दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को महात्मा गांधी पर शोध करने वाले छात्र न तो उन्हें आधुनिक युग का 'महात्मा गांधी' मानते हैं और न ही उनके आंदोलन को 'सत्याग्रह' का दर्जा देने को तैयार हैं।
पटेल साबर नदी के किनारे बने ऐतिहासिक गांधी आश्रम पर शोध कर रही हैं। उनका कहना है कि अन्ना का अनशन सरकार के साथ शक्तिप्रदर्शन की तरह लग रहा था और उनके भाव से आक्रामकता झलक रही थी।
जन लोकपाल विधेयक को लेकर अनशन पर बैठने वाले अन्ना के बारे में एक महिला शोधकर्ता दिना बेन पटेल ने कहा कि गांधी आत्मशुद्धि के लिए अनशन करते थे। उनके सत्याग्रह का मतलब सबकी जीत होता था। वह किसी के खिलाफ जीत के लिए अनशन नहीं करते थे।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 142वीं जयंती मनाई जा रही है। शोधकर्ताओं के मुताबिक गांधी ने अपने पूरे जीवन में लगभग 25 बार अनशन पर बैठे। पटेल ने कहा कि अन्ना को आधुनिक युग का 'गांधी' नहीं कहा जा सकता और न ही उनके आंदोलन को 'सत्याग्रह' का दर्जा दिया जा सकता है।

अन्ना ने अगस्त में दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अनशन किया था और इस दौरान देश के हर कोने से उन्हें समर्थन हासिल हुआ था। अन्ना का अनशन इतना असरकारक साबित हुआ कि सरकार लोकपाल के मुद्दे पर संसद में विशेषतौर पर चर्चा कराने को राजी हो गई थी।
पटेल ने कहा कि अन्ना के सहयोगियों द्वारा तैयार किए गए जन लोकपाल विधेयक के मुताबिक भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल बनाने के लिए एक बड़ी नौकरशाही की स्थापना करनी होगी। गांधी पहले से ही विकेंद्रीकरण संस्था के पक्ष में थे।
गांधी के एक उपवास का हवाला देते हुए पटेल ने कहा कि वर्ष 1948 में उन्होंने अहमदाबाद मिल मजदूरों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उपवास पर बैठे थे। मजदूर बेहतर वेतन की मांग कर रहे थे।
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