पृ. ३७०)
7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४)
8- ''हे 'ईमान' लाने वालो! उन्हें (किताब वालों) और काफिरों को अपना मित्र बनाओ। अल्ला से डरते रहो यदि तुम 'ईमान' वाले हो।'' (६.५.५७ पृ. २६८)
9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ. ७५९)
10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे 'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।''
11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ. ७३६)
12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों' का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,'' (२६.४८.२० पृ. ९४३)
ReplyDelete13- ''तो जो कुछ गनीमत (का माल) तुमने हासिल किया है उसे हलाल व पाक समझ कर खाओ'' (१०.८.६९. पृ. ३५९)
14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९. पृ. १०५५)
15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५)
16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का ('जहन्नम' की) आग। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी 'आयतों' का इन्कार करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ. ८६५)
17- ''निःसंदेह अल्लाह ने 'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८)
18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' (कपटाचारी) पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से 'जहन्नम' की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है।'' (१०.९.६८ पृ. ३७९)
19- ''हे नबी! 'ईमान वालों' (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों पर भारी रहेंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो समझबूझ नहीं रखते।'' (१०.८.६५ पृ. ३५८)
20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुम में से उनको मित्र बनायेगा, वह उन्हीं में से होगा। निःसन्देह अल्लाह जुल्म करने वालों को मार्ग नहीं दिखाता।'' (६.५.५१ पृ. २६७)
21- ''किताब वाले'' जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं न अन्तिम दिन पर, न उसे 'हराम' करते हैं जिसे अल्लाह और उसके रसूल ने हराम ठहराया है, और न सच्चे दीन को अपना 'दीन' बनाते हैं उनकसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जिजया' देने लगे।'' (१०.९.२९. पृ. ३७२)
22- २२ ''.......फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०)
23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर हुए हैं उसी तरह से तुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७)
24- ''उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा'' (१०.९.१४. पृ. ३६९)
उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।
जिस धर्म को अपनाने में तुम्हें आनन्द आता हो अपना लेना। हिन्दू सनातन धर्म के विषय में अनाप शनाप मन गढ़न्त विचार प्रस्तुत करना गलत है। संसार में जितने भी धर्म अस्तित्व में आये हैं पहले उनकी अच्छाई बुराई का आकलन करो फिर रामायण और गीता पर बोलना । कभी भूल से दोषारोपण मत करना । समझाने का क्या फायदा । रही बात जप्त करने की तो अब हिंदुस्तान में ऐसे हिन्दू नहीं है जो सोलह बार माफ़ी देगा । महाराणा प्रताप की तरह पहली बार में फैसला कर देगा ।
ReplyDeleteजिस धर्म को अपनाने में तुम्हें आनन्द आता हो अपना लेना। हिन्दू सनातन धर्म के विषय में अनाप शनाप मन गढ़न्त विचार प्रस्तुत करना गलत है। संसार में जितने भी धर्म अस्तित्व में आये हैं पहले उनकी अच्छाई बुराई का आकलन करो फिर रामायण और गीता पर बोलना । कभी भूल से दोषारोपण मत करना । समझाने का क्या फायदा । रही बात जप्त करने की तो अब हिंदुस्तान में ऐसे हिन्दू नहीं है जो सोलह बार माफ़ी देगा । महाराणा प्रताप की तरह पहली बार में फैसला कर देगा ।
ReplyDeleteजिसने भी गलत अर्थ निकाला है वह पक्का चुतिया है।
ReplyDeleteबहुत अच्छा जवाब मौर्य जी।
Deleteजिसने भी गलत अर्थ निकाला है वह पक्का चुतिया है।
ReplyDeleteAre bhosdi ka katua....galat vyakhya kia h phle shlok me bola gya ki kalyug me kya kya hoga pura pdh teli kumhar bhil kol kolwar ke smpatti nasta hone ya patni ke khtm hone pr sir munda ke sanyaasi ho jaenge aur bramhn se apni puja kra ke dono lok ko nast kr denge..mai bhi shudra hu lekin hindu hu..garv h mujhe aur tu h sale saitanik mjhb wale 22 ayte gair muslimo ko mrne ke lie uksati h use tu mjhb bolta h chi
ReplyDeleteसाले मुल्ले! तुम्हें ये भी मालूम होना चाहिए कि देश संविधान से चल रहा है, रामचरितमानस से नहीं ,जो संविधान के अनुच्छेद की दुहाई दे रहा है।
ReplyDeleteअरे कुबुद्धि नीच हलाला की पैदाइश! रामचरितमानस समझना तेरे वश की बात नहीं है।
सच बहुत कड़वा लागे है
Delete100%√
ReplyDeleteNahi likha dekh liya Galt mat batao
ReplyDeleteसही लिखा है अपने , ये हिन्दू मुस्लिम की बात नही मनुष्यता की बात है और तुलसीदास की विचारधारा इंसानियत के खिलाफ है और इस बात को स्वीकारने से किसी का अपमान नही हो जाएगा ।
ReplyDeleteरामचरित्रमनस, असंवैधनिक ग्रंथ/पुस्तक है ।
ReplyDeleteइसे जला देने की जरूरत हैं !
सच्चाई कडवि होती ये साबित होगयी
ReplyDeleteTumhare jaise logo ko siksha dene pr ye haal hua kee aaj ulta siddha explanation kr rahe ho ....tumhare leeye sahi likha hai ...
ReplyDeleteआसमानी किताब के बारे में नहीं लिखे कुछ।।
ReplyDeleteबच्चों को पैदा करते रहो दन दना दन।।
आप इसको माने या ना मानो आपको कौन कहता है कि इसको माने। इसी देश में बहुत ऐसै मज़हब है कि अपने अलावा किसी को मानते नहीं।ये करीब ४०० पुराने लेखक हैं जो देखा सुना लिख दिया।जो सही है अपनाया जायेगा गलत है हटा दिया जाएगा। लेकिन और मज़हब में यह व्यवस्था नहीं है।क्यो की सनातन धर्म है बाकी सब मज़हब है।
ReplyDeleteयह सत्य है कि तुलसीदास जी ने सवर्णों के अलावा सभी को अपमानित करने का पूरा प्रयास किया है मगर उक्त लेख में अनेक चौपाई और दोहे कूटरचित हैं, वे रामचरित मानस में कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं।
ReplyDeleteगलत का विरोध करें मगर सिर्फ़ विरोध करने के लिए विरोध न करें।
धन्यवाद।🙏🙏
सच्चाई यही है
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