"Help your brother whether he is an oppressor or an oppressed" Bukhari; Volume 9, Book 85, Number 84
प्रशांत भूषण पर हुए हमले पर अन्ना हजारे ने कहा की युवा कानून अपने हाथो में न ले तथा सभी के लिए कानून सर्वोच्च है एवं ऐसी बातो पर नयायलय का दरवाजा खटकाना उचित है. चलिए जब अपनों पर जूते पड़े तो अन्ना जैसे बेलगाम लोगो को भी कानून, नयायलय और उचित अनुचित का फर्क पता पड़ गया. वही अन्ना जो कुछ समय पहले तक कानून को धत्ता बताकर मनमाने ढंग से अपनी तानाशाही चला रहे थे और इतनी बदजुबानी के प्रधानमंत्री जैसे शरीफ व्यक्ति पर गलत टिपण्णी करने से बाज नहीं आ रहे थे,, आज उन्हें कानून अपने हाथ में लेने की बात याद आ गयी. रामलीला मैदान के बाहर जब इनके अनुयायी पुलिस से बदसलूकी कर रहे थे तब इन्हें उचित, अनुचित याद नहीं आया.. या इन्हें के गाँव में जब कुछ समय पहले गणेश पूजा के समय जब एक युवा को मर मर कर बुरा हाल कर दिया था, तब भी इन्हें कानून की परिभाषा नहीं मालूम न थी.. चलिए देर आये दुरुस्त आये... पर उपरवाला इन्हें सद्बुद्धि दे और ठीक राह पर चलने की समझ दे. पर केजरीवाल जैसे बेलगाम घोड़ो का क्या होगा????? अल्लाह मालिक !!!
No comments:
Post a Comment