Friday 25 March 2011

आखिर क्या है जिसकी की पर्दादारी है

UP Board की परीक्षाये 
UP बोर्ड की परिक्षये शुरू हो चुकी है बोर्ड और शिक्षा विभाग के निर्णय के तहत मीडिया को अन्दर जाने की अनुमति नहीं है जानकर आश्चर्य हुवा की आखिर ऐसा क्या है जो इतनी पर्दादारी है इस विचार में बड़ा मंथन किया परन्तु निष्कर्ष न निकल पाया मेरे एक मित्र है वाराणसी के अमित पाण्डेय जी ऐसे ही उनसे चर्चा कर बैठा , हसमुख मिजाज़ के अमित जी उर्फ़ रामू पाण्डेय ने अपना विचार रक्खा तो हंसी आगई उन्हों ने कहा "गुरु समझा करो अन्दर अगर नक़ल हो रही होगी तो मीडिया छाप देगी सर्कार को एक्शन लेना पड़ेगा अब न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी" इसको सुनकर हंसी आये पर सरकारी तंत्र पर और उसकी सोच का क्या है इसका निर्णय करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है 
खैर ! कई तरह की समस्याओ और आलोचनाओ के बाद साथ परीक्षा का खेल शुरू हो गया परीक्षा केंद्र की व्यवस्था और उसकी स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा इस से लगाया जा सकता है की १७ मार्च से शुरू होनी थी और किसी भी प्रधानाचार्य को इसकी जानकारी नहीं थी की उनके केंद्र पर कितने परीक्षार्थी परीक्षा देने आरहे है उन्हें जानकारी मिली १० मार्च को अब एक हफ्ते का समय और तय्यरिया पूरी करना है.के पास तो एक चिराग का जिन था मगर इन अलादिनो के पास कोई जिनी नहीं था फर्नीचर नहीं है तो टेंट हाउस की कुर्सी अगेर लगन के कारन वह भी उपलभध नहीं है
तो दरी से काम चला लो और वो भी नहीं है तो "धरती माता की जय................." ज़मीन तो है ही ना कुछ विद्यालय ऐसे भी है जिनके पास अभी तक इंतज़ाम नहीं हो पाया है परन्तु शिक्षा विभाग को क्या है परीक्षा करवानी है तो करवानी है. वैसे भी ये बोर्ड "शोध" का साधन रहा है जैसे एस बोर्ड पर सबसे बड़ा शोध हुवा आदरणीय कल्याण सिंह जी के शासनकाल में जहा नक़ल अध्यादेश लागु हुवा जिसमे नक़ल करते परीक्षार्थी को केवल निष्कासित ही नहीं किया जाता था परन्तु उसके ऊपर FIR तक होती थी और उसको जेल जाना पड़ता था ! अब ये कल्याण जी और बीजेपी के अपनी सोच का हिस्सा था वैसे भी इनको ज़मीनी हकीकत कभी पता तो थी नहीं कही इस अध्यादेश का सदुपयोग हुवा कही स....स.......स.......स.......स.....सदुपयोग हुवा परिणाम परीक्षाफल १३% कारण छात्रो के अन्दर बैठा डरर्र्रर्र्र ...............
इसका अहसास मुझे है क्यों की उन १३% सौभाग्यशाली में एक मै भी था क्या हालत होती थी मै समझ सकता हूँ 
खैर एक और शोध है देखते है कितना सफल होता है

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