Wednesday 16 March 2011

इसको मत पढ़ना इसमे बाबा रामदेव की बुराई लिखी है

मेरे प्यारे मित्रो 
  आप सभी के लिए एक घटना से अवगत करना चाहता हूँ यह घंटा जिसके है गाजीपुर के बरही के रहने वाले श्री अवधेश भारती के श्री अवधेश भारती ने तमाम तरह के परेशानियों का सामना बहादुरी से करते हुवे समाजशास्त्र से phd किया तमाम जद्दोजेहद के बाद अवधेश भारती जो अनुसूचितजाती से सम्बन्ध रखते है वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्व विध्यालय जौनपुर से संबध पचोटर महाविद्यालय में अनुमोदन के आधार पर इनकी नियुक्ति प्रवक्ता पद पर ०३.०२.२००५ को गयी जीवन रास्ते पर अगया था  मगर तभी थोडा सा जीवन में उथल पुथल आया १३.०४.२०१० को लगभग ३ बजे का समय डॉक्टर अवधेश कभी जीवन में नहीं भूल पायेगे घटना ही कुछ इसतरह हुए अवधेश जी भी अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर रहे थे तभी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉक्टर अशोक कुमार सिंह आये और कहा की परिच्छार्थियो से ५०० हर छात्र से लो और अध तुम रक्खो आधा मुझे पंहुचा दो इसपर डॉक्टर अवधेश ने माना कर दिया तभी उदाकदल के लोग पहुचे और प्रधानाचार्य से कानो मई बात कर पुरे क्लास को हे निलंबित करने को कहने लगे अपने छात्रो का भविष्य अन्धकार में जाता देख कर अवधेश जी ने आपत्ति की फिर क्या था डॉक्टर अशोक कुमार सिंह का पारा सातवे आसमान पर पहुच गया और उन्होंने तुरंत कहा के "तुम साले चमडिया तेरे हिम्मत कैसे हुए और डॉक्टर अवधेश के शुरू हो गई पिटाई ये देखकर दो अन्य प्रवक्ता और छात्रो के विरोध पर अशोक सिंह को हटना पड़ा
लोगो के साथ डॉक्टर अवधेश थाने पहुचे मगर थानाध्यक्ष श्री राम सिंह ने कहा के वो मेरा भाई बंधू है उसी माफ़ कर दो और रिपोर्ट न करो जब लोग नहीं माने तो दिखाया पूलिस ने बल और खदेड़ लिया
तब से लगातार अवधेश जी कॉलेज में अपमान झेलते रहे २ दिनों के बाद उनको कॉलेज से धक्का मार कर भगा दिया गया और नौकरी पर आने से रोक दिया डॉक्टर अवधेश लगातार दौड़ते रहे हद तो तब हो गई के डॉक्टर अवधेश सिंह से उनका अपमान करने वाले डॉक्टर अशोक सिंह ने कहा के तुम मेरा जूता अपनी ज़बान से साफ़ करदो में तुम्हे माफ़ कर दूंगा डॉक्टर अवधेश ने पूछा के आप माफ़ कर दोगे...? तो डॉक्टर अशोक ने कहा के तुमने हम ठाकुरों से ज़बान लड़ाया उसके लिए
एस अपमान को देखकर डॉक्टर अवधेश पहुच गए अनुसूचित जनजाति आयोग सारा केस जान कर आयोग ने थानेदार को आदेशित किया ०७.०७.२०१० को FIR लिखने को ...................
अब थानेदार साहेब की मजबूरी आगई फिर भी उन्होंने अपना कमाल दिखाया और मुकदमा संख्या ९६६/२०१० में ३२३/५०४/५०६ व ३(१) scst लगा कर चालान कचहरी भिजवा दिया और डॉक्टर अशोक सिंह को VVIP के तरह सड़क पर खुला छोड़ दिया जिसमे उनकी आज तक गिरफ़्तारी नहीं हुए है और कभी भी कत्चाहरी नहीं गए है और तो और आज तक पुलिस उनके दरवाज़े नहीं जाती है . ये हुवा २२/०७/२०१० को और फिर शुरू हुवा है उत्पीडन का दौर यानी मारना धमकाना लालच देना परन्तु कॉलेज में जाने ना देना
आज भी उस मुक़दमे में कोई ख़ास प्रगति नहीं है
ये हमारे उत्तर प्रदेश का हाल है जहा सरकार है दलितों की मसीहा मायावती जी के एक दलित का ऐसा उत्पीडन हो रहा है क्या एस्सपर कोई विरोध का स्वर उठेगा
ये एक अवधेश है जो जानकारी में आगई ना जाने कितने अवधेश अभी भी दम तोड़ रहे होगे उत्पीडन झेल झेल कर
यदि किसी को इस घटना पर किसी भी तरह का शक या शुबहा हो तो डॉक्टर अवधेश के मोबाइल नंबर ९४५३५९२५८ पर संपर्क कर सकते है अगर हम कुछ नहीं कर सकते है तो उनसे फ़ोन पर दो शब्दों का तस्सल्ली भरा शब्द कह सकते है
मैंने ऐसा शीर्षक एस लिए दिया है की वैसे तो कोई पढता नाहे है इसको अब शायद कोई पढ़ ले

No comments:

Post a Comment