Tuesday 25 October 2011

होलिका दहन (आग) से अल्लाह ने पैग़म्बर इब्राहीम (प्रहलाद) को

शुरू अल्लाह के नाम से, जो निहायत ही रहीम व करीम है.
आँखें खोलने पर सब पता चल सकता है, जहाँ एक तरफ कई महान लोगों ने इस्लाम और हिन्दू धर्म में समानता वाली किताबें लिख डाली वहीँ यह पूर्णतया सत्य ही है कि एक दुनियाँ में कई मान्यताएं नहीं हो सकती सिवाय एक  के ! दुनियाँ एक, उसे चलाने वाला एक तो फिर बाक़ी सब एक से ज्यादा कैसे हो सकते हैं.

जिस तरह से प्रहलाद की कहानी है ठीक उसी तरह से पैग़म्बर इब्राहीम की हक़ीक़त भी. प्रहलाद की कहानी तो सभी जानते हैं मगर भारतीय जन मानस के ज़ेहन में पैग़म्बर इब्राहीम की हक़ीक़त का कोई अक्स मौजूद नहीं. तो आइये आज जानते हैं उन्हीं के बारे में!

इस बात से कई दानिशमंदो का इनकार नहीं कि भारत वर्ष में भी नबियों का आना हुआ हो सकता है, कुछ लोगों को तो राम और कृष्ण को भी नबियों की श्रेणी में लाने की कोशिश की है. मनु की कहानी से हूबहू मिलती-जुलती जीवनी नुह (अ.) की भी है  यही नहीं नाम पर गौर करिए तो आपको नाम भी एक लगेगा महा नुह और मनु में सामंती दिखेगी | जिससे हम भारतीयों को जानने और समझने की आवश्यकता है. अगर सच्चे और साफ़ दिल से इन सभी विषयों को जो कि आप में समानता लाने के उद्देश्य को सफल बनायें, का अध्ययन अब अति आवश्यक है वरना बिना जानकारी के हम पूर्वाग्रही बनते चले जा रहे है जिसका नतीजा सिर्फ़ विनाश है विकास कत्तई नहीं !

भक्त प्रहलाद की काहानी:
क बार असुरराज हिरण्यकशिपु विजय प्राप्ति के लिए तपस्या में लीन था। मौका देखकर देवताओं ने उसके राज्य पर कब्जा कर लिया उसकी गर्भवती पत्नी को ब्रह्मर्षि नारद अपने आश्रम में ले आए। वे उसे प्रतिदिन धर्म और ईश्वर महिमा के बारे में बताते। यह ज्ञान गर्भ में पल रहे पुत्र प्रहलाद ने भी प्राप्त किया। वहाँ प्रहलाद का जन्म हुआ।

बाल्यावस्था में पहुँचकर प्रहलाद ने एकेश्वर-भक्ति शुरू कर दी। इससे क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने अपने गुरु को बुलाकर कहा कि ऐसा कुछ करो कि यह ईश्वर का नाम रटना बंद कर दे। गुरु ने बहुत कोशिश की किन्तु वे असफल रहे। तब असुरराज ने अपने पुत्र की हत्या का आदेश दे दिया। उसे विष दिया गया, उस पर तलवार से प्रहार किया गया, विषधरों के सामने छोड़ा गया, हाथियों के पैरों तले कुचलवाना चाहा, पर्वत से नीचे फिंकवाया, लेकिन ईश कृपा से प्रहलाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। तब हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को बुलाकर कहा कि तुम प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाओ, जिससे वह जलकर भस्म हो जाए।

होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि तब तक कभी हानि नहीं पहुँचाएगी, जब तक कि वह किसी सद्वृत्ति वाले मानव का अहित करने की न सोचे। अपने भाई की बात को मानकर होलिका भतीजे प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई। उसका अहित करने के प्रयास में होलिका तो स्वयं जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद हँसते हुए अग्नि से बाहर आ गया

मकामे इब्राहीम (काबा में) 
पैग़म्बर इब्राहीम (अ.) की जीवनी:
पैग़म्बर इब्राहीम के पिता आज़र अपने ज़माने के श्रेष्ठतम मूर्तिकार व मूर्तिपूजक थे. उनकी बनाई हुई मूर्तियों की पूजा हर जगह की जाती थी. आज़र कुछ मूर्तियों को इब्राहीम (अ.) को भी खेलने के लिए खिलौने बतौर दे दिया करते थे. एक बार उन्होंने अपने पिता द्वारा निर्मित मूर्तियों को एक मंदिर में देखा और अपने पिता से पूछा 'आप इन खिलौनों को मंदिर में क्यूँ लाये हो?' 'यह मूर्तियाँ ईश्वर का प्रतिनिधित्व करती हैं, हम इन्ही से मांगते है और इन्ही की इबादत करते हैं.', पिता आज़र ने बच्चे इब्राहीम (अ.) को समझाया. लेकिन आज़र की बातों को बालक इब्राहीम (अ.) के मानस पटल ने नकार दिया.

जीवनी लम्बी है पाठकों की सुविधानुसार इसे संक्षेप में कुछ यूँ समझ लीजिये कि इब्राहीम अलैहिसलाम ने सूरज चाँद या मुर्तिओं में किसी को भी अपना माबूद (पूज्य) मानाने से इनकार कर दिया क्यूंकि सूरज सुबह उग कर शाम अस्त हो जाता, चाँद रात में ही दिखाई देता और मूर्तियों के बारे में उनका क़िस्सा ज़रूर आप तक पहुँचाना चाहता हूँ कि एक बार वो मुर्तिओं को देखने रात में मंदिर गए और वहां एक बहुत बड़ी मूर्ति देखी बाक़ी छोटी-छोटी मूर्ति भी देखी. उन्होंने छोटी सभी मूर्तियों को तोड़ दिया और चले आये अगले दिन लोगों ने पूछा कि 'इन छोटी मूर्तियों को किसने तोडा' तो इब्राहीम (अ.) ने कहा - 'लगता है रात में इस बड़े बुत से इन छोटे बुतों का झगड़ा हो गया होगा जिसके चलते बड़े बुत ने गुस्से में आकर इनको तोड़ डाला होगा, ऐसा क्यूँ न किया जाये कि बड़े बुत से ही पूछा जाये कि उसने ऐया क्यूँ किया.' लोगों ने कहा - ये बुत नहीं बोलते हैं'

इस तरह से उन्होंने अपने पिता और लोगों को भी इस्लाम का पैग़ाम सुनाया और मुसलमान बन जाने की सलाह दी लेकिन ऐसा हो न सका. लेकिन मूर्तियों के तोड़े जाने और अन्य हक़ीक़तों के जान जाने के उपरान्त उन्होंने इब्राहीम (अ.) को ख़ूब खरी-खोटी सुनायी और डांटा और वहां से चले जाने को कहा. लेकिन इब्राहीम ने कहा- मैं ईश्वर (अल्लाह) से आपके लिए क्षमा करने कि दुआ मांगूंगा.

पैग़म्बर इब्राहीम (अ.) को अल्लाह ने आग से बचाया:
स तरह से इब्राहीम एक अल्लाह की इबादत की शिक्षा लोगों को देने लगे. जिसके चलते हुकूमत की नज़र में आ गए और नमरूद जो कि हुकूमत का सदर था ने उन्हें जान से मरने का हुक्म दे दिया. उन्हें आग के ज़रिये ख़त्म करने का हुक्म जारी हुआ. यह खबर जंगल में आग की तरह फ़ैली और जिस जगह पर ऐसा कृत्य करने का फरमाना हुआ था, भीड़ लग गयी और लोग दूर-दूर से नज़ारा देखने आ पहुंचे. ढोल नगाड़ा और नृत्य का बंदोबस्त किया गया और वहां एक बहुत बड़ा गड्ढा खोदा गया जिसमें ख़ूब सारी लकड़ियाँ इकठ्ठा की गयीं. फिर ऐसी आग जलाई गयी जैसी पहले कभी नहीं जली थी. उसके लपटे ऐसी कि बादलों को छू रही थी और आस पास के पक्षी भी जल कर निचे गिरे जा रहे थे. इब्राहीम (अ.) के हाथ और पैर को ज़ंजीर से जकड़ दिया गया था और एक बहुत बड़ी गुलेल के ज़रिये से बहुत दूर से उस आग में फेंका जाना था.

ठीक उसी समय जिब्राईल फ़रिश्ता (जो कि केवल नबियों पर ही आता था) आया और बोला: 'ऐ इब्राहीम, आप क्या चाहते हैं?' इब्राहीम चाहते तो कह सकते थे कि उन्हें आग से तुरंत बचा लिया जाए. मगर उन्होंने कहा, 'मैं अल्लाह की रज़ा (मर्ज़ी) चाहता हूँ जिसमें वह मुझसे खुश रहे.' ठीक तभी गुलेल जारी कर दी गयी और इब्राहीम (अ.) को आग की गोद में फेंक दिया गे. लेकिन अल्लाह नहीं चाहता था  कि उनका प्यारा नबी आग से जल कर मर जाये इसलिए तुरंत हुक्म हुआ, 'ऐ आग ! तू ठंडी हो जा और इब्राहीम के लिए राहत का सामान बन

और इस तरह से अल्लाह का चमत्कार साबित हुआ. आग ने अल्लाह का हुक्म माना और इब्राहीम (अ.) को तनिक भी नहीं छुई बल्कि उनकी ज़ंजीर को ही छू सकी जिससे वह आज़ाद हो गए. इब्राहीम (अ.) बाहर आ गए और उनके चेहरे पर उतना ही सुकून और इत्मीनान था जैसे वो बाग़ की सैर करके आये हों या ठंडी हवा से तरो-ताज़ा होकर आयें हो और उनके कपड़े में रत्ती भर भी धुआँ नहीं बल्कि वे वैसे ही थे जैसे कि पहले थे.

लोगों ने इब्राहीम को आग से बच जाने की हकीकत देखी और आश्चर्यचकित हो गए और कहने लगे...... 'आश्चर्य है ! इब्राहीम (अ.) के ईश्वर (अल्लाह) ने उन्हें आग से बचा लिया.'

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इस तरह से भक्त प्रहलाद और इब्राहीम (अ.) के बीच काफ़ी समानताएं हैं जिसे हम नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते.  गहन अध्ययन के उपरान्त अवश्य सत्य की प्राप्ति हो जाएगी....आमीन !
शुक्र गुज़ार हूँ जनाब सलीम ख़ान साहेब के ब्लॉग का जिससे मैने काफी कुछ सीखा है और ये बिस्मिल्लाह उनका ही कॉपी किया है 

3 comments:

  1. Messenger/paigambar/eeshdoot/sandeshta are the words often used for Rasool/Nabi S.A.W,but do not seem proper bcoz Nabi is highest Example Setter,Trainer,Demonstrator,Hallower,Teacher,Spiritual guider,knowledge distributor etc......so on in the highest quality & degree. Person who is merely “messenger’ need not comprehend or understand the message,or agree with it’s contents, what to speak of demonstration/setting up examples etc. Thus it appears that Allah ke Numaindah/Mukhtar, Representative/Attorney of Allah(Almighty Supreme Creator),Parameshwar Pratinidhi seems to be more suitable.Khuda for Allah is also inappropriate. Word “Bhagwan” signifies exceptional man( Mard e huda or Mard e Kaamil),& Bhagwati=exceptional lady.Thus Bhagwaan & Bhagwati r not proper for the Almighty Eternal God.

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  3. मुसलमान कुरआन को अल्लाह की किताब बताते हैं और कहते हैं कि कुरआन की बातें अटल हैं. और कुरआन के आदेशों में कोई अंतर नही है . लेकिन अल्लाह ने कुरआन में ऐसे कई आदेश दिए है, जो परस्पर विरोधी है, ऐसे कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं. आप फैसला कीजिए -


    1. लोगों को को बहकाने वाला कौन है ? --
    "शैतान ने कहा मैं तेरे बन्दों को बहकाउंगा, और उन्हें गुमराही और कामना के जाल में फसा दूँगा. सूरा -अन निसा 4 :119.

    "अल्लाह जिसको चाहता है गुमराही में डाल देता है. और जिसे चाहे सीधा मार्ग दिखा देता है. सूरा - अन नहल 16 :93.


    2. बाप और भाई के प्रति व्यवहार कैसा हो ? --

    "यदि वे तुम्हारे ऊपर उस बात पर दवाब डालें जिसका तुझे ज्ञान नहीं हो, तो भी दुनिया में उनके साथ भला व्यवहार करो.सूरा लुकमान 31 :15

    "अपने भाइयों और बापों को मित्र नहीं बनाओ यदि वे कुफ्र को पसंद करें, जो मित्र बनाएगा जालिम होगा.सूरा अत तौबा 9 :23.


    3. क्या नया जीव पैदा करेंगे ? --

    "नया जीव पैदा करना वैसा ही है, जैसे तुम सबको पैदा किया है. अल्लाह देखने और सुनाने वाला है. सूरा- अल कियामा 67 : 3 -4.

    "क्या मनुष्य यह समझता है कि हम उसकी हडियों को जमा नही करेंगे, हम उसकी पोर पोर ज़िंदा कर देंगे. अल कियामा 67 :3 -4.


    4. मनुष्य को किस लिए बनाया ? --

    "हे लोगो अल्लाह तो अपेक्षा रहित है, स्वतंत्र है, और अपने आप प्रशंसा का अधिकारी है.सूरा -अल फातिर 35 :15.

    "हमने जिन्नों और इंसानों को इसलिए बनाया कि वे सदैव हमारी तारीफ़ करते रहें. सूरा -अज जारियात 51 :56.


    5. आपत्ति किस की तरफ से आती है ? --

    "मुहम्मद कहदो हरेक आपति अल्लाह की तरफ से आती है. इन लोगों को क्या हो गया कि समझ के पास नहीं आते. सूरा-अन निसा 4 :78.

    "जो भी आपत्ति आती है, खुद तुम्हारी तरफ से आती है. मुहम्मद हमने तुम्हें गवाह बनाया है.सूरा -अन निसा 4 :79.


    6. काफिर बनवाने वाला कौन है ? --

    "कोई भी अल्लाह के आदेश के बिना ईमान नहीं ला सकता. अल्लाह ही खुद लोगों के दिलों में कुफ्र और शिर्क की गंदगी डालता है. यूनुस 10 : 100.

    "इसमे संदेह नहीं कि लोगों ने खुद को घाटे में ड़ाल लिया है , और ईमान नहीं लाते. सूरा अल अन आम 6 :12".


    7. भूमि को आबाद कौन करता है ? --

    "मनुष्य ताकत में इतने बढ़ कए कि उन्होंने भूमि को उथल पुथल करके आबाद कर दिया. सूरा -अररूम 30:9.

    "अल्लाह ही तो है, जिसने मुर्दा जमीन को ज़िंदा किया और आबाद कर दिया.सूरा -फातिर 35 :9.


    8. माफ़ कर दें या लड़ाई करें ? --

    "कहदो, जो लोग ईमान लाये, वे उनको माफ़ कर दें जो ईमान नहीं लाये. ताकि वे उसका फल पायें, जो वे कमाते हैं. सूरा -अल्जारिया 45 :14

    "जो अल्लाह और रसूल पर ईमान नहीं लाते, उनसे इतना लड़ो कि वे जजिया देने पर विवश हो जाएँ. सूरा-अत तौबा 9 :29.


    9. झगड़ा हो तो क्या करें ? --

    "मुहम्मद यदि कोई तुम से झगड़ा करे, तो कह दो मैंने और मेरे अनुयायिओं ने अपने आपको अल्लाह के हवाले किया सूरा-आले इमरान 3 :20.

    "मुहम्मद तुम उन से इतना लड़ो कि वे बाक़ी न रहें, और कोई झगड़ा न रहे. सूरा -अल अन्फाल 8 :39.


    10. बलात्कारिओं की सजा क्या होगी ? --

    "और यदि तुम्हारी स्त्रियाँ जो व्यभिचार में पकड़ी जाएँ, उन पर अपने में से चार गवाह लो, फिर यदि वे गवाही दे दें तो, औरतों को घर में बंद करके रख लो. यहाँ तक उनको मृत्यु ग्रस्त ले. सूरा -अन निसा 4 :15.

    "व्यभिचार करने वाले पुरुष और स्त्री में से हरेक को 100 कोड़े मारो. तुम्हें उन पर तरस नही आये सूरा -अन नूर 24 :2.


    11. जन्नत में कौन जाएगा ? --

    "अल्लाह का अनुग्रह है वह जिसे चाहे जन्नत प्रदान कर देता है. अल्लाह बड़ा अनुग्रह वाला है सूरा -अल हदीद 57 :21.

    "जन्नत जिसका विस्तार आकाशों और धरती जैसा है वह उनके लिए है, जो डरते हैं. सूरा -आले इमरान 3 :133.


    आम तौर पर यदि कोई व्यक्ति अपनी बात से पलटता है, और अपने एक कथन के विपरीत दूसरी बात कहता है तो, लोग ऐसे व्यक्ति पर विश्वास नही करते. और नही उसका सम्मान करते. ऐसे व्यक्ति को लोग दोगला कहते हैं आपके सामने दोनो बयान दिए गए है. आप लोग खुद फैसला करिए. क्या आप अल्लाह या कुरआन की बात मान सकते हैं ?

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