Monday 15 August 2011

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी के बारे में सोचा कुछ समझ नही आया ज़िन्दगी से शुरू हुआ हर सवाल आस पास के जाने अनजाने रिश्तो में जाकर उलझ कर अधुरा रह गया और इस भीड़ भरे माहोल में बहुत सरे नजदीकी रिश्ते होने के बाद भी इन्सान तनहा हे सवाल कुछ और आगे बड़ा तो इन्सान की खुशियों की तमन्ना ही उसे तन्हाई तक ले गयी आज हम सभी लोग अपनी ज़िन्दगी में जो कुछ करते हैं शायद ही कोई अपने लिए करता हो कम से कम हम  भारत वासी  तो  अपने लिए नही जिया करते देश के जादातर लोग तो सिर्फ अपने परिवार के लिए जिया करते हे अपने परिवार की खुशियों के लिए अच्छी परवरिश के लिए और इसी तरह की बहुत सी ज़रुरतो के लिए हम लोग जादा से जादा पैसा कमाने के लिए मानसिक या शारीरिक महनत   करते हैं  सुबह घर से निकल कर शाम घर लोटने तक इतनी थकन और उलझाने हो जाती हे की मन की सारी  उमंगें शिथिल हो जाती हैं शाम को तन्हाई में घर से बाहर कुछ पल साथ बिताने का सपना जीवन संगनी जब जब अपने शोहर के चेहरे पर बिखरी थकन देखती हे तो अपनी ख़ुशी को अपने शोहर   के लिए कुर्बान कर देती हे और खुद ही कही जाने को मना कर देती हे उसके बाद हफ्ते में मिली एक छुट्टी भी सोते हुए या घर के ज़रूरी काम करते हुए  या मेहमानों से मिलते हुए यु ही गुज़र जाती हे  ये हकीक़त हे उन शादी शुदा जोड़ो की जो जोइंट  फॅमिली में रहते हैं   और पत्नी हाउस वाइफ   हे

अब बात  करते हैं ऐसे  परिवार की जहाँ दोनों पति पत्नी  नोकरी पेशा हैं और व्यस्त ज़िन्दगी में दोनों ही एक दुसरे को वक़्त नही दे पाते कभी एक के पास वक़्त नही तो कभी दुसरे के पास वक़्त नही इस तरह रिश्तो में प्यार कम होने लगता हे और जेसे तेसे ज़िन्दगी चलती रहती हे हलकी आज के वक़्त में एक कमाई से परिवार चलना मुश्किल हे लें हम पैसो के पीछे क्यों भाग रहे हे ये भी सोचना ज़रूरी हे

 अब बात करते हैं ऐसे  लोगो की जो अभी शादी के बंधन में नही बंधे कमाने लायक होते ही इन्सान पर इतनी पारिवारिक जिम्मेदारिय हो जाती हैं बहन की शादी से लेकर बूढ़े मान बाप का इलाज और घर के बच्चो की पढाई का खर्च इन सभी ज़रूरत के चलते हम लोग इन्सान से पैसा कमाने की मशीन बन कर रह जाते हैं और पारिवारिक जिम्मेदारियों से भगा तो नही जाता और न ही अपनी ज़िन्दगी को जिया जा सकता हे ये ही हालत हे आज के नोजवान की  और इन सभी के बिच उसे गलती से किसी लड़की से प्यार हो जाये तो आफत आजाती हे जिसके पास खुद के लिए वक़्त नही वो अपनी प्रेमिका को वक़्त कहाँ से देगा लेकिन इसका ये मतलब तो नही की वो प्यार क हकदार ही नही हे पारिवारिक ज़िम्मेदारी वाला व्यस्त इन्सान सुबह से शाम तक काम में व्यस्त उसके बाद कुछ पारिवारिक काम फिर बचा रात का वक़्त तो बेचारे अबला पुरुष को सोना भी होता हे और अगर ये इन्सान समाज सेवक भी हो तो मुझे लागत हे की उसे प्यार नाम को भूल ही जाना चाहिए क्योकि फिर तो बिलकुल भी वक़्त नही बचता किसी को देने के लिए अब सवाल ये उठता हे की नोजवान करे तो करे क्या येही वजह हे जो हमारे देश के युवा मिस्र जेसा आन्दोलन नही कर सकते और इसी वजह के चलते आज राजनीति में नोजवान नही हे और ४०-४५ साल के लोगो को राजनीति में युवा माना  जाता हे  देश को आज युवा जोश की ज़रूरत हे जो धर्म से ऊपर जा कर देश के बारे में सोच सके और अगर कोई युवा ऐसा करना चाहता हे तो ये ज़रूरी हे की उसे उसका  परिवार व जीवन साथी  उसे सम्मान दे. 

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